कोई तकरार लिखता है कोई इनकार लिखता है
हमारा मन बड़ा पागल हमेशा प्यार लिखता है
वे अपने खोल में खुश हैं कभी बाहर नहीं आते
मगर ये बावरा दुनिया, जगत, व्यवहार लिखता है
ये जीवन राख है गर प्यार का हिस्सा नहीं कोई
ये ऐसी बात है जिसको सही फनकार लिखता है
कोई तो एक चेहरा हो जिसे दिल से लगा लूं मैं
यहाँ तो हर कोई आता है कारोबार लिखता है
तुम्हारे पास आ जाऊं पढ़ूं कुछ गीत सपनों के
तुम्हारे नैन का काजल सदा श्रृंगार लिखता है
अगर हारे नहीं टूटे नहीं तो देख लेना तुम
वो तेरी जीत लिक्खेगा अभी जो हार लिखता है
यहाँ छोटा-बड़ा कोई नहीं सब जन बराबर हैं
मेरा मन ज़िंदगी को इस तरह तैयार लिखता है
अरे उससे हमारी दोस्ती होगी भला कैसे
मैं हूँ पानी मगर वो हर घड़ी अंगार लिखता है
उधर हिंसा हुई, कुछ रेप, घपले, हादसे ढेरों
ये कैसी सूरतेदुनिया यहाँ अखबार लिखता है
वो खा-पीकर अघाया सेठ कल बोला के सुन पंकज
ज़रा दौलत कमा पागल ये क्या बेकार लिखता है