1
अगर प्यार दिखलाए कोई अपना प्यार जरूरी है
मगर करे शैतानी तो उसका संहार जरूरी है
चुप रहना कायरता होगी, शत्रु के उत्पात पर
फ़ौरन बढ़ कर उस पर अपना तीखा वार ज़रूरी है
नालायक लोगों से बढ़ कर निबटें यह भी वाज़िब है टु
च्चे लोग कहाँ सुधरेंगे, जम कर मार ज़रूरी है
बहुत हो गई अमन की बातें अगर चैन से सोना है
दुश्मन की हरकत का तब फौरन प्रतिकार ज़रूरी है
कोई हमें सताए उसको कब तक सहना ठीक रहे?
'जैसी करनी-वैसी भरनी' यह व्यवहार जरूरी है
वीरों जैसा जीवन जीएँ, कायरता को छोड़ें हम
वक्त आ गया है अब तो लगता यल्गार ज़रूरी है
२
देश बयानबाज़ी से नहीं चलता
और न ही चलता है जुमलों से
सीमा पर जब हमारे जवान मारे जाते हैं तब
अपने देश में केवल बयान आते है
यह आज की नहीं, पुरानी परपाटी है
इसीलिये आहत यह माटी है.
चेहरे बदल जाते है, पर बयान वही होते है कि
''हम चुप नहीं बैठेंगे''
इतना बोल कर वे चुप हो जाते है और
सीमा पर दुश्मन फिर हमला करके हमे मुँह चिढ़ाता है।
हम केवल लाशें गिनते रह जाते है जवानों की
जला लेते है मोमबत्तियां
लिख लेते है कविता एं
पर दिल्ली की नपुंसकता के आगे
रह-रह कर शर्मिन्दा होते रहते है
आज़ादी के बाद दुनिया में भारत ही अकेला ऐसा देश है
जहाँ मार खा कर चुप रह जाने वाले नेता जन्म लेते हैं
एक-दो वीर पैदा भी हुए पर वे अब इतिहास है
मगर अब जो ज़िंदा है वे तो केवल लाश हैं
पता नहीं कब देश के नेता जो कहते है,
कर के दिखाएंगे
वे संभल जाएं वरना वो दिन दूर नहीं
जब न जाने किस कचरापेटी में फेंक दिए जाएंगे
धनपशुओं के दलाल बन चुके दिल्ली के नेताओ को
देश धिक्कार रहा है पर देखो,
वो एक नेता टीवी पर कैसी शेखी बघार रहा है
ऐसे ही हिजड़ो के कारण देश शर्मिन्दा है
क्योंकि इनकी नालायकी के कारण ही
आतंकवाद ज़िंदा है.