(दूसरा दृश्य )
(माधुरी अपने कमरे में बैठी हुई है तक तक उसकी ननद मंजू और अंजु दोनो स्कूल से घर आ जाते हैं। घर में उदासी का माहौल देखकर दोनो चकित रह जाती है। )
मंजु: अंजु आज घर में कोई आवाज नहीं आ रही है पूरे घर में सन्नाटा छाया है।
अंजू: हाँ दीदी ही सही कह रही हो मुझे तो डर लग रहा है।
मंजु- अरे डरती क्यों है भैया भाभी लोग घूमने और पापा बाजार गये होंगे, मम्मी भी पड़ौस आंटी के यहाँ गई होगी।
अंजू : देखो भाभी तो अपने कमरे में ही दिख रही है चलो भाभी से पूछते है।
(माधुरी दोनो को देखते हुए अपने आसुओं को पोछ लेती है और दोनों को अपने कमरे में बुला देती है।)
माधुरी:- अरे तुम दोनो आ गई हो। बैठो तुम दोनों के लिए पानी लेकर आती हूँ।
दोनों यहाँ पर बैठ जाती है।
मंजू: अंजू आज भाभी परेशान है और रो भी रही है।
अंजू: भैया ने जरूर डांटा होगा या कुछ बोला होगा।
माधुरी: अरे तुम दोनो क्या कह रही हो।
मंजू: भाभी एक बात पूछूं आप रो क्यो रही हो।
माधुरी: कुछ नहीं मंजू घर की याद आ गई। इसलिए आंसू निकलने लगे।
अंजू: नहीं भाभी आप हम से जरूर कुछ छिपा रही हो बताओ न क्या बात है, नहीं तो हम आपसे नहीं बोलेंगे।
माधुरी: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, सब ठीक है, चलो तुम्हारे लिए में खाना बनाती हूँ।
(इतने में राजेश्वरी देवी दोनों बेटियों की आवाज सुनकर कमरे में पहुँच जाती है।)।
राजेश्वरी देवी: अरे तुम दोनो आ गई ? चलो बाद में करना बात, पहले हाथ मुह धोककर खाना खाओ फिर बाद में बातें करते रहना।
माधुरी: आप लोगों के लिए दाल बनाऊ या फिर कुछ और।
राजेश्वरी देवी: ठकुराइन ने अभी तक खाना नहीं बनाया । बहु ने तो हद ही कर दी पूरे दिन बैठने के कुछ काम नहीं रहता।
मंजू: मम्मी आप ऐसा क्यों बोल रही हो भाभी की इतना करती है थोड़ा आराम कर लिया क्या हुआ। खाना बन तो जायेगा।
अंजू: अगर खाना बनाने में कुछ देर हो भी गयी तो हमारे प्राण नहीं निकल जोयेंगे मम्मा।
राजेश्वरी देवी: आजकल तुम दोनो बहुत बोलने लगी हो, ज्यादा भाभी वाली मत बनो।
( राजेश्वरी देवी पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली जाती है।)
रघुराज : खाना तैयार है, मुझे बाजार जाना है।
राजेश्वरी देवी: बहुरानी ने खाना बनाया होता तो खाते न। पड़ौस वाली बहु को देखो कितनी सुन्दर है? कब खाना तैयार कर लिया और सास ससुर को दिन की चाय भी दे दी है. एक कप चाय में भी पीकर आयी हूँ।
रघुराज: बसंत की बहु ने तो हद ही कर दी है। दोना बच्चे अभी भूखे होगे,हमारी तो नाक ही कटवा दी है।
बंसत: मम्मी खाना बन गया क्या मुझे अभी दोस्तों के साथ कही घूमने जाना है। माधुरी ने अभी तक मेरे कपड़े तैयार नहीं किये।
राजेश्वरी देवी : अरे इस बहु ने तो दोनो बहिनो को भी भड़का दिया है। हमारी तो दोनो अब सुनती ही नहीं है। उलटा भाभी को बोलने के बजाय हमें जवाब देने लगी है।
(रघुराज गुस्से में दोनों बेटियों को आवाज लगाता है।)
रघुराज अजू-मंजू तुम दोनो जरा ईंधर आना।
दोनो : जी पापा अभी आये।
रघुराज: आप दोनो पढ़ाई पर ध्यान दो। तुम दोनों की बहुत शिकायते मिल रही है कि तुम मम्मी का कहना नहीं सुन रही हो एक बात ध्यान सुन लो बहु के साथ ज्यादा बाते मत किया करो, बस अपनी जरूरत की ही बाते किया करो।
मंजू : ऐसी है पापा भाभी बहुत अच्छी है। हमारा पूरा ध्यान रखती है और साथ में आप लोगों का भी ध्यान रखती है।
राजेश्वरी देवी: हमने यहाँ पर बहु वकालत करने के लिए नहीं बुलाया। जितना बोला जा रहा है उतना करो, फालतू बकवास बंद करो।
अंजू: मम्मी जो बात सच है। उसे हम कह रहे हैं। भाभी इतनी अच्छी होने के बावजूद भी तुम खुश नहीं हो तो यह आप लोगों की पुरानी सोच है।
राजेश्वरी देवी- हाँ हाँ बहुत अच्छी है तभी तो उसने बंसत के कहने पर दुकान खोलने के लिए अपने मायके से रूपये लेकर नहीं आ रही है। उल्टा कह रही है कि आप लोगा मेरे मायके वालो को परेशान कर रहे हो । अरे दो लाख रूपये की तो माँगी की थी कोई जमीन जायदाद तो नहीं माँगी हमने।
मंजू : भैया उनसे क्यों माँग रहे हैं। खुद क्यों नौकरी नहीं कर लेते या फिर पापा भैया के लिए दुकान क्यो नहीं खोल लेते।
बसंत: मंजू तुम चुप रहो। वह मेरी बीबी है। मैं जो चाहूं वह माँग कर सकता हूं मेरा माँगने का पूरा अधिकार है।
अंजू- भैया आपको दहेज माँगने में शर्म नहीं आती। भैया आपको अपना अधिकार तो याद आ गया लेकिन यह याद नहीं आया कि वह मेरी बीबी है और उसके सभी सुख दुख का ख्याल मुझं रखना है इसलिए मुझे नौकरी कर लेनी चाहिए। यह अधिकार और कर्त्तव्य आपको याद नहीं आया।
राजेश्वरी देवी- हमारा इकलौता बेटा किसी के यहाँ नौकरी नहीं करेगा। बहु को अगर इस घर में खुश रहना है तो वह मायके से दहेज लेकर आये। वरना फालतू लोगों के लिए इस घर में खाना नहीं है।
मंजू- मम्मी आप लोग इतने लालची क्यों बन रही हो। भाभी जी के पापा से जितना हो सका उतना उन्होने दिया। बाकि तो भैया को भी तो अपने आप में कुछ करना चाहिए। कब तक इस तरह माँगकर खाते रहेगे।
रघुराज: मंजु अपनी जुवान पर लगाम रखो। अपने भैया को क्या कह रही हो जरा सम्भल कर बात करो। अगर बहु के मायके वालों को अपनी बेटी की चिन्ता है तो आधी सम्पत्ति अपनी बेटी के नाम क्यों नहीं कर देते।
अंजू: पापा आप भी आधी सम्पत्ति हम दोनो बहिनो के नाम क्यों नहीं कर देते।
राजेश्वरी देवी : हाँ तुम तो कल अपनी सुसराल चली जाओगी। तुम्हारे ससुराल वालों की सम्पत्ति किए काम की है। तुम्हारे होने वाले सास ससूर साथ लेके तो नहीं जायेगे वह तुम्हारी तो होनी है। यह सम्पत्ति तो हमारे बसंत की है।
मजूं- मम्मी जिस तरह आप सोच रही हो कि यह सम्पत्ति हमारे बेटे की है उसी तरह भाभी के पापा भी तो सोचते होंगे।
रघुराज- हम तो तुम्हारी शादी अच्छे खानदान में करेंगे और बहुत सारा दहेज देंगे। ताकि पूरी दुनिया देखती रह जाये कि रघुराज ने अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से की और बहुत सारा दहेज भी दिया।
अंजू : पापा हम क्या बड़े खानदान के नहीं है हम भी तो बड़े खानदान के है।
मंजू- मम्मा आप लोगों ने भैया की शादी क्यों कि जब वे अपने पांव पर ही खड़े नहीं थे तो क्यों तुमने दूसरे की बेटी के साथ अन्याय किया?
बंसत हमने क्या अन्याय किया है। क्या उसको इस घरमें खाना नहीं मिलता या सोने के लिए नहीं मिलता? बहु है तो घर का काम तो करना ही पड़ेगा। हमने घर में बिठाने के लिए शादी नहीं की है।
अंजू: भैया खाना तो किसी भी राहगीर को खिला दिया जाता है। भाभी तो इस घर की बहू है और लक्ष्मी है। अगर लक्ष्मी का अपमान करोगे तो कभी सुखी नहीं रह पाओगे।
माधुरी : अंजू अब चुप भी हो जाओ इतनी सी बात को लम्बा खींचकर क्या फायदा तुम क्यों परेशान हो रही हो।
मंजू: मम्मी जहाँ तक हमारी शादी उंचे खानदान में करने की बात कर रहे हो वह भी आप लोगों जैसे दहेज के लोभी निकले और आपसे और भी दहेज की माँग करने लगेगें तो क्या आप उनको खुशी से दहेज दें दोगे।
(यह सुनकर रघुराज, बंसत और राजेश्वरी देवी चुप हो जाते हैं )
माधुरी : मजूं अपने से बड़ों के साथ नहीं बोलते आप तो बहुत समझदार हो।
अंजू: मम्मी जैसी बेटी हम है वैसे ही भाभी भी किसी की बेटी है। कल हमें भी बहु बनना है। अगर मेरे साथ भी ऐसा व्यवहार किया जाता है तो आप क्या खुश रहोगी।
राजेश्वरी: नहीं बेटा हमारी बेटियों के साथ ऐसा नहीं हो सकता।
मंजू : क्यों नहीं हो सकता जब भाभी जी के साथ हो साथ भी हो सकता है, तो हमारे साथ क्यो नही।
रघुराज: अगर हमारी बेटियों के साथ अन्याय होता है तो हम उन पर कोर्ट केश कर देगे।
अंजू- इसी तरह भाभी के घरवाले भी तुम पर कोर्ट केश कर देगें तब क्या होगा।
मंजू- भैया तो वैसे भी बेरोजगार हैं और परेशान है, जब भाभी के मायके चाले केश कर देंगे तो भैया नौकरी ढूंढने के बजाय तारीख पर कोर्ट के चक्कर लगाते फिरेगे।
बंसत- हाँ पापा ये दोनों सही कह रही हैं। हम भी तो माधुरी के साथ गलत कर रहे हैं। हमारी भी तो बहिन है। उनके साथ कोई ऐसा करेगा तो हमसे भी बर्दाश्त नहीं होगा।
राजेश्वरी : हाँ बेटा अब से हम माधुरी को अपनी बेटी समझकर उसे यहाँ आज से पूरा सम्मान देगें और कभी भी दहेज की माँग नहीं करेगें।
रघुराज- बेटा तुमने हमारी आँखे खोल दी रहें। थैंक्स बेटा।
अजू और मंजू- पापा अगर हर बेटे वाला यह सोच ले कि हम भी बेटी वाले हैं या हर व्यक्ति यह समझे ले कि हमारी भी कोई बहिन हैं तो यह दहेज की समस्या अपने आप ही खतम हो जायेगी और हर बेटी बहु को सब
जगह पूरा सम्मान स्वंय ही मिल जायेगा।
(माधुरी दोनों ननदों को गले से लगा देती है ।)
इसके साथ पर्दा गिर जाता है।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।