बीसवीं सदी सूचना-संचार, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, चिकित्सा व अनेकों वैज्ञानिक क्षेत्रों का स्वर्णिम काल रहा है। इस समय अंतराल में हमने अनेकों ऐसी वस्तुएं प्राप्त की हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। टैलीविजन, रेडियो, बिजली, हवाई जहाज, पनडुब्बियां, मोटर कार, आधुनिक चिकित्सा पद्वतियां, बड़े-बड़े उद्योगों के रूप में अनेकों ऐसी वस्तुएं जो हमारे रोजाना के प्रयोग में आती हैं। इन सभी क्षेत्रों में जो इनका केन्द्रबिन्दु है वह सूचना संचार का क्षेत्र है। कम्प्यूटर और इंटरनेट आने के बाद तो जैसे एक क्रान्ति सी आ गई। जिसकी सहायता से एकाएक सभी क्षेत्रों ने अपने कार्यों में तेजी पकड़ी है। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो कम्प्यूटर से अछूता रहा हो और कम्प्यूटर की षक्ति वास्तविक रूप से इंटरनेट ने ही बढ़ाई है। जो पहले एक साधारण फोन जिसके माध्यम से मात्र बात हो सकती थी, उसका स्थान स्मार्टफोन ने ले लिया है जिसमें इंटरनेट के कारण वीडियो कैमरा, रेडियो, टार्च, कम्प्यूटर, कैल्कुलेटर इत्यादि सभी एक ही जगह आसानी से उपलब्ध हैं।
इंटरनेट और कम्प्यूटर की तकनीकी ने अधिकतर पुरानी व्यवस्था का स्थान ले लिया है जिसके कारण अनेकों पुरानी वस्तुएं अब मात्र सजावटी रह गई हैं। इस समय कम्प्यूटर का पांचवा जेनरेषन का प्रयोग हो रहा है। जिसमें अधिकतर आर्टिफिषिएल इंटेलिजेंस (ए०आई०) का प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण अनेकों कार्य जिन्हें कम्प्यूटर के द्वारा करने में भी पहले अधिक समय लगता था, अब अत्यन्त ही कम समय में पूर्ण होने लगा है। इसी सिस्टम का लाभ उठाने हेतु अधिकतर सभी क्षेत्रों के लोग अपना कार्य डिजिटिलाइज़ करने लगे हैं।
आखिर क्या है डिजिटिलाईजेषन?
डिजिटिलाईजेषन षब्द को हम कम्प्यूटराईज्ड या कम्प्यूटरीकृत भी कह सकते हैं। डिजिटल षब्द डिजिट से मिलकर बना है जिसका अर्थ है - अंक। अर्थात डिजिटिलाईज्ड षब्द को हम हिन्दी में अंकीकरण कह सकते हैं।
किन्तु हम डिजिटिलाईजेषन को मात्र अंकों तक सीमित नहीं कर सकते। इससे तात्पर्य यह है कि सम्पूर्ण कार्य प्रणाली जिसमें अनेकों क्षेत्र आ जाते हैं, वह मैनुअल करने के स्थान पर उन्हें कम्प्यूटरीकृत कर दिया जाता है। जिसके कारण जिस कार्य प्रणाली में पहले फाईलों और कागजों का ढेर लग जाया करता था और उन्हें संभाल कर और बचाकर रखने के लिए भी बड़ा और सुरक्षित स्थान की आवष्यकता पड़ती थी, वह सब मात्र एक हार्डड्राईव में सिमट कर रह जाती है। इंटरनेट की सहायता से यदि उस हार्डड्राईव का डाटा ऑनलाईन सेव कर लिया जाता है तो यकीन मानिये, वह सूचना एक प्रकार से कभी न मिटने वाली बन जाती है। इस सूचना को वह चाहे कितनी भी बड़ी और कठिन तथ्यों से भरी हुई क्यों न हो, मात्र कुछ ही सेकेण्डों में दुनियां के किसी भी कोने तक इंटरनेट के माध्यम से पहुंचाई जा सकती है।
बैंकों का डिजिटिलाईजेषन होने के कारण नेट बैंकिग षब्द सुनने में आता है। जिसकी सहायता से आज ग्राहक अपनी सुविधानुसार घर या आफिस बैठे-बैठे अपने बैंक खाते के लेन-देन बड़ी ही आसानी से किसी भी समय कर सकता है। वो भी कोई समय था, जब बैंक में पैसे जमा कराने, निकालने के लिए बैंकों में लम्बी लाईन का सामना करना पड़ता था जिसके कारण समय और श्रम की तो बर्बादी होती ही थी, इसके साथ-साथ बैंक कर्मचारियों द्वारा जरा सी भी गलती हो जाने पर ग्राहकों को भी नुकसान उठाना पड़ता था और उस गलती को फाईलों और कागजों के ढेर में ढूंढना कम कश्टदायी न था।
उसी प्रकार बिजली के बिल, पानी के बिल, हाउस टैक्स, स्कूल में बच्चों की फीसें, इंष्योरेंस की पेमेंट और इस प्रकार के अनेकों ट्रान्जेक्षन्स बड़ी ही आसानी से आज नेट बैंकिंग द्वारा सरल हो गया है। जो मात्र इन सभी क्षेत्रों के डिजिटिलाइज़ होने के कारण संभव हो सका है।
डिजिटल इंडिया
भारत सरकार देष को डिजिटल इंडिया बनाने में अनेकों कदम उठा रही है। ताकि आम लोग इससे लाभान्वित हो सके। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमें जो लोगों की समझ से बाहर थी और उन्हें समय से उन योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं हो पाती थी। आज डिजीटल होने के कारण इंटरनेट में वह सभी जानकारियां लोगों को उपलब्ध हैं और योजनाओं से संबंधित सरकारी वेबसाईट में जाकर बड़ी आसानी से उन योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
भारत की जनता सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके जिसके लिए लोगों की पहचान के संबंधित आधार कार्ड जो भारत को डिजिटल इंडिया बनाने का सबसे बड़ा उदाहरण है। भारत का निवासी चाहे किसी भी प्रान्त का क्यों न हो, वह बड़ी ही आसानी से पहचान किया जा सकता है कि उसका पूर्ण विवरण क्या है। जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
आधार कार्ड के अलावा अब सरकार ने राषन कार्ड संबंधी रिकार्ड को भी डिजीटिलाईज करना प्रारम्भ कर दिया है। जिससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि सरकार द्वारा आवंटित राषन की कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सकेगी और जो व्यक्ति वास्तव में जरूरतमंद है, उसे राषन भलीभांति मिल सकेगा। प्रारम्भ में तकनीकी संबंधी कुछ समस्यायें देखने को मिल रही हैं लेकिन समय के साथ-साथ जैसे तकनीकी विकास होगा और निचले तबके के लोगों में तकनीकी को लेकर जागरूकता बढ़ेगी तब यह समस्या भी स्वयमेंव ही समाप्त हो जायेगी। लेकिन जो भी है, चाहे अभी कुछ कम पढ़े-लिखे लोगों को नयी तकनीकों से परेषानियां हो रही हैं लेकिन इसके लाभ भी अनेकों हैं और हम सभी को समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीखना ही होगा अन्यथा हमारा अन्य देषों से पीछे रह जाना स्वाभाविक ही होगा।