मानव जीवन में इच्छाएं कभी न खत्म होने वाला एक सिलसिला है। जिसे व्यक्ति जितना चाहे खत्म करने की कोशिश कर ले, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म कर पाना लगभग नामुमकिन है। कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं के कारण अक्सर लोग जीवन भर परेशान और दुखी रहते हैं। बड़ी-बड़ी इच्छाओं के कारण व्यक्ति हर प्रकार के गलत और सही कार्य करने से परहेज नहीं करता। मसलन, कई बार गलत कार्य करने के कारण वह अधिक से अधिक धन और राजनीतिक ताकत तो हासिल कर लेता है और उनकी बदौलत दुनियां की तमाम चीजें इकट्ठी कर लेता है जो देखने में बड़ी खुशहाली भरी प्रतीत होती हैं। लेकिन इन सबके साथ जो मुसीबतें और परेशानियां साथ में आती हैं, वह सारी की सारी धन सम्पदा भी व्यक्ति को वह मानसिक शान्ति नहीं दे पाती जिसे पाने के लिए व्यक्ति ने वह सब इकट्ठा किया था। वास्तव में धन-सम्पदा और सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने का प्रयोजन मात्र मानसिक शान्ति ही तो है। व्यक्ति सोचता है कि आज मैं गरीब हूं मेरे पास खाने के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन नहीं, पहनने के लिए बढ़िया और महंगे कपड़े नहीं, सर्दी और गर्मी से राहत के लिए बढ़िया आलीशान मकान नहीं, शानदार कारें नहीं, इसलिए मेरा मन दुखी है। शायद यह सब प्राप्त कर लेने के बाद मैं आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकता हूं, यह सब मिलने के बाद सदा के लिए चैन की बंसी बजा सकता हूं और लोग जिनके पास यह सबकुछ है, यदि वह चैन और सुख से नहीं रह पा रहे हैं शायद यह उनकी कमबुद्धि या बेवकूफी है। यदि मैं उनके स्थान पर होता, तो ऐसा न होता। मैं होता तो वैसा नहीं होता। इसी उधेड़बुन में व्यक्ति मन ही मन सदैव लगा रहता है और बड़ी-बड़ी इच्छाओं को पूर्ण करने के चक्कर में अपने छोटे से जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा देता है। जबकि वास्तविकता यही है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में मन का सूकून पाना चाहता है। यदि आपके मन में सूकून है तो आप धन की कमी के बावजूद खुश रह सकते हैं। यह बात सभी जानते हैं लेकिन कभी इस विषय पर उन्हें सोचने का भी समय नहीं हैं। क्योंकि अक्सर समझदार लोग आजकल के प्रतियोगिता भरे समाज की बातें करते हैं। गलाकाट प्रतियोगिता में दौड़ने की बातें करते हैं, तमाम मोटिवेशन स्पीकर इस विषय पर भाषण देकर कमा रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर यह उनका दिल भी जानता है कि यह सब बातें वास्तव में क्या दिल को सूकून दे सकती हैं?
मैं यहां यह नहीं कह रहा हूं कि व्यक्ति को कठिन परिश्रम नहीं करना चाहिए और बड़े सपने नहीं देखने चाहिए। बिल्कुल देखने चाहिए लेकिन सदा भविष्य की चिन्ता में डूबकर अपने वर्तमान की बलि भी नहीं देनी चाहिए। भविष्य के बड़े सपनों को पूरा करने के लिए जरूर मेहनत करनी चाहिए, लेकिन आपके जो छोटे-छोटे सपने जो आज पूरे हो सकते हैं, उन्हें भी जरूर पूरा करना चाहिए। फिर चाहे कोई कुछ भी कहे, उन सबकी चिन्ता छोड़कर छोटे सपनों को पूरा करते हुए भावी सपनों के लिए कार्य करते रहना चाहिए। तभी वास्तव में व्यक्ति थोड़ा बहुत मन की सूकून पा सकता है।
अब यदि आखिरी इच्छा की बात की जाये तो यह सोचने का विषय है कि अगर आपको ऐसा मौका मिले तो आप क्या आखिरी इच्छा मांगेगे जो तुरन्त पूरी भी हो सके और वास्तविकता से भी संबंध रखती हो। जहां तक मेरा मानना है, व्यक्ति की कोई आखिरी इच्छा शेष ही नहीं बचनी चाहिए यदि उसे वास्तव में जीना आता है। छोटी-छोटी इच्छाओं को यदि अपने जीवन में पूरा किया जाये और अधिक बड़ी और कठिन इच्छाओं को दिलो दिमाग में हावी न होने दिया जाये, तो कह सकते हैं वास्तव में व्यक्ति को जीने की कला आ गई है। यदि अगले ही पल मृत्यु का देवता सामने आकर कहने लगे कि तुम्हारा समय आ गया है, अभी तुम्हें मेरे साथ चलना होगा, तो उस समय व्यक्ति उसके सामने रहम की भीख न मांगते हुए किसी शूरवीर योद्वा की तरह प्रसन्नतापूर्वक उसके साथ चलने को राजी हो जाये। वहीं जीवन का वास्तविक सत्य है और उद्देश्य भी। जिसे हम धार्मिक भाषा में मुक्ति भी कह सकते हैं और मोक्ष भी।