1
सहते है तकलीफ तब,
हो खुशियों की दीद।
पहले हम रोज़े रखे,
बाद में हासिल ईद।.
2
राहेखुदा के वास्ते,
रोज़ा औ रमज़ान।
अंत में तोहफा ईद का,
खुशियों का फरमान।
3
रोज़ा अपना फ़र्ज़ है,
खुश होता अल्लाह।
रोज़ा पहले, ईद फिर,
नेक बने हर राह।।
7 जुलाई 2016
1
सहते है तकलीफ तब,
हो खुशियों की दीद।
पहले हम रोज़े रखे,
बाद में हासिल ईद।.
2
राहेखुदा के वास्ते,
रोज़ा औ रमज़ान।
अंत में तोहफा ईद का,
खुशियों का फरमान।
3
रोज़ा अपना फ़र्ज़ है,
खुश होता अल्लाह।
रोज़ा पहले, ईद फिर,
नेक बने हर राह।।
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साहित्य- पत्रकारिता में चार दशकों से. आठ उपन्यास, 23 व्यंग्य संग्रह समेत 80 पुस्तकें. व्यंग्य, गीत-ग़ज़ल, लघुकथा और सामयिक लेखन. D