जहाँ शॉपिंग ऑनलाईन की जाये या ऑफलाईन दोनों की अपने-अपने स्थान पर लाभ और हानियां हैं। आज के तकनीकी युग में हर एक व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन, इंटरनेट, लैपटॉप और हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिस कारण पारंपरिक बाजारों में भी खासा परिवर्तन देखने को मिल जाता है। जहां पहले ग्राहक को कोई वस्तु खरीदनी होतीथी तो वह बाजार में जाकर उस वस्तु से संबंधित दुकान में जाकर उस चीज को देखता परखता था, मोल भाव किया जाता था, पसन्द न आने पर अन्य कई दुकानों में जाकर यह सब करने में बहुत समय और श्रम खर्च होता था। अधिक मोल भाव न करने वाले लोग अक्सर एक ही दुकान से सामान खरीद लेते और उन्हें बाद में पता चलता कि यह तो किसी और दुकान में इससे भी कम मूल्य में मिल रही है तो वह स्वयं को ठगा महसूस पाता था। यह स्थिति अधिकतर पारंपरिक खरीददारी में देखने को मिलती है कि जो व्यक्ति अधिक स्थानों पर सामान का सही मूल्यांकन नहीं कर पाते और जल्दी से जल्दी अपना सामान क्रय करके समय बचाना चाहते हैं तो वह अक्सर महंगी वस्तुओं को खरीदते हैंजो उन्हें कम मूल्य में भी मिल सकती थी।
किन्तु वहीं दूसरी ओर पारंपरिक शॉपिंग का एक लाभ यह भी है कि आप मौके पर वस्तु को भलीभांति अपने सामने चैक कर पाते हैं, जिसमें क्वालिटी, साईज और अन्य सामान से संबंधित बातों पर ग्राहक का कभी नुकसान नहीं होता। जैसा कि कई बार ऑनलाईन खरीददारी के मामलों में सुनने में आया कि किसी ने महंगा आईफोन ऑनलाईन मंगवाया, एडवांस पेमेंन्ट हो जाने की स्थिति में जब बाद में वह सामान डिलीवर हुआ तो पैकेट के अंदर कोई अन्य घटिया फोन बरामद हुआ या कभी ईट पत्थर आदि मिले। इस प्रकार की ठगी अक्सर ऑनलाईन देखने को मिल जाती है। कपड़ों, जूतों और अन्य साईज और क्वालिटी से संबंधित प्रोडक्ट जब आप ऑनलाईन खरीदते हैं तो मात्र फोटो देखकर उसकी क्वालिटी और साईज का पता नहीं लगाया जा सकता जिस कारण कई बार ओवर साईज या आउट साईट प्रोडक्ट आ जाते हैं, जिसके पष्चात वह सामान वापिस तो कराया जा सकता है लेकिन उसमें जितना अधिक समय व्यय होता है, वह ऑनलाईन शॉपिंग के समय बचाने के दावों की पोल खोल देता है। इससे कहीं कम समय में पारंपरिक शॉपिंग की जा सकती है।
जहाँ ऑनलाईन शॉपिंग के मैंने कुछ हानियां बताई तो वहीं कई लाभ भी हैं जैसे अनेकों ऐसे प्रोडक्ट जो कई बार हमें पारंपरिक बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होते। वह हम अमेजन सरीखी वेबसाईटस के माध्यम से बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। कई बार ग्राहक ऐसे स्थान पर होता है जहां पर पारंपरिक बाजार भी विकसित अवस्था में नहीं होता। ऐस स्थान पर्वतीय क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र हो सकते हैं। जहां पर लोग बड़ी आसानी से ऑनलाईन माध्यम से वह सामान घर बैठे मंगवा सकते हैं जो उनकी पहुंच से बहुत दूर था।
आज तो ऑनलाईन सामान खरीदने में पहले से एडवांस पेमेंट करने की भी आवष्यकता नहीं। अनेकों वेबसाईटस और अमेजन भी कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध करवाती है। जिसमें आपके घर सामान पहुंचने के बाद ही पेमेंन्ट करनी होती है। ऑनलाईन माध्यम के द्वारा आप अनेकों प्रोडक्ट एक ही समय में घर बैठे देख सकते हैं और उनके मूल्य का मूल्यांकन कर सकते हैं और अपने हिसाब से जो भी आपको पसंद आता है। उसे अपनी सुविधानुसार पेमेन्ट ऑप्शन के द्वारा मंगवा सकते हैं।
अंत में इन बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि ऑनलाईन और ऑफलाईन दोनों ही अपने-अपने स्थान पर सही हैं और हमें चाहिए कि बाजार में किसी भी एक पक्ष का सर्वाधिकार न हो इसलिए हमें दोनों बाजारों को बनाये रखना होगा जिससे व्यापारियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और लाभ निष्चित रूप से हमें और आपको ही होगा। पारंपरिक बाजार के व्यापारी सभी अमीर ही नहीं होते, अपितु कई गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों का घर इन्हीं व्यापारों के द्वारा चलता है इसलिए हमें वास्तव में “सबका साथ, सबका विकास” की उक्ति को सार्थक करना होगा और वह तभी हो सकता है जब हम सबसे पहले पारंपरिक बाजारों की ओर भी ध्यान दें, जो हमारे ही जैसे लोगों द्वारा चलाया जा रहा है और कुछ गरीब परिवारों का निष्चित रूप से एकमात्र आमदनी का स्त्रोत्र है।