प्राचीन काल की बात है। भस्मासुर नामक एक आसुर जाति का एक व्यक्ति था। एक बार उसने सोचा कि उसे विष्व का सबसे षक्तिषाली व्यक्ति होना चाहिए लेकिन इस समस्या का समाधान उसके पास न था। वह वन-वन भटकने लगा की कोई उसे इस रहस्य का उपाय बता दें। आकाष मार्ग से नारद मुनि ने उस असुर को देखा। वह उसके सामने आकर उसकी समस्या के बारे में पूछने लगे तब उस असुर ने अपनी समस्या उन्हे बतायी। नारद मुनि ने उससे कहा की तुम्हे महादेव की उपासना करनी चाहिए वही तम्हे मनोवांछित वर दे सकते है उसी दिन से भस्मासुर महादेव की तपस्या में लग गया। ऐसे ही काफी समय बीत गया और महादेव प्रन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हो गये ओर उसे मनोवंाछित वर मांगने के लिए कहने लगें भस्मासुर ने तुरन्त उनसे अमरता का वरदान मांगा किन्तु भोले नाथ ने ऐसा वरदान सम्भव न होना बताया ओर कुछ ओर मांगने को कहा। भस्मासुर ने कहा की मै जिस के सर पर हाथ रखूं वह तुरन्त भस्म हो जाये भोले नाथ ने ऐसा ही होने का वर दे दिया। वर मिलते ही भस्मासुर की मूर्खता जाग पड़ी और वह षिव के वरदान की परीक्षा उन पर ही करने की सोचने लगा। उसके मन की बात जानकर षिव भागने लगे। उन्हे भागता देख भस्मासुर उनके पीछे पड़ गया। सम्पूर्ण दुनिया का चक्कर लगाते देख भगवान विश्णु समझ गये की अब भोले नाथ को उनकी आवष्यकता है। विश्णु ने एक बहुत óी का रूप धारण कर लिया जिसका नाम मोहिनी था। इस रूप में वह भस्मासुर के सामने आ गये। मोहिनी का अत्यन्त सुंदर रूप देखकर भस्मासुर सब कुछ भूूल गया ओर मोहिनी के समक्ष प्रणय निवेदन करने लगा। जिसके उत्तर मे मोहिनी बोली की वह ऐसे पुरूश से विवाह करेंगी जो वीर होन से साथ-साथ नृत्य कला में भी कुषल हो। भस्मासुर बोला मै समस्थ कलाओ में कुषल हूं बोलो मुझे क्या करना है ? मोहिनी बोली अगर कर ही सकते हो तो जैसे नृत्य की मुद्राएं मै करूगीं ठीक तुम्हे वैसे ही करनी होगी। भस्मासुर ने कहा ये तो बहुत ही आसान काम है। इस सभी भाग दौड़ में रात्री का अन्धकार छाने लगा। तभी वहाँ पर डीजें लाइट्स जगमगाने लगी और अत्यन्त ही तेज ध्वनि में बैग ग्राउण्ड म्यूजिक बजने लगा और तेरी आखियो का काजल गाने पर मोहिनी नाचने लगी उसे देखकर भस्मासुर भी वैसे ही नाचने लगा। थोड़ी देर के बाद मोहिनी तरह-तरह के डांस स्टैप करने लगी भस्मासुर भी संगीत की धुनांे में थिरकने लगा। वह संगीतमय माहौल इतना रंगीन हो गया भस्मासुर सब कुछ भूल गया। वह बस मोहिनी को देखकर उसी की तरह पागलों की तरह नाचने लगा। मोहिनी उसकी यह हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरायी और समझ गयी अब यही सही समय है, भस्मासुर के अन्त करने का। मोहिनी ने अपना हाथ तरह-तरह से हिलाना षुरू कर दिया भस्मासुर भी वैसे ही करने लगा। तभी मोहिनी ने मौका देखकर अपना हाथ सर पर रख दिया। मूर्ख भस्मासुर मोहिनी के मोहपाष मंे ऐसा फंस चुका था कि उसने भी बिना कुछ सोचे समझे अपना हाथ अपने सर पर रख दिया। सर पर हाथ रखतें ही वह मिलें वरदान के अनुसार तुरन्त भस्म हो गया।
इस समस्त घटना क्रम के बाद भगवान विश्णु कैलाष पहंुचे और भगवान षिव से कहने लगे कि वह कभी भी किसी को ऐसा वरदान ना दें जिसकी वह योग्यता न रखता हो। अन्त में इस कहानी से यह षिक्षा मिलती हैं कि यदि मूर्ख व्यक्ति के पास अधिक षक्ति आ जायेे तो वह औरों के साथ-साथ अपने स्वंय की भी हानि कर लेता है।