स्वार्थ का संसार बन के रह गया है
प्यार इक व्यापर बन के रह गया है
ज़ेब जब तक गर्म है तो प्यार है जी
बस यही इक सार बन के रह गया है
प्यार पूजा से नहीं कम किन्तु अब वो
जिस्म का बाजार बन के रह गया है
वायदे औ छल छिपे दिखते नहीं वे
प्यार क्या हथियार बन के रह गया है
प्यार क्या है एक दिन का खेल है अब
मौसमी त्यौहार बन के रह गया है
आड़ ले के प्यार की ठगते रहे
ये तो कारोबार बन के रह गया है
आज 'चम्पा' कल 'चमेली' और 'बेला'
दिल बड़ा मक्कार बन के रह गया है