अपने नेताओं के भाषण सुन लो तो लगेगा दुनिया का सबसे बड़ा चरित्रवान कोई है तो यही है. ये नेता कभी भी अभिनेताओं की रोजी-रोटी छीन सकते हैं. इनकी आबादी बढ़ जाए तो देश फौरन स्वर्ग बन जाए और हम लोग स्वर्ग-वासी होने का सुख लूटें। लेकिन गनीमत है अभी देश पूरी तरह से स्वर्ग नहीं बन सका है.
नेताओं के असाधारण कुशल अभिनय के सामने फ़िल्मी अभिनेताओं का अभिनय भी कहीं नहीं टिकता। नेता तो सीधे-लाइव-शॉट देते हैं. अभिनेताओं को डॉयलाग याद करने पड़ते हैं, री-टेक भी करने की नौबत आती है. पर नेता तो आता है, और शुरू हो जाता है. भावुक हो कर आंसू बहाता है.... गरीब को गले लगाता है... दलितों को पुचकारता है.... अधिक बूढ़ी औरत हुई तो उसके पैर छू लेता है... फटी चड्डी में नाक बहाता कोई बच्चा दिखा, तो उसे भी गोद में उठा लेता है.
उसकी इस बाजीगरी को देख कर फिल्म बाजीगर का हीरो बहुत दिन तक अवसाद में रहा, सोचता रहा -'हाय-हाय, इतनी भयंकर प्रतिभा तो मुझमे कभी नहीं रही.अच्छा हुआ ये बंदा बॉलीवुड में न हुआ.
उस दिन एक नेता की कलाकारी के बारे में पता चला. बन्दा शराब बंदी पर भाषण देने गया था. शराब कितनी खराब है, इस पर धुंआधार भाषण दिया. उससे प्रभावित हो कर एक शराबी खड़ा हुआ और बोला-
'''हिच्च-हिच्च, सरकार की कसम, कल से बंद.''
नेता जी ने पूछा -''क्या बंद?''
शराबी ने कहा- ''भाषण सुनना बंद.''
नेता के चमचे ने पूछा- ''मतलब तुम शराब पीना नहीं छोड़ोगे?''
शराबी ने कहा- ''नहीं रे बाबा, शराब पीना भी छोड़ देंगा. जब शराब पीना छोड़ देंगा, तो नेताजी को भाषण देने की क्या ज़रुरत पड़ेगी?''
शराबी के विचार सुन कर सबने तालियां बजाईं .
नेताजी घर पहुंचे और भाषण के टेंशन को दूर करने के लिए दो पैग फाइन किस्म की वाइन पी ली. साथ देने के लिए दो चमचे मुंहलगे चमचे पहुँच गए।
एक बोला- चरित्र पर आपका उस दिन का भाषण कमाल का था..''
दूसरे ने कहा- ''शराबबंदी वाला भी अद्भुत था.''
पिछले दिनों उन्होंने कहा - ''लोगों का चरित्र गिर रहा है, ईमान गिर रहा है. जैसे रुपए का मूल्य गिर रहा है.''.
कुछ दिन बाद उनके ही गिरे हुए चरित्तर को दिखाने वाला वीडियो ''रासलीला' सोशल मीडिया में वायरल हो गया. वे सफाई देते रहे कि वीडियो 'फेक' है. मैं तो केवल एक पत्नीव्रती हूँ भाई, परायी औरतों को आँख उठा कर भी नहीं देखता''.
उनकी बात सुन कर चमचे नेता जी कि जय-जय करने लगे. मगर कुछ औरतें एक-दूसरे को देख कर मुस्कराने लगीं.
एक ने कहा- ''ये दिलफेंक बड़ी ऊंची-ऊंची फेंकता है रे.''
दूसरी बोली- ''मैं जाऊं क्या उसके सामने और पूछती हूँ कि उस दिन मेरे साथ क्या कर रहा था.. भजन?''
मगर वो औरत चुप रही , क्योंकि नेता जी का सूर्यास्त हो रहा था और वे अपनी राजनीती की दुकान समेट कर अज्ञातवास पर निकलने की तैयारी कर रहे थे.