दे रहा हूँ प्यार से इक फूल, कर देना क्षमा
भूल कर भी गर हुई हो भूल, कर देना क्षमाबात जो के बन गई इतिहास वो रहने भी दो
क्यों उसे हम व्यर्थ में दें तूल, कर देना क्षमा
भूल जाना चाहिए गलती कोई स्वीकार ले
झाड़ देना तुम समझ कर धूल, कर देना क्षमा
क्यों भला हम गाँठ बाँधे ही रहें इक बात को
है यही तो इक घृणा की मूल, कर देना क्षमा
ज़िन्दगी है चार दिन की, और नफरत सौ गुना?
जब तलक है सांस हम हों कूल, कर देना क्षमा
दिल बड़ा करके जिएँगे तब बड़े कहलाएंगे
लोग होंगे एक दिन अनुकूल, कर देना क्षमा