रामप्रसाद बैसाखियों के सहारे चला जा रहा था. भीड़-भाड़ वाला इलाका था । रास्ते की चिल्ल-पों, वाहनों की तेज आवाजाही से परेशान था. एक-दो बार तो भीड़ का धक्का खा कर गिरते-गिरते बचा। वह सोचने लगा, 'क्या लोग इतनी जल्दी में हैं कि सामने एक विकलांग व्यक्ति भी चल रहा है, यह नज़र नहीं आता?' रामप्रसाद को लगा, उसे खुद सावधान रहना होगा. वह फुटपाथ पर संभल कर चलने लगा. धीरे-धीरे वह घर की ओर बढ़ रहा था. तभी उसने देखा, सामने से एक बाइक सवार चला आ रहा है. अचानक एक गाय आ गई और उसे बचाने के चक्कर में बाइक सवार युवक नीचे गिर गया.. उसे गिरा देख कर आसपास से गुजरते हुए किसी भी शख्स ने उठाने की कोशिश नहीं की. लोग कुछ इस तरह से आ-जा रहे थे, मानो कुछ हुआ ही नहीं। रामप्रसाद से रहा न गया. वह तेजी से बढ़ा और बैसखयों को एक किनारे रख कर युवक की ओर अपना हाथ बढ़ा दिया. युवक सहारा पा कर खड़ा हो गया और कहा - ''बहुत-बहुत धन्यवाद। पर एक बात तो बताइये, विकलांग है कौन, आप या वे तमाम लोग जो आसपास से गुजर रहे थे, मगर मुझे उठाने की कोशिश नहीं की ?'' युवक की बात सुन कर रामप्रसाद मुस्कराया और बोला, ''इस सवाल का उत्तर मैं भी बहुत दिनों से खोज रहा हूँ। '' इतना बोल कर वह आगे बढ़ गया।