लालच एक ऐसी मनोस्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी प्रकार की धन-सम्पदा, पद-प्रतिश्ठा को अधिक से अधिक किसी भी प्रकार से प्राप्त करना चाहता है। उसके लिए वह अनेकों बार गलत रास्तों का चुनाव करता है। जो नैतिक और सामाजिक दृश्टि से गलत होते हैं। कई बार तो व्यक्ति गलत तरीके से धन, मान, पद और प्रतिश्ठा प्राप्त कर तो लेता है लेकिन एक बार गलत उपायों का प्रयोग करने के पष्चात मिली हुई सफलता व्यक्ति के भीतर और अधिक लालच के भाव को जन्म देती है। जिसके कारण वह कभी न कभी इतनी भारी क्षति उठाता है जिसके बाद उसका वापिस पीछे मुड़ पाना संभव नहीं होता। आपने देखा होगा कि अधिकतर षातिर ठग जो लोगों से उनका धन बड़े प्यार से ठग लेते हैं और उक्त व्यक्ति भी खुषी-खुषी अपना धन उस ठग को दे देता है। पता तो उसे बाद में लगता है जब वह ठग सारा धन लेकर चंपत हो जाता है। वास्तव में यहां पर उस ठग के सबसे आसान षिकार वही लालची लोग होते हैं जो कम समय में अधिक से अधिक धन कमाने की लालसा रखते हैं। उसी का फायदा उठाते हुए ऐसे ठग लोगों को अपनी नई-नई स्कीमें बता कर उन्हें रातो रात करोड़पति बनाने के सपने दिखाकर उनका माल ठगकर चंपत हो जाते हैं और वह मूर्ख लालची लोगों के पास उस समय सिवाय हाथ मलने के अलावा कुछ नही रह जाता।
आजकल के समय में इंटरनेट आ जाने के कारण तरह-तरह की ऑनलाईन ठगी चल रही हैं जो वास्तव में लालच पर ही आधारित हैं। ऑनलाईन गेम्स खेलकर पैसा कमाईये जिसमें पोकर, लूडो, ऑनलाईन क्रिकेट से लेकर तमाम तरह के प्लैटफार्मस मिल जायेंगे जहां पर इस प्रकार की ठगी का खेल खुलेआम चल रहा है। जिसे हम ऑनलाईन चलने वाला जुआ भी कह सकते हैं। यहां बड़े मजे वाली बात यह है कि सभी को सब पता है लेकिन फिर से लालच में आकर वह इन खेलों द्वारा आसानी से कमाये जाने वाले पैसों के आकर्शण से स्वयं को नहीं बचा पाते और अंत में जीत तो मात्र इन प्लेटफार्मस को चलाने वालों को ही होती है।
अंत में इतना ही कहना चाहूंगा कि षिक्षा और मेहनत का रास्ता लम्बा जरूर है लेकिन इसके द्वारा पाई गई सफलता आपके स्वयं पर निर्धारित है जो किसी किस्मत पर नहीं है। मेहनत और बुद्धि द्वारा पाई गई सफलता यदि एक बार समाप्त भी हो जाये तो उसे बार-बार प्राप्त किया जा सकता है किन्तु किस्मत के जुए द्वारा प्राप्त हुई सफलता एक बार समाप्त होने पर व्यक्ति अर्ष से सीधे फर्ष पर आ टकराता है जिसके बाद उसका दुबारा उठ पाना अत्यन्त ही कठिन है।