बारिश का मौसम आते ही मंत्री जी चहक उठते है. जैसे कुछ लोग वसंत आने पर बहक उठते हैं.
मंत्री जी अपने हमप्याला मित्रो से कहते हैं, बरसात में रात को 'पीने' का अपना ही मज़ा है'. क्या पीते हैं, यह मत पूछिए, पर बड़े चाव से कुछ-कुछ पीते जरूर हैं.लेकिन उन्हें सबसे अधिक मज़ा उस वक्त आता है, जब वे बाढ़ग्रस्त इलाके का हवाई सर्वे करते है। लोग पानी में डूबे हुए है, मवेशी बहे जा रहे हैं , घर डूब गए है, आदि-आदि को देख कर मंत्री जी भाव-विभोर हो जाते हैं और बोल उठते हैं -''ओह, मेरे देश के बदकिस्मत लोग.लेकिन सच पूछो तो अहा, मनोरम बाढ़.''
लौट कर ट्वीट करते हैं -''बाढ़ विकराल है. हम जल्दी कुछ करेंगे। स्थिति नियंत्रण में हैं।''
उनका तकियाकलाम है,'स्थिति नियंत्रण में है'.
एक बार तो प्रेस वालों ने उनसे ऐसे ही पूछ लिया, ''और सुनाइए, घर में सब कुशल -मंगल?',
तो मंत्री जी बोले, ''स्थिति नियंत्रण में हैं ''. फिर खुद ही हंसने लगे और बोले, ''तुम लोग मरवाओगे मुझे।''
बाढ़ को जब मंत्री जी और उनके मुँह लगे अफसर और चमचे हेलीकाप्टर से देखते हैं तो बाढ़ भी जैसे धन्य होती है कि देखो, उनके यौवन को निहारने खुद मंत्री जी चले आये हैं। बाढ़ मारे खुशी के और अधिक उफनती है। बाढ़ की मचलती जवानी देखने के लिए मंत्रीजी कुछ और नीचे आते है. बाढ़ कुछ और ऊपर उठती है। मंत्री रोमांच से भर उठते हैं. अपने मोबाइल से कुछ दृश्यों को कैद करते हैं.
फिर घर पहुँच कर हवाई सर्वे का वर्णन करते हैं, तो उनकी इकलौती बीवी नाराज हो जाती है -''शर्म नहीं आती, अकेली चले जाते हो। क्या मैं घर पर केवल नोट गिनने के लिए ही रह गयी हूँ?''
मंत्री जी कहते हैं, ''इस बार तुमको भी साथ ले लूँगा। अच्छा अब तो मुस्करा दो और बताओ आज कितना आया ?''
पत्नी बोली, आज धंधा मंदा है। सिर्फ दस लाख ही आया है.मगर इसका क्या करें? कहाँ रखे? क्या मायके भेज दूँ? ''
मंत्री जी सोच में पड़ गए। बड़ी समस्या है, बाहर की बाढ़ से निबटा जा सकता है, पर नोटों की बाढ़ का क्या करें। भक्तगण दे श्रद्धा से दे जाते हैं. नंबर दो का मामला है. छिपाना ही पड़ता है। और वे छिपा भी लेते हैं।
मंत्री जी कहते हैं, '' छिपाने की कला तुमको आती हैं. अपनी उम्र भी तुम छिपा लेती हो. पचास की हो गयी हो, पर अब भी तीस की लगती हो.''
पत्नी गदगद। यही कला है मंत्री जी की. उनके जुमले सुन कर जनता भी खुश हो जाती है और पत्नी भी.
मंत्री जी पत्रकारों को नाश्ते पर बुलाकर बाढ़ के बारे में बताते हैं - ''बहुत ही भयानक दृश्य था, पहली बार देखा लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. सरकार चिंता कर रही है. एक सप्ताह बाद आपात बैठक बुलाई है. बाढ़ नियंत्रण में है। हम जल्दी कुछ करेंगे। किसी को मरने नहीं देंगे। चलिए, आप लोग तो जलपान कीजिए।''
एक पत्रकार पूछता है, ''कुल मिलाकर हालात कैसे हैं?''
मंत्री जी कहते हैं, ''कहा न, स्थिति नियंत्रण में है.''
सब लिखते हैं , ''स्थिति नियंत्रण में है।''