7 जून 2016
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साहित्य- पत्रकारिता में चार दशकों से. आठ उपन्यास, 23 व्यंग्य संग्रह समेत 80 पुस्तकें. व्यंग्य, गीत-ग़ज़ल, लघुकथा और सामयिक लेखन. D
धन्यवाद
7 जून 2016
सच लिखा आपने यदि हम प्रकृति का इसी प्रकार अनियंत्रित रूप से दोहन करते रहे तो निश्चित ही आने बाली पीढ़ियों को एक बंजर ही मयस्सर होगा।जागरूकता फैलाती हुई एक उम्दा गज़ल।अच्छी लगी।
7 जून 2016