दीया ने अजय को फ़ोन कर कहा कि शाम को आते हुये सब्जी लेते आना, सुबह के लिये नाश्ते के लिये कुछ नही है, अजय ने इस सबका उत्तर हम्म करके दिया और फ़ोन काट दिया। अजय की ऑफिस से छुट्टी के बाद घर आते वक्त रास्ते मे पड़ने वाली सब्जी मंडी गया। वँहा उसने कुछ मटर, गोभी, पालक, टमाटर लिये, एक पाव प्याज लिया। जैसे ही वह गाड़ी से जाने को तैयार हुआ बारिश की बूंदे पड़नी शुरू हो गयी, उधर से ठेली वाले ने आवाज लगायी सर्दी का मौसम है, गाजर ले ले सस्ती है शाम का एक दाम, घर ले जाइए और गाजर का हलवा ठंड में स्वाद से खाइए। गाजर का नाम सुनते ही अजय के मुंह मे पानी आ गया। वैसे भी दीया बहुत अच्छा गाजर का हलवा बनाती है, मास्टर सैफ देखकर, और यू ट्यूब देखकर उसने कई व्यंजन बनाने सीख लिए। लेकिन अजय कभी अपनी पसंद नही बताता, जो बना है वह खा लेता, बस एक गाजर की सब्जी, बैगन की सब्जी, और, बीन्स की सब्जी वह कम पसंद करता था। दीया हमेशा कहती कि कल रविवार है, क्या स्पेशल आपके लिये बनाऊ तो अजय का एक ही जबाब होता जो मर्जी बना लो मैं तो कुछ भी खा लूंगा, तब दीया उसे चिढ़ाने के लिए कहती कि कल फिर तो बैंगन की सब्जी बना लेती हूँ। अजय भी उसे छेड़ता और कहता कि बना लो मैं तो चटनी में खा लूंगा। हल्की बारिश की फुहारों के बीच अजय ने हलवे की चाह में तीन किलो गाजर खरीद लिए, घर के लिये निकल पड़ा।
इधर दीया ने अजय के लिये उसकी पसंदीदा अरबी की सब्जी और चने की दाल बना रखी थी, और अजय के कपड़ो पर प्रेस कर रही थी, मंडुवे की गरम गरम रोटी उसी समय बनाकर खिलाऊँगी। उधर अजय भी घर आ गया और दीया को सब्जी का बैग पकड़ाते हुये कहा कि ये लो जी आपकी सब्जी। दीया ने गाजर को देखते ही समझ गयी कि अजय का गाजर का हलवा खाने का मन है, बिना कुछ कहे ही अंदर किचन में रखने चली गयी। उसके कुछ देर बाद अजय के लिए गर्मागर्म रोटी सब्जी औऱ दाल आ गयी। फिर दीया ने किचन का काम निपटाकर खुद खाया, और ठंडे पानी मे बर्तन धोकर, अजय के कपड़ो को आलमारी में रखने लगी। सुबह अजय को जल्दी जाना होता है, इसलिये शाम को ही सब्जी काटकर रख दी। अजय अपने फोन पर व्यस्त रहता।
सुबह दीया ने आलू मटर और उसमे एक गाजर भी डाल दिया क्योकि दीया को गाजर किं सब्जी बहुत पसंद है। उसने बड़े ही सफाई से अजय की सब्जी की कटोरी में गाजर के एक भी टुकड़े नहीं जाने दिए, खुद के लिये अलग निकालकर रख दिये। अजय ने नाश्ता शुरू किया एक छोटा सा टुकड़ा गाजर का गया, यह देखकर अजय ने झल्ला कर कहा कि तुमको पता है मैं गाजर की सब्जी नही खाता फिर भी तुमने बना दी है। दीया ने कहा कि अरे मेरा मन कर रहा था तो आधा गाजर मैंने मिला दिया है, बस एक टुकड़ी आपके हिस्से में आ गयी होगी, आप उसे किनारे रख दो।
उधर बच्चे की स्कूल की सर्दियों की छुट्टी हो गयी, दीया ने सोचा 10- 12 दिन के लिये मायके चली जाती हूँ। मायके जाने से पहले गाजर का हलवा बना दिया, किचन में सब दाल डिब्बों में सामने भरकर रख दिये , जो कपड़े थे धोने के लिये वह सब धोकर उन पर इस्तरी कर तहजीब से रख दिये। शाम को अजय को सब बता दिया कि कौन सी चीज कँहा रखी है, क्या कैसे है, बिस्कुट, नमकीन सब बता दिए।
अगले दिन सुबह दीया ने नाश्ते के समय ज्यादा आटा गोंदकर फ्रीज में रख दिया, ताकि शाम को अजय आये तो उसे कोई दिक्कत नही हो। उसके बाद वह बेटी को लेकर मायके चली गयी।
शाम को अजय घर आया तो उसे अजीब सा लगा, जँहा किचन में बर्तन की खनखनाहट होती आज वँहा शांत हो रखा है, इधर कमरे भी गैर सा लग रहा था। कुछ देर तक वह समाचार देखता रहा फिर किचन की तरफ गया फ्रीज खोलकर देखा तो गाजर का हलवा, और दाल उबाल कर रखी हुई थी आटा गूंदा हुआ था। उसने फटाफट दाल छोंकी, और आधी टेढ़ी मेढ़ी रोटी बनाई और गाजर का हलवा गरम कर खा लिया। ठंडे पानी मे बर्तन धोते धोते उसकी सिसकारी निकलने लगी। आज ना तो अजय सोशल मीडिया देख पाया और ना ही कुछ टीवी में देख पाया। कुछ देर बाद वह बिस्तर पर लेटा लेकिन नींद नहीं आईं।
अगले दिन सुबह ही अजय उठा, और अपने लिये चाय बनाई, फिर पानी भरा, खुद ही, झाड़ू लगाया, नहाया, पूजा करते करते उसके ऑफिस जाने का वक्त हो गया, उसने फटाफट मैग्गी बनायी और खांकर निकल गया। एक हप्ते तक कभी बाहर खा लिया कभी नही खाया, दाल को चार टाइम तक चलाया, कपड़े सब धोने के लिये हो गए, पूरा कमरा बिखरा हुआ था, किचन में भी बर्तन इधर उधर फैले हुए , सब अस्त व्यस्त हो रखे थे।
एक दिन ऑफिस के काम से देरी हो गयी तो अजय ने सोचा कि घर जाकर कौन खाना बनाये रास्ते मे ढाबे में ही खा लेता हूँ। देर काफी हो गयी तो ढाबे वाला भी दुकान बढाने की तैयारी कर रहा था, अजय ने कहा कि कुछ है, ढाबे वाले ने कहा कि अरहर की दाल और गोभी मटर की सब्जी है। अजय ने कहा कि ठीक है यही पर लगा दो, अजय जैसे ही खाने लगा उसके मुंह मे गाजर का टुकड़ा चला गया, लेकिन आज चुपचाप खा लिया क्योकि ढाबे वाले ने पहले ही कह दिया कि अब सब खत्म है, बस यही बचा है, मन मसोरकर अजय को खाना पड़ा, तब उसे अपनी पत्नी दीया की अहमियत समझ आई। घर आकर उसने वीडियो कॉल कर दीया को कहा कि जल्दी आ जाओ, यह घर तुम बिन अधूरा है।
©®@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से। ✒📝✒✒ 09/ 01/ 2020।