उस दुखिया महिला के साथ दो बार बलात्कार हुआ. पहला गुंडों ने किया, फिर दूसरा 'सेल्फी' लेने वालों ने. उस दिन घर पर बैठी थी कि महिला-संगठन आ गया। मिसेज़ पाउडरवाला ने पूछा - ''तो तुम्हारे साथ ही 'वो' हुआ था?'' दुखिया कुछ बोली नहीं। चुप रही। संगठन की बाकी महिलाएँ दुखिया के अगल-बगल खड़ी हो गई। सब ने अपना-अपना अपना मोबाइल चालू किया और फिर दुखिया से कहा -''बहन, थोड़ा मुस्कराना तो, हम सेल्फी ले रहे हैं। '' दुखिया गम्भीर बनी रही तो महिला संगठन की सदस्या ने अँगरेज़ी में अपनी सहेली से कहा - ''ये बेचारी सेल्फी के बारे में नहीं जानती। उसे पता नहीं कि सेल्फी लेते वक्त चेहरे पर मुस्कान रहनी चाहिए। यही सेल्फी-धर्म है. इससे फोटो सुंदर लगती है.'' दूसरी सदस्य बोली- ''इस देश की लाखो महिलाएँ अभी सेल्फी-ज्ञान से वंचित हैं.बेचारी। उन्हें साक्षर करना होगा। हर महिला के हाथ में एक स्मार्ट मोबाइल देना होगा। हम सरकार से बात करेंगे।''
दुखिया खामोश थी, पर महिलाएँ उसके साथ धड़ाधड़ सेल्फी ले रही थी। दाएं से, बाएं से, बैठ कर, खड़े हो कर। एक तो ' एंगल' बनने के लिए लेट ही गई. सेल्फी-धर्म का निर्वाह करने के बाद एक ने पूछ- ''कैसा लगा बहन? अच्छा लगा न ?'' दुखिया व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ बोली- ''लग रहा है, मेरे साथ लगातार बलात्कार हो रहा है.आप लोगों को शर्म नहीं आती?'' एक महिला बोली -''हमे क्यों शर्म? हमारे साथ बलात्कार थोड़ी न हुआ है?'' दुखिया बोली- ''मगर आप लोग मेरे साथ क्यों कर रही हैं? शर्म आनी चाहिए आप लोगों को. मेरे जख्मों पर मरहम लगने की बजाय और जख्म दे रही हैं, सेल्फी ले कर?''
मिसेस स्लीवलेस बोली - ''अरे, तुम समझती नहीं हो, हम लोग तुम्हारे साथ सेल्फी ले कर समाज को बताएंगे कि देखो, ये वो महिला है जिसके साथ गुंडों ने बलात्कार किया है। हम तुम्हे न्याय दिलाने आए हैं.'' दुखिया अब हँस पडी- ''आप लोगों की न्यायप्रियता के बारे में मैंने पढ़ा है। आप लोग काम कम, फोटो अधिक खिचाती हैं। उस दिन सड़क दुर्घटना में एक महिला घायल हो गई थी तो आपने उसके साथ भी केवल सेल्फी ली थी, उसे असपताल नहीं पहुंचाया था. प्रचार ही आपका प्रिय काम है यानी यही समाजसेवा है, सेल्फी ले, प्रचार कर .''
यह सुन कर पाउडरवाला भड़क गई, ''अरे वाह, कैसी हो तुम, हम तुम्हारी मदद के लिए आये हैं और तुम हमको अपमानित कर रही हो?'' दुखी महिला बोली - '' अपमान तो आप सब मेरा कर रही हैं सेल्फी ले कर। मुझे 'सेल्फी' नहीं, 'सेफ्टी' चाहिए। मुझे ही नहीं, इस देश की हर महिला को.''
महिला संगठन के सदस्यों ने एक दूसरे को कुछ इस अंदाज में देखा कि कहाँ आकर फँस गए। एक बोली-'चलो, सेल्फी तो हो गई. अब दूसरी के पास चलना है। उसके साथ भी तो गैंग रेप हुआ है?''
जागरूक महिलाएँ आगे बढ़ गयी। दुखिया बड़बड़ाई - ''सेल्फिश' कहीं की.''