मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होना है। जिस पर मानव सभ्यता अपने उद्भव के साथ ही चली आ रही है। भारत की संस्कृति अति प्राचीन होने के कारण अपने उच्च मूल्यों और उत्कृष्ट सामाजिक व्यवस्था के लिए जानी जाती रही है। वहीं दूसरी ओर विश्व में अन्य सभ्यताओं का विकास भी चलता रहा। एक समय ऐसा भी आया जब विदेशों से बड़े-बड़े खोजकर्ता दुनियां की ढूंढने के लिए निकले। इस प्रकार यदि देखा जाये तब वहीं से संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होना प्रारम्भ हुआ। भारत पर अनेकों विदेशी आक्रान्ताओं ने सैंकड़ों सालों तक राज किया। जिसके कारण भारत में इस्लामिक सभ्यता का उदय हुआ। इस्लाम के इतने वर्षों तक भारत की संस्कृति पर इतना व्यापक असर देखने को मिलता है कि इस्लाम और हिन्दू भारतीय सभ्यता को भिन्न-भिन्न न देखकर एक ही संस्कृति के रूप में देखा जा सकता है। इस प्रकार बदलावों के इस कभी न समाप्त होने वाले क्रम के कारण भारत की मूल संस्कृति में आज अनेकों संस्कृतियों का इस प्रकार समावेश हो चुका है कि उसे हम वास्तव में अब चाहकर भी अलग-अलग नहीं देख पाते।
इस्लामिक शासकों के पश्चात भारत में ब्रिटिश शासकों ने राज किया और भारतवासियों को जमकर हर प्रकार से शोषण किया। पाश्चात्य संस्कृति में यदि अनेकों बुराईयां हैं तो कुछ ऐसे गुण भी हैं जिसके कारण आज विश्व में पाश्चात्य संस्कृति का फैलाव होता जा रहा है। जहां भारतीय सभ्यता में परिवार, समाज और मानवीय मूल्य को खास अहमियत दी जाती है। वहीं पाश्चात्य सभ्यता में इसके विपरीत व्यक्तिगत स्वार्थों को मुख्य रूप से पोषित किया जाता है। स्त्री-पुरूषों के मध्य अनैतिक संबंध, समान लिंग के व्यक्तियों का आपसी संबंध, बुजुर्गों के प्रति अलगाव भावना और इस प्रकार की अनेकों ऐसी कुरूतियां हैं जिन्हें दुनियां के अधिकतर लोग अब अपनाने लगे हैं। इन कुरीतियों से भारत भी नहीं बच सका है। जिसके कारण समाज में दुख, परेशानियां और मानसिक तनाव बढ़ने के कारण लोगों में मानसिक विकार, अवसाद और आत्महत्या जैसी चीजें देखने को मिलती हैं।
यदि हम आज भी भारतीय संस्कृति के मानवीय मूल्यों को अपनाकर एवं पश्चिमी सभ्यता के कुछ अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए। जैसे तर्कशील विचार, वैज्ञानिक दृष्टिकोंण, शिक्षा पर अधिक कार्य इत्यादि हम ग्रहण कर सकते हैं लेकिन उनकी सभ्यता में जो विकार हैं उनसे हमें बचने की अधिक आवश्यकता है। तभी हम पूर्ण रूप से सभी सभ्यताओं के गुणों को ग्रहण करते हुए एक नयी विकसित सभ्यता की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।