सोनू का हाइस्कूल का आखिरी पेपर है, बहुत खुश है कि अब तो गर्मियों की छुट्टियों में मनाली मामा जी के यँहा घूमने जाना है, सारे दोस्तों में जाने का पूरा बखान कर आ गया, सोनू ने घर आकर अपनी माँ से मामा के यँहा जाने की बात कही।
सोनू की माँ ने कहा कि बेटा तुम्हारे दोस्त हिमांशु की मां कह रही है कि वह अपने बेटे को इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स में भेज रही हूँ उसके बाद जून में उसे नानी के पास भेज दूंगी, बेटा तुम भी कर लो स्पीकिंग कोर्स, सोनू ने माँ की बात मान ली, औऱ अगले दिन से कोचिंग क्लास जाने का निर्णय कर लेता है।
सोनू औऱ हिमांशु रोज कोचिंग क्लास जाने लगे है, बहुत सारे बच्चे हैं क्लास में। पूरी क्लास में सबसे तेज शिवानी फिर, तन्मय और हिमांशु के बाद सोनू का नम्बर है। हर रोज डिबेट होने लगी है, सब एक दूसरे के काफी नजदीक आने लगे है। सोनू के दोस्त हिमांशु को शिवानी पसंद आ गयी है, लेकिन शिवानी को हिमांशु पसंद है या नही अभी तक राज का विषय बना है। हिमांशु ने सोनू से अपनी तरफ से शिवानी के लिये प्रेम पत्र लिखवाने के लिये कहता है, औऱ सोनू खुशी खुशी दोस्ती में लिख देता है। एक दो पत्र शिवानी तक पहुँच जाते हैं, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही मिली।
इधर सोनू ने स्कूल की क्लास टीचर मोहिनी मैडम से फोन करके पूछा तो उन्होंने बताया कि 11वी में एडमिसन की आखरि तिथि 30 जून है, उससे पहले ही एडमिसन करवा लेना। सोनू खुश हो गया। जून के पहले हप्ते के आखिरी शनिवार को रात की गाड़ी से मनाली के लिये चला गया।
सोनू ने अपने मामा के यँहा खूब घूमा फिरा, मस्ती की और 23 को घर आ गया है। दो तीन दिन घर मे ही आराम करने के बादअगले सोमवार को स्कूल में एडमिशन के लिए चला जाता है। वह सीधे एडमिशन कक्ष में 11वी कक्षा में बाणिज्य विषय से पढ़ाई करने की सपने पाले हुए है। एडमिशन करने वाले बाबू ने कहा कि अब इतनी देर में आ रहे हो , यँहा तो एडमिशन पूरे हो गए है, आपको आर्ट्स साइड में ही अब एडमिसन मिल सकता है, वह भी इसलिए कि तुम यहीं के विद्यार्थी हो। सोनू ने हर सम्भव कोशिश की लेकिन तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुई। उसके बाद सोनू ने अपनी माँ को सारी बात बताई। सोनू ने कहा कि साइंस औऱ आर्ट्स मैं बिल्कुल नही पढ़ सकता हूँ।
सोनू की माँ सोनू को लेकर पड़ोस में प्रतिष्टित स्कूल की प्रधानाचार्या धस्माना मेडम के पास गई, और सब बात बताई। धस्माना मेंडम के स्कूल में भी आर्ट्स विषय की सीट खाली है, अतः वहाँ पर भी सोनू का एडमिसन सम्भव नही है। फिर धस्माना मेडम ने अपने जानने वाले परिचित को फोन लगाकर पता करती हैं जो रुड़की का आईआईटी के कैम्पस का प्रतिष्टित स्कूल है में बाणिज्य विषय की दो सीट खाली है कि जानकारी मिली और सोनू के एडमिशन की बात पक्की हो गयी है। अब सोनू की माँ की चिंता खत्म हो गयी है।
अगले दिन सोनू अपने स्कूल केंद्रीय विद्यालय में टीसी कटवाने पहुँच गया है, बाबू से बात करके और आखिर में सब काम करवाकर मस्ती से स्कूल के बरामदे में झूमते हुए आगे बढ़ रहा है, तभी सामने शिवानी और उसकी दीदी हिमानी मिल जाती हैं। हिमानी सोनू से पूछती है कि तुम सिविल ड्रेस में यँहा क्या कर रहे हो और ये हाथ मे क्या कागज है, सोनू ने तपाक से जबाब दिया कि आज मेरा इस स्कूल का आखिरी दिन है, मैंने टीसी कटवा दी है, कल आईआईटी रुड़की के कैम्पस वाले स्कूल में एडमिसन लेना है। यह सुनते ही हिमानी ने कहा कि मजाक मत करो सच बतावो। सोनू ने सीधे भाव से कहा कि भला मैं क्यो झूठ कहूँ। हिमानी ने चीखते हुए कहा सोनू क्या बकबास कर रहा है, दिमाग तो ठिकाने पर है तुम्हारा , यह क्या कर रहे हो, क्यों तुम दूसरे की जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।
सोनू यह बात सुनकर हकबका रह गया है उसके समझ नही आया कि यह सब क्या हो रहा है, लेकिन हिम्मत करके पूछ ही लिया कि तुम मुझ पर गुस्सा क्यो कर रहे हो।
यह सुनते ही हिमानी ने गुस्से में कहा कि तुम्हारी वजह से शिवानी ने इतने बड़े गर्ल्स इंटर कॉलेज एवीएन को छोड़कर तुम्हारे चककर में इस स्कूल में जिद करके एडमिशन लिया और तुम हो कि बेफिक्री से कह रहे हो कि आज यँहा इस स्कूल में आखिरी दिन है। इन सबके बीच मे शिवानी बगल में खड़ी होकर सुन रही है, और कभी सोनू की तरफ देख रही है तो कभी हिमानी की तरफ लेकिन सोनू के लिये एक भी लफ्ज नही कहे।
हिमानी ने सोनू के कंधे झकजोर कहा कि क्यो तुमने इसके साथ ऐसा किया, सोनू की समझ मे कुछ नही आ रहा है कि यह सब क्या हुआ है। उसने कहा कि मुझे नही पता कि आपकी बहिन शिवानी मुझे बता दिया होता,कुछ तो संकेत दिए होते तब शायद मैं इतिहास भूगोल ही पढ़ लेता। लेकिन अब तो टीसी कटवाकर आ गया हूँ, यह कहते ही मौका देखकर वँहा से निकल गया।
इधर शिवानी सोनू को एकटक जाते हुए देख रही है, और ना उसने सोनू को वेवफा समझा और ना खुद को तसल्ली दे पा रही है, ये उम्र का कौन सा झोंका है या कौन सा प्यार है मेरा, जिसके लिये मैंने बचपन की सभी सहेलियो को छोड़ा, माँ बाप, बहिन से लड़कर आयी, उस स्कूल को छोड़ा जिसमे पूरे शहर के अभिभवाक नेताओं से शिफारिश लगाकर एडमिशन लेते हैं, औऱ मै सब कुछ खोकर इसके लिये यँहा आई और ये कह रहा है कि आज मेरा इस स्कूल में आखिरी दिन है, इस तरह अनेको ख्याल लेकर वह आगे बढ़ी, दीदी ने समझाया कि सोनू को फिर समझायेंगे, शायद कल मान ले।
इधर सोनू की समझ मे नही आ रहा है कि यह सब क्या हुआ, अपने दोस्त हिमांशु की तरफ से इतने प्रेम पत्र शिवानी के लिये लिखे औऱ यह मेरे लिये इतना खोकर आयी है, मैं दोस्त के साथ भला कैसे धोखा कर सकता हूँ, सारी रात करवट बदल बदल कर कटी। इधर किशोरावस्था तूफान पर है, अनचाही कल्पनाओं में ना जाने क्या क्या ख्वाब देखे पल भर में तोड़ भी दिए।
अगले दिन सोनू शाम को इंग्लिश की कोचिंग क्लास में गया, वँहा भी शिवानी भी आयी हुई है, कनखियों से एक नजर सोनू को देख रही है कभी किताबो में, इधर सोनू घबरा रहा है कि ना जाने शिवानी बीच क्लास में क्या बोलती है, एक एक पल काटना मुश्किल सा लग रहा है, प्यार और डर में अंर्तद्वंद मचा है। इधर इन्ही सब के बीच क्लास छूट जाती है और सोनू डर के मारे आगे भाग जाता है कि कंही शिवानी सवाल ना पूछ लें, क्या जबाब दूंगा।
सोनू साइकिल स्टैंड की तरफ दौड़ पड़ा और जैसे ही गेट के पास पहुंचा तो उसके पाँव तले जमीन खिसक गई, वह निस्तब्ध खड़ा हो गया, सामने शिवानी की माँ और उसकी बहिन हिमानी खड़ी है, अब सोनू करे तो क्या करे,ये सब तो उसने सोचा ही नही की यह सब हो क्या रहा है, किशोरावस्था में जितना बहादुर बनता है उतना ही डरपोक भो। इधर शिवानी भी आकर खड़ी हो गयी है। हिमानी घूरकर देख रही है, लेकिन शिवानी की माँ ने सोनू की हालात देखकर समझ गयी कि यह डरा हुआ है, और प्यार से बोली कि डरो मत हम तुम्हे कुछ नही कहेंगे बस तुम पहले वाले स्कूल में ही एडमिशन ले लो, यह शिवानी बिल्कुल नही मान रही है, हम तो दोनों को समझा ही तो सकते हैं, तुम तो जानते हो कि शिवानी के पापा को यह बात पता चलेगी तो सब कुछ बिंगड़ जाएगा। सोनू की समझ मे कुछ बाते आ रही है और कुछ नही। बस एक ही बात कही की अब कुछ नही हो सकता मैने नए स्कूल में एडमिशन ले लिया है, ओर मुझे तो इस बारे मे कुछ पता नही। सोनू ने कहा कि शिवानी को उस स्कूल में कुछ दिक्कत नही होगी, मैं उसकी हर चीज में मदद करूंगा, कोई उसे वँहा परेशान नही करेगा। यह सुनकर हिमानी ने कहा कि यह सब हम जानते हैं, लेकिन तुम्हारे लिए एडमिशन लिया और तुम ही नही हो तो सब बेकार है। कुछ देर तक यही बाते होती रही लेकिन कोई निर्णय नही निकल सका। शिवानी अपनी माँ के साथ गर्दन नीचे करके जा रही हैं और सोनू वँहा से साइकिल से घर की तरफ भाग गया है।
खैर उम्र का झोंका दूसरी तरफ़ मुड़ गया है, सब अपने अपने पढ़ने लिखने मौज मस्ती में खो गए हैं, चार साल बीत गए हैं, दोनों ने अलग अलग कॉलेज में ऐडमिशन ले लिया है, एक दूसरे को मिलना कभी नही हुआ। एक दिन सोनू अपने पिताजी के साथ बाइक पर बाजार से आ रहा है, बाइक सोनू चला रहा है पीछे पिताजी बैठे हैं, इतने में चौक के सामने साइकिल पर सवार लड़की पर सोनू की नजर पड़ती है, वह लड़की कोई औऱ नही बल्कि शिवानी है, सोनू ने बाइक की स्पीड धीरे कर दी है, लेकिन गाड़ी रोक नही सकता औऱ चाहकर भी बात नही कर सकता है, क्योंकि पीछे तो आर्मी के कड़क अधिकारी के रूप में अनुशासीत बाप जो बैठे हैं, बड़ी कशमकश की स्थिति हो गयी है, उधर शिवानी की नजर जब सामने सोनू पर पड़ती है तो उसके हाथों से वंही पर ब्रेक लग गए हैं और सोनू को अपनी ओर आते हुए देख रही है, औऱ पूरी उम्मीद है कि ज्यादा कुछ नही तो हाल चाल तो पूछ ही लेगा, लेकिन सोनू चाहकर भी कुछ नही कर पा रहा है, जैसे जैसे बाइक आगे बढ़ रही है सोनू की निगाहें शिवानी के चेहरे से हट नही रही हैं, और शिवानी मूर्ति बनकर सोनू की आंखों ही आंखों में सवाल कर रही है ,कि इतने भी रूखे तो ना बनो। सोनू ने पिताजी के डर से शिवानी के बगल से गुजरते वक्त गर्दन भी नही घुमा पाया बस जितनी घूमी होगी आखों की पुतलियां। लेकिन शिवानी के आंखों में मोती की बूंदे टपटप गिरने लगी और तब तक सोनू को देखती रही जब तक वह दिखाई दे रहा है। उसके बाद कभी एक दूसरे को मिलना नही हुआ। कुछ सालों बाद सोनू ने शिवानी के बारे में जानना चाहा पर उसे कुछ पता नही चला। फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम सब में ढूंढ लिया पर शिवानी नही मिली। सोनू की शादी हो गयी है ,एक दिन पत्नी ने सोनू को उसके स्कूल लाइफ के बारे में लिया और सोनू ने यह सब सुना दिया, तब सोनू की पत्नी के मुंह से निकला कि काश एक बार उसने बता दिया होता तो तुम इतिहास के प्रवक्ता होते आज।