एक बहुत ही घना जंगल था। जो हजारों मीलों तक फैला हुआ था। इस जंगल में अनेकों प्रकार के जंगली जानवर और जहरीले प्राणी थे। अत्यन्त ही भयानक परिस्थतियों के कारण उस जंगल में कोई भी मानव अंदर नहीं जाना चाहता था। जंगल की गहराईयों में एक बहुत बड़ी गुफा थी, जहां पर एक शेर और उसका परिवार रहता था। गुफा के सबसे अंदर दीवार के एक कोने पर दो जंगली फूल थे, जिनकी खूबसूरती को बयान कर पाना बहुत ही मुश्किल था क्योंकि उस तरह का फूल आज तक किसी ने न देखा था। वो उस अंधेरी गुफा में खिला था जिस पर कभी सूरज की रोशनी न पड़ी थी। गुफा के बाहर की दुनियां में किसी को भी उस फूल का ज्ञान न था कि कोई ऐसा दुर्लभ और सुन्दर फूल ऐसी अंधेरी और भयानक गुफा में खिल सकता है। जहां पर आदमखोर शेरों का वास है। किसी भी जीव को देखते ही खा जाने वाले शेरों ने क्या उन फूलों को अब तक जीवित छोड़ा होगा? लेकिन शेरों को उन फूलों के होने न होने से कोई फर्क न पड़ता था। उन्होंने उसे देखकर भी भी अनदेखा कर दिया होगा जो उनके लिए कोई घास या फफूंद मात्र ही थे। जिन्हें न उनके रंगों से मतलब था और न ही उनकी खूबसुरती से। दोनों फूल आपस में ही एक दूसरे से बात करते और पथरीली गुफा की दीवारों से ही अपनी भूख और प्यास बुझाते। उन्हें खुद भी अपनी खूबसूरती का अंदाजा भी नहीं था। आखिर उन्होंने अंधेरों के सिवा देखा ही क्या था। जहां उनका जीवन का प्रारम्भ था वहीं उनका अंत..... लेकिन फिर भी बिना किसी चिंता के वह फूल पथरीली दीवारों पर ही खुश थे। जां उनकी दुनियां थी। एक अंधेरी और शांत गुफा, जहां कभी अचानक शेर की दहाड़ों से वह गूंज उठती। तो कभी शांत हो जाती। लेकिन वह दोनों फूल अपने में ही खुश थे। पत्थर की दीवारों पर लहराते और मुस्कुराते जंगली फूल.......