सोनू बबलू, मोंटू और अन्नू चारों क्लास के दोस्त थे, सब एक ही कॉलोनी में रहते थे सब की शादी हो गई तो सब अलग-अलग रहने लगे, लेकिन सोनू और बबलू दोनों पड़ोसी हीं रहे, बबलू ने अपने मकान क़ो दोबारा रिनोवेट करवाया तो अपनी चार दीवारी क़ो लगभग एक फीट से थोड़ा कम सोनू के घर की तरफ बढ़वा दी, क्योंकि सोनू की दायी तरफ काफी जगह थी, बबलू ने सोचा की सोनू उसका ख़ास दोस्त जो हैँ, उससे बात कर समझौता कर लेगा।
वंही सोनू का अहम दोस्ती के बीच आ गया और उसे बबलू की बात नागवार लगी की बबलू कम से कम उससे बात कर लेता, बस इसी अहम और वहम ने दोस्ती के बीच में दरार पैदा कर दी,अहम इतना बढ़ गया और गलत फहमी और वहम ने दोनों की दोस्ती क़ो एक नदी के दो तीर बना दिया। बबलू दिवार बनाने पर अड़ा हुआ था, वंही सोनू इस बात पर अड़ा हुआ था की जब तक बबलू माफ़ी नहीं मांगता हैँ तब तक वह एक इंच भी दिवार नही रखा सकता है।
इसी बीच उनका दोस्त अन्नू ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई झुकने क़ो राजी नहीं हुआ, चार पाँच महीने तक दोनों तरफ से तना तनी का माहौल बना रहा, साथ साथ रहने वाले दोनों परिवारों में एक दिवार ने दरार पैदा कर मित्रता के बीच शत्रुता की दिवार खड़ी कर दी।
यह बात उनके मित्र मोंटू क़ो पता चली जो बेंगुलुरु में जॉब कर रहा था, उन्हें यह बात अन्नू ने बताई। अन्नू ने सब कुछ मोंटू क़ो बताया तो यह सुनकर मोंटू आश्चर्य चकित हों गया, और अहम और वहम के कारण इतनी पक्की दोस्ती टूटने के कगार पर खड़ी हैँ। मोंटू ने अन्नू से कहा की मैं होली पर घर आ रहा हूँ, समझाने की कोशिश करेंगे, अन्नू ने कहा यार वह बस एक दूसरे की कमियाँ देख रहे हैँ, कोई झुकने क़ो और बात समझने क़ो राजी नहीं हैँ। मोंटू ने कहा अब होली पर आ रहा हूँ बैठकर बात करते हैँ।
मोंटू होली पर घर आया और उसने होली मिलन समारोह के आयोजन की व्यवस्था अपने घर के पास हीं पार्क में करवा दी, बबलू सोनू अन्नू सबको सपरिवार सहित बुला दिया। सब लोग होली खेलने मोंटू के घर पर चले गये, इधर होली का संगीत बज रहा था उधर बच्चे दौड़ते हुयें रंग लगा रहे थे, गुजिया पकौड़ी,अँगूर चाट सब रखे हुए थे, पीने खाने वालों के लिए सब इंतजाम था।
मोंटू ने सबका स्वागत किया और अपने तीनो दोस्तों क़ो अलग कमरे में लेकर गया, वंही सोनू और बबलू स्वयं क़ो एक दूसरे के सामने होने की वजह से खुलकर नहीं बोल पा रहे थे, अन्नू समझ गया था, उसने मोंटू क़ो इशारे से पैक बनाने क़ो कहा, मोंटू ने वाइन की बोतल सामने रखकर बबलू क़ो कहा की भाई तुम अच्छा पैग बनाते हों, आज की होली की शुरुवात तुम्हारे हाथो से होंगी, यह देखकर सोनू थोड़ा असहज हुआ लेकिन कहा कुछ नहीं। एक दो पैग लगाने के बाद मोंटू ने कहा यार हम चार यार और दो यार कुछ खफा खफा से लगा रहे हों, हम तो दोस्तों से मिलने के लिए तरस जाते हैं और तुम पड़ोसी होकर भी अहम और वहम पाले हुए हों।
अन्नू ने भी कहा यार दोस्ती की नीव क़ो छोटा सा अहम कैसे हिला सकता हैं, तुम दोनों की दोस्ती पड़ोस की मिसाल हर कोई देता हैं और आप अहम और वहम क़ो तवज्जो दे रहे हों।
मोंटू ने सोनू से कहा यार सोनू जो जमीन बबलू क़ो चाहिए उसकी क़ीमत बताओ और बबलू तुम उसकी क़ीमत चुका दो, उस टुकड़े की क़ीमत हमारी दोस्ती से ज्यादा थोड़ी होंगी।
जैसे जैसे होली का सुरूर बढ़ा वैसे हीं बबलू और सोनू क़ो ग्लानि का भाव होने लगा फिर दोनों दोस्त गले मिले बिना नहीं रह सकें, गिला शिकवा जो थे वहीं पर दूर हों गये और चारों झूमते हुए पार्क में आये और एक दूसरे पर दोस्ती का ग़ुलाल लगाया फिर गले मिले, इधर पीछे से दो बच्चों ने अहम और वहम से भरे पानी के गुब्बारे मारकर फोड़ दिए, वहीँ मोंटू और अन्नू ने भी प्रेम रस की पिचकारी मारकर दोस्ती के रंग क़ो सरोबार कर दिया। चार महीने से पाले हुए अहम और वहम ने जीवन भर की दोस्ती क़ो कोर्ट के दहलीज पर ले जाने का फैसला कर दिया था, किन्तु मोंटू और अन्नू की समझदारी ने घर पर हीं इंसानियत और दोस्ती की दलीले सुनाकर मित्रता और पड़ोसी धर्म की सब धाराओं क़ो मध्य नजर रखते हुए मित्रता की रिश्तो क़ो तार तार होने से बचा लिया, आज मित्रता की कोर्ट में दिल में पलने वाले अहम और वहम क़ो हराकर पुनः होली पर मिलन का सन्देश दे दिया।
उधर डीजे पर चारों की पत्नी नृत्य कर रही थी, उन्होंने जब सोनू और बबलू क़ो गले मिलते हुए देखा तो पहले उन्हें यकीन नहीं हुआ, इतने में मोंटू ने बबलू और सोनू की पत्नी क़ो ग़ुलाल लगाकर होली की बधाई देते हुए कहा की देख लो भाभी जी आज अहम और वहम की होली जलाकर प्रेम का रंग बरस रहा हैं, यहीं तो अपने त्यौहारो की ताकत हैं जो हमें आपस में मिलकर रहने के सन्देश देते हैं।
इधर सब मिलकर होली खेले रघुवीरा पर थिरक रहे हैं, उधर चारो यार होली का जश्न मना रहे हैं।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।