सुबह जल्दी उठकर सोनम ने राज के साथ योगा और फिर चाय साथ में पीते हुए कहा कि लगता है कि इस महीने का बजट बिगड़ सकता है। राज ने कहा कि ऐसा क्या है किह इस महीने बजट बिगड़ जायेगा। सोनम ने कहा कि आप तो ऑफिस चले जाते हो, यहॉ दो दो बच्चों की ऑन लाईन क्लास। दोनों का समय एक ही है। अब किसको फोन दूं यह समझ नहीं आता है। आरूषी का भी समय 09 बजे से है, और आयुष का भी। जब तक स्कूल नहीं खुलते तब तक एक फोन और लेना ही पडेगा। क्यांंकि ऑन लाईन क्लास के लिए एक फोन जरूरी है।
राज ने कहा चलो देखते हैं, इस बारे में सोच कर बताता हॅू। अभी वैसे भी इस महीने दो एलआईसी कि किश्तें गाड़ी का इंश्योंरेस भी जमा करवाना है। सुनो बच्चों की फीस जमा हो गयी या नही।
सोनमः बच्चों की पिछले महीने के तो जमा कर दिये हैं, इस महीने का नोटिस व्हाटस पर भेज रखा है।
राजः चलो अभी मैं नहाने जाता हॅू, देर हो रही है, ऑफिस के लिए निकलना भी है।
सोनमः नहाने तब जाना पहले दोनों बच्चों को उठा दो, आठ बजे उठते हैं, नौ बजे तक ऑन लाईन क्लास शुरू हो जाती है। तब तक ये दोनें अपनी ऑखे ही मरोड़ते रहते हैं। उधर मैडम चिल्लाती है कि तुम अभी तक तैयार नहीं हुएं।
राजः अच्छा मैं दोनों को उठाता हॅू। राज दोनों बच्चों को उठाने जाता है। आयुष और आरूषी उठो, देखो बेटे आठ बज चुके हैं, 09 बजे ऑन लाईन क्लास हो शुरू हो जाती है। दोनों बच्चें कहते हैं बस पापा 10 मिनट और सोने दो, हम खुद ही तैयार हो जायेगें।
राज दोंनों को सोने देता है और खुद नहाने चला जाता है, ईधर सोनम नाश्ता तैयार करने में व्यस्त हो जाती है। सोनम समझती है कि राज ने बच्चों को उठा दिया है। ईधर राज नहाकर आता है, मंदिर मे ं पूजा करने लग जाता है। सोनम सोचती है कि अभी तक दोनो बच्चे बाहर क्यों नहीं आये। वह बैडरूम में जाती है तो देखती है, दोनों मस्त होकर सो रखे हैं, यह देखकर सोनम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहॅुच जाता है, दोनों को झकझोर कर उठाती है, और कहती है कि ना तुमने सुझरना और ना ही राज को फिक्र है। दोनों को डॅाटते हुए उठाती है कि जल्दी करों और फ्रेश होने के बाद नहा धोकर ऑन लाईन क्लास के लिए बैठ जाओं। ईधर आयुषी मुॅह बनाती है और आयुष कहता है इससे अच्छा तो स्कूल ही ठीक था कम से कम वहॉ दोस्तों के साथ क्लास में मौज मस्ती तो हो जाती थी, यहॉ तो घर में ही कैदी बनकर रह गये हैं, उधर मैडम क्लास में और घर में मम्मी प्रिसिपल बनकर हम पर राज करती है।
राज ने ईधर पूजा सम्पन्न करके नाश्ता करने डाईनिंग टेबिल में बैठ गया है, आयुष और आरूषी ने गुड मॉर्निग पापा कहा और गले से लिपट गयी। यह देखकर सोनम ने कहा कि दोनों बच्चों को तुमने ही बिगाड़ रखा है, तुमको इन्हें उठाने के लिए भेजा था या और देर तक सुलाने के लिए। राज ने हॅसते हुए कहा अरे बच्चे हैं कोई नहीं इस उम्र में नही करेगें मस्ती तो कब करेगें हमारी उम्र में तो बस घर कैसे मुस्तैदी से चले इसीं चिंता में रह जायेगे।
सोनमः अरे तो जब पढेगे लिखेगें तभी तो कामयाब होगेंं, बच्चों को जल्दी उठाने की बजाय उन्हें तुम सह दे रहे हो। ऐसे करते करते दोनों में हल्की फुल्की नोक झोक हो जाती हैं। सोनम और राज में यह नोक झोक महाभारत में नहीं बदले आयुष ने मध्यस्तथता करते हुए कहा कि पापा अच्छा आपको मैं कुछ व्हाटस अप भेजूगा मैडम ने एक प्रोजेक्ट दिया है, आप ऑफिस से ले आना।
ईधर समय सुबह के पौणे नौ बजे का हो गया है, सोनम ने फटाफट टिफीन रखा, और बच्चों को ऑन लाईन क्लास में तैयार होकर बैठने को कहा। राज नाश्ता करके आफिस के लिए निकल गया। दोनों बच्चे ऑन लाईन क्लास के लिए बैठ गये, अब समस्या यह थी कि फोन एक ही है और क्लास दो अलग अलग। सोनम ने आयुष जो आठवीं में पढता है उसे फोन दे दिया और आरूषी को कहा कि तुम तब तक होम वर्क पूरा करो तुम्हे 10 बजे वाली क्लास अण्टेण्ड कर लेना। ऐसे करके दोनो में सामजस्य बिठाया।
ईधर सब बच्चे घरों में परेशान है, ना घर से बाहर जा सकते हैं, और नही स्कूल जैसी मस्ती कर सकते हैं, स्कूल नहीं खुलने से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हो गये हैं, उनके जीवन में तेजी से सीखने की उम्र निकल गयी। ईधर टीचर भी परेशान हैं,वह घर का काम करे कि ऑन लाईन क्लास ले। स्कूल का माहौल और घर के माहौल में बहुत फर्क है। टीचरों के अच्छे अच्छे कपड़े सब अंदर आलमारी में सलबटे पड़ी हुई बाहर आने को बेताबी से इंतजार कर रहें हैं। बच्चों के साथ टीचर का मन बहल जाता था, घर की सब टेंशन भूल जाते थे लेकिन घर में बैठकर सब सामने आ जाता है, बस ऑन लाईन क्लास खाना पूर्ति हो गयी।
दिन में सोनम ने राज को फोन करके कहा कि जैसे भी हो 10- 12 हजार का एक मोबाईल लेकर आ ही जाना, और घर में नेट भी लगाना है, यहॉ ऑन लाईन क्लास में नेटवर्क की बडी समस्या होती है। राज ने अपना एकाउंट चैक किया और मन मारकर फोन लेने का फैसला कर ही लिया। मध्यम वर्ग के व्यक्ति के लिए पायी पायी जोड़ने और वह जोड़ी हुई पायी एक झटके में निकल जाय तो उसका गला सूख जाता है।
शाम को राज फोन लेकर घर चला जाता है, और सोनम को दे देता है। दोनों बच्चे खुश हो गये हैं, अब ऑन लाईन क्लास के बाद वीडियो गेम दोनो अलग अलग फोन पर खेल सकते हैं। ईधर सोनम ने कहा कि यह फोन केवल ऑन लाईन क्लास के लिए गेम खेलने के लिए नहीं, लेकिन आजकल के तकनीकि जमाने में पैदा हुए बच्चे भला कहॉ सुनने वाले।
ऑन लाईन क्लास से बच्चे और मॉ तकनीकि तो सीख गयी ऑन लाईन बेवीनार और सम्मेलन में भाग लेना भी सीख गयी लेकिन घर मे बच्चों की उदण्डता और शैतानी के साथ मोबाईल और कार्टून देखने की आदत ने सब अभिभावकों की नाक मे दम कर रखा है। अब सब लोग यही सोच रहे हैं कि जल्दी ही कोविड के टीके सबको लगे और पहले जैसे जिंदगी शुरू हो जाय।
ईधर सोनम और राज दोनों दीवाली पर गाड़ी लेने की सोच रहे हैं लेकिन घर के बिगड़ते बजट और बढती मॅहगाई को देखकर उसका हिसाब लगाते हैं तो फिर गाड़ी लेने की सोच को भविष्य के लिए छोड़ देते हैं। उधर दोनों बच्चे ऑन लाईन गेम खेलने में लगे हुए हैं।
हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से।