वह जान बचा कर भाग रही थी, तेजी के साथ.
बड़बड़ाती जा रही थी-''हाय दइया, ई का हो रहा है. मेरे पीछे अचानक ये गुंडे कैसे पड़ गए?''
महंगाई बुरी तरह घबरा गई थी. सोच रही थी कि शायद अब मेरा विनाश हो कर रहेगा। उसे अपनी ताकत पर बड़ा गुरूर था. लोग उसे डायन कहने लगे थे. पर जब सरकार ने फरमाया है कि हम महंगाई को ख़त्म करके रहेंगे तो गांधी प्रतिमा के नीचे बैठ कर वह रोने लगी. तभी उसका भाई भ्रष्टाचार आ पहुँचा।
महंगाई की चिंता सुन कर वह जोर से हँसा -''अरी पगली, चिंता से चतुराई घटे, दुःख से घटे शरीर। अजर-अमर तू है बहन,तेरी है तकदीर। फ़िक्र नॉट. किनकी बातों में तू आ गई? अमृत चख कर आई है तू. लोग मर-खप जाएंगे, पर तू अमर रहेगी। कल भी थी, आज भी है कल भी बनी रहेगी और लोगो की छाती पर मूंग दलती रहेगी।''
महंगाई ने रोना बंद किया और बोली -''लेकिन कोई मंत्री है चिरकुट। वो तो कह रहा था, महंगाई को जल्दी खत्म कर देंगे।''
भ्रष्टाचार फिर हंसा- ''तू भी इन नेताओं पर यकीन करने लगी? अरी, ये बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं. इधर से बोलेंगे, उधर से निकालेंगे। देखना, तुझे मारने की बात कर रहे हैं मगर तेरे रूप के दीवाने हो कर तुझ से नैनमटक्का करने चले आएँगे। और वैसे भी मेरे रहते तुझ पर आंच नहीं आ सकती। जहां भ्रष्टाचार, वहां उसकी बहन महंगाई। तू बहन मैं भाई, दोनों ने इस देश पर कर दी है चढ़ाई। तू बिलकुल बिंदास रह और लोगों को खाती जा.''
भ्रष्टाचार की बात सुन कर महंगाई मुस्कराने लगी और बोली, ''मैं सचमुच हूँ भोली। सच में इतने सालों से कोई छू नहीं पाया। पहले भी मंत्री-फंत्री कहते रहे कि महंगाई को खत्म करके दम लेंगे पर उनका ही दम निकल गया और मैं शान से मुजरा करती रही। पल भर के लिए ही मुन्नी महंगाई चिंतित हुई. अब तो बिलकुल नहीं होने वाली।''
भ्रष्टाचार बोला - ''शाबाश, ये हुई न सुंदर-घटिया-गन्दी-गन्दी बात. चलूँ, मंत्रालय जाना है. घोटाले की फ़ाइल की आग के हवाले करना है. चौर्य-कर्म में प्रवीण मंत्री को बचाना है। वो बड़ा प्यारा जीव है. ठगने की कला में माहिर। भयंकर कलाकार। चुनाव के समय आँखों में आंसू भर कर वोट ले लेता है, और फिर पांच साल तक चोट- ही -चोट देता है।''
महंगाई बोली- ''भैया, क्या तुमको डर नहीं लगता? तुमको भी ख़त्म करने वाली खबर भी चर्चा में है.''
भ्रष्टाचार बहन के भोलेपन पर ठहाका लगाने लगा- ''जिस दिन मेरी ह्त्या होगी, उस दिन ये देश स्वर्ग बन जाएगा मगर मैंने ऐसा होने नहीं दूंगा। माँ कसम, गांधीजी की कसम, मेरे कारण ये नेता है. मेरे कारण ऐश कर रहे हैं ज़िंदगी के सारे मज़े कैश कर रहे हैं। मैं नेताओं का सबसे लाडला हूँ. उनकी गोद में ही मेरी परवरिश हुई. उनका प्यार मिला, तभी तो इतना फल-फूल रहा हूँ कि भस्मासुर हो गया हूँ. मुझे जो मारने आएगा, मैं उसे मार डालूँगा। ''
इतना बोल कर भ्रष्टाचार ने रावणी-ठहाका लगाया और आगे बढ़ गया।
महंगाई भी निश्चिन्त हो कर डांस करने लगी.