वही सफल है जिसे ध्यान है
जीवन का भी संविधान है
ईश्वर-चर्चा बाद में क्योंके
भूखा अपना वर्तमान है
फूल खिले हैं महकेंगे भी
अंत मगर इक श्मशान है
जीवन जीना एक कला है
वही सफल है जिसे ज्ञान है
विफल आदमी के अधरों पर
किन्तु, परन्तु का गान है
कर्ज में डूब गए हैं सारे
लेकिन ऊंची बड़ी शान है
बहुरंगी है माटी जिसकी
हाँ जी वो हिन्दुस्तान है