दोहा
मित्र वही तकलीफ में, फ़ौरन आगे आय।
जो है नकली वह तुरत, छू मंतर हो जाय।
चौपाई
किसको आखिर मित्र बनाएँ, ज्यादातर तो ''चून'' लगाएँ
फिर भी कुछ अच्छे होते है, दिल से वे सच्चे होते है.
सुख में सारे संग आ जाते, मित्र ही दुःख में साथ निभाते
अगर मित्र से धोखा पाते, जीवन भर कितना पछताते
मित्र बनाएं मगर ध्यान से, निर्णय करना तनिक ज्ञान से।
स्वारथवाले मित्र न होते, बैठे-बैठे हरदम रोते।
मित्र वही जो सगा सरीखा, हमने 'रामायण' से सीखा।
मित्र अगर संकट में आए , बिन बोले दूजा आ जाए।
ऐसे मित्र हैं दुर्लभ भाई, वक्त बड़ा ही अब हरजाई।
अब तो छल है और है धोखा, लगता है यह धंधा चोखा।
मित्र दिवस पर मगर बधाई, जिए दोस्ती अपनी भाई।
दोहा
मित्र वही जो हर सके, अपनी सारी पीर।
उसको ऐसे मित्र मिले, हो जिसकी तकदीर