एक बार एक राजा के दरबार में एक खुबसूरत नाचने वाली नाच रही थी। जिसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमण्ड था वो बार-बार राजा की बदसूरती को देखकर मुस्कुराती है। राजा यह देखकर समझ जाता है कि वह क्यों मुस्कुराई। जिसे देखकर राजा भी मुस्कुराया। नाच गाना समाप्त होने के उपरान्त राजा ने नर्तकी को बुलाया और उससे पूछा - तुम सच बताना, तुम मुझे देखकर क्यों मुस्कुराई। अगर झूठ बोला तो सख्त सजा मिलेगी और सच बोला तो इनाम लेकिन जो भी हो सच बताना। नर्तकी डरते हुए बोली महाराज यदि आप सच ही जानना चाहते हैं तो वो यह है कि आपका रूप देखकर मैं मुस्कुराई क्योंकि मेरे रूप के सामने आपका रूप कुछ भी नहीं। यह सुनकर राजा मुस्कुराते हुए बोला - तुम अपने सुन्दर रूप पर घमण्ड न करो, मेरे पास बेषक रूप नहीं है लेकिन जो किस्मत मैं लेकर आया हूं, उसके सामने बड़े से बड़े रूपवान और बुद्विमान लोग घुटने टेक देते हैं। यह कहकर राजा ने स्त्री को बहुत कीमती उपहार दिये। सच ही तो है, कई बार किस्मत व्यक्ति को बहुत कुछ दे देती है लेकिन इसका भी घमण्ड करना अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने के समान है।
किस्मत, मेहनत और समझदारी तीन ऐसी चीजें हैं, जो तीनों यदि किसी व्यक्ति के पास हो, तो उसके पास सबकुछ है। मेहनत और समझदारी तो दृष्य है किन्तु किस्मत को लेकर हम यह कह सकते हैं कि हम उसे बेषक देख नहीं सकते लेकिन इसकी वास्तविकता हम अनुभव अवष्य कर सकते हैं। जैसे कुछ लोगों को कुछ चीजें जैसे धन-सम्पत्ति-षारीरिक सौन्दर्य और ताकत इत्यादि बिना किसी मेहनत और समझदारी के प्राप्त हो जाती है, जो किस्मत है। लेकिन किस्मत के साथ अगर मेहनत और समझदारी न हो, तो वही खुषकिस्मती को बदकिस्मती में बदलने में देर नहीं लगती। इसलिए जीवन में अच्छी किस्मत है या नहीं, यह अधिक मायने नहीं रखता किन्तु यदि आपके पास मेहनत और समझदारी है तो अवष्य ही वो दिन भी खुषकिस्मती में बदल जाता है, जो आज बदकिस्मती है। मेहनत और समझदारी बदकिस्मती का दुष्मन है। इसलिए व्यक्ति को अधिक किस्मत पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस पर किसी का कोई नियन्त्रण नहीं और जिस पर नियन्त्रण है, यदि उसको साध लिया जाये तो जीवन में पीछे देखने की आवष्यकता नहीं होगी।