पार्टी चुनाव हार चुकी थी और उसके बाद इस बात के लिए मंथन चल रहा था कि हार का ठीकरा किसके सर फोड़ा जाए. बैठक शुरू होने के पहले ही कुछ लोग एक-दूसरे को घूर रहे थे और इशारे--इशारे में कह रहे थे, 'ससुरे, तुम्हारे कारण ही पार्टी की दुर्गति हुई है'.
पार्टी अध्यक्ष के कहने पर एक नेता खड़ा हुआ और शुरू हो गया- ''हम चुनाव हार गए, क्योंकि हमारे साथ धोखा हुआ है'' उसने इतना कहा ही था कि लोग एक-दूसरे को सशंकित नज़रों से देखने लगे. तभी नेता ने कहा- ''यह धोखा हमें जनता ने ही दिया है. इस जनता का कुछ करना चाहिए. ये वो जनता है जिसने वादा किया था कि हम आपको ही वोट देंगे। हमे भरोसा था कि जीत हमारी होगी पर हम बुरी तरह हार गए. इसलिए मैं तो कहता हूँ जनता ... हाय-हाय। ''
अध्यक्ष ने अपना सर पीटते हुए नेता को बिठा दिया और कहा - ''जनता की हाय-हाय मत करो, वर्ना अगले चुनाव में वो ऐसा बाय-बाय करेगी कि सियासत ही भूल जाओगे. भाई मेरे, हम भी तो जनता से वादे करते हैं और उसे भूल जाते है. जनता भी वादे करके भूल जाती है तो क्या गलत करती है? खैर, आगे बढ़े। हाँ, कल्लन भाई, आप कुछ बोलें।''
कल्लन भाई शुरू हो गए -''हम का बोले, हार का असली कारण है भितरघात। हमारे ही कुछ अपने लोग हैं जिनके कारण हम चुनाव हार गए. घर को आग लग गई घर के चिरागन से.''
कल्लन भाई ने इतना कही ही था कि एक अन्य नेता लख्खू खड़ा हो गया - ''अध्यक्ष महोदय, मैं समझ रहा हूँ कि सीधे- सीधे मुझ पर आरोप लगाया जा रहा है.. मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा, गोली चला दूंगा।''
अध्यक्ष ने कहा -''मगर इन्होने आपका नाम ही नहीं लिया, फिर आप कैसे कह कि आप पर आरोप लगा रहे हैं ?''
लख्खू भाई बोले- ''वाह, जैसे मैं कुछ समझता नहीं? राजनीति में इतने साल से क्या झक मार रहा हूँ? ये महोदय जब भितरघात कह रहे थे, तब ये मेरी तरफ देख क्र ही बोल रहे थे. इसका 'मतबल' साफ़ है कि ये मुझ पर ही आरोप लगा रहे थे. जबकि हकीकत ये है कि भितरघात करने वालो में ये सज्जन ही अव्वल रहे हैं।''
अब कल्लन की बारी थी- ''मैंने इस बार कोई गड़बड़ नहीं की. मैंने ईमानदारी से अपना काम किया। जितने भी नोट मुझे मिले थे, उसे वोट देने वालों को बाँट दिए थे'' लख्खू ने कहा-''देखे, ये क्या बोल रहे रहे हैं मैंने इस बार कोई गड़बड़ नहीं की, मतलब साफ़ है कि इन्होने पिछली बार गड़बड़ की थी. अरे, जो पिछली बार कर सकता है, वो इस बार भी कर सकता है. और इनसे पूछा जाए कि पार्टी ने इन्हे रुपये बाँटने के लिए दिए थे, उसी दौरान इन्होने एक नई कार खरीद ली, क्यों? कहाँ से आया पैसा? जाहिर है, इन्होने गोलमाल किया। पैसे बाँटे नहीं इसलिए हम चुनाव हार गए. ऐसे लोगों को पार्टी से निकाला जाए.''
इतना सुनना था कि कल्लन भड़क गए और बोले, ''एक चोर दूसरे पर आरोप नहीं लगा सकता। पिछली बार इन्होने भी घोटाला किया था. सब जानते हैं. हमने इनका 'स्टिंग आपरेशन' किया था. ये देखिये, मोबाइल में इनकी करतूत कैद है।''
इतना सुनना था कि लख्खू भाई कल्लन भाई के पास पहुँच कर मारपीट की मुद्रा में आ गए। दोनों के समर्थक भी खड़े हो कर चीखने लगे। अध्यक्ष ने दोनों को समर्थकों सहित बाहर जाने का आदेश दिया। फिर बैठक शुरू हुई।
नेता रामभरोसे खड़े हुए - ''भाइयो, हम पहले अपने आप से निबट लें, फिर जनता को दोष दें. हममे एकता नहीं रही. पिछले दिनों हमारे अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में अनेक गलत लोग घुस गए हैं। उनका इशारा मेरी तरफ ही था. वाह, हम गलत हैं और अध्यक्ष महोदय पाक-साफ़ हैं? कमाल है.''
इतना सुनना था कि अध्यक्ष महोदय खड़े हो गए- ''ज़बान सम्भाल कर बोलो, मेरा इशारा भ्रष्ट लोगो की तरफ था, आप पर नही.''
रामभरोसे ने कहा- ''हम सब समझते हैं. क्या हमे अपने बारे में पता है कि हम क्या हैं. आप हमे सफाई न दें.मान लिया कि हम भ्रष्ट है, गलत है, पर हैं तो पार्टी के कार्यकर्ता। डाकू भी पहले लूटते थे और गरीबो में पैसे बाँटते थे. हम भी अगर जनता से लूट का माल पार्टी फंड में दे देते हैं तो क्या हम भ्रष्ट हो गए?अगर यही रवैया रहा तो पार्टी रसातल में चली जाएगी।''
अध्यक्ष को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे बोले, ''मैं आपकी भावना की कद्र करता हूँ। मैं अपने शब्द वापस लेता हूँ.'' अध्यक्ष ने इतना बोला ही था कि कुछ और लोग खड़े हुए और एक साथ बोलने लगे. उन सारी घुर्र-घुर्र आवाजों का घोल यही था कि इस अध्यक्ष को हटाओ। नए अध्यक्ष का चुनाव करो.
पार्टी अध्यक्ष ने कहा -''अभी चुनाव नहीं हो सकते। मेरा कार्यकाल तो दो साल का है.'
एक कार्यकर्ता बोला- ''समझ लो, दो साल आज पूरे हो गए। आपके भी दिन पूरे हो गए है। हार की असली जड़ आप हैं''
इतना सुनना था कि सभी कहने लगे -''हां-हां, नया चुनाव हो जाए.''
अध्यक्ष भी समझ चुके थे कि 'चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना.''
वे बिना कुछ बोले बाहर निकल गए और पार्टी नए अध्यक्ष के चयन के लिए अगली बैठक तक के ले स्थगित कर दी गई..
....और इस तरह हार का मंथन तकरार के साथ ख़त्म हुआ.