अगले दिन सभी का परिणाम घोषित किया गया, जिसमें सुशील के सबसे ज्यादा नम्बर थे, इस बात से रौनक और शिवम के साथ अनु को भी चिढ हो गयी और उसके साथ वह अब ज्यादा ही मजाक करने लगे। अक्सर कैंटीन या दुकान में उसका मजाक और माखौल उड़ाते रहते, शुरू शुरू में तो सुशील चिढता था, और कई बार उनसे भीड़ भी जाता, लेकिन ईधर रश्मि से उसकी दोस्ती हो गयी अब रश्मि और वह साथ ही रहते, उसके दोस्त उसको चिढाते और रश्मि को कहते कि यार तुम भी किससे दोस्ती कर रहे हो, थरमस पर चाय बेचने वाले बाप का बेटा है, कितना भी होशियार क्यों न हो बेचनी तो उसने चाय ही है। यह बात रश्मि को नागवार गुजरती।
एक दिन रश्मि को रौनक के पिताजी के ऑफिस में कुछ काम था, रौनक को रश्मि ने कहा कि आपके पिताजी मेरी कुछ मदद कर सकते हैं, रौनक के पिताजी ठहरे अधिकारी, कोई काम तभी करते जब दो नोट मेज के नीचे से मिल जाते या कोई अच्छा सा गिफ्ट मिल जाता। मदद करनी तो उनके स्वभाव में ही नहीं था। अगले दिन सुशील और रश्मि ऑफिस में अपने प्रमाण पत्र का रिनीवल कराने गये । रौनक का परिचय देते हुए रश्मि उसके पिताजी से मिली, लेकिन रौनक के पिताजी ने सीधे मुॅह बात तक नहीं की। सुशील ने कहा कि यार ये कुछ मदद नहीं करने वाले हम दूसरे अधिकारी के पास जाते हैं। वहीं बाहर रौनक के पिताजी के बारे में बात चल रही थी कि वह तो बिना लेन देने का कुछ काम नहीं करते हैं, बहुत ही ज्यादा भ्रष्ट हैं। लेकिन सुशील और रश्मि ने अपना आवेदन पत्र देकर वह सीधे कोचिंग सेण्टर में आ गये। वहॉ पर वह अपने पढाई में लगे रहते रौनक और शिवम को जैसे ही सुशील का मजाक उड़ाने का मौका मिलता वह उसका बहुत गंदा मजाक उड़ाते। सुशील को गुस्सा आता लेकिन रश्मि उसे नजर अंदाज करने को कह देती, और कहती कि तुम्हें इनको जबाब लड़ झगडकर नहीं बल्कि अपनी मेहनत के बलबूते और समय आने पर देना है, अभी अपनी एनर्जी बेकार में इन सब बातों पर बरबाद मत करो।
समय की गति धारा प्रवाह के साथ आगे बढ रहा था, अचानक रौनक के पिताजी को हार्ट अटैक आ गया और उसी अस्पताल में भर्ती हो गये जिस अस्पताल में सुशील के पिताजी चाय थरमस पर मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए ले जाते थे, रौनक अपने पिताजी के साथ कमरे में उनकी देख रेख कर रहा था, अचानक सुशील भी वहॉ चाय लेकर उनके कक्ष में आया तो रौनक अपने पापा के पास उदास सा खड़ा था। रौनक को देखकर सुशील ने कहा अरे रौनक तुम यहॉ, यह कौन हैं, रौनक ने बताया कि उसके पापा को हार्ट अटैक आ गया है, डॉक्टरों ने कहा कि ब्लॉकेज बढ गये हैं, जिसके लिए छल्ले डालने पड़ेगे। इतने में सुशील को रश्मि का फोन आ गया कि जरूरी काम है, मुझे अस्पताल के बाहर मिलो, सुशील ने रौनक से कहा कि तुम ध्यान रखो, मैं अभी जा रहा हॅू थोड़ी देर बाद मिलता हॅूॅ। रौनक तुम मुझे चाय वाले का बेटा कहकर बोलते हों ना आज मेरे पापा के हाथ की बनी अदरक और थरमस वाली चाय पी, मैं तेरी कुछ मदद करता हूॅ।
सुशील रश्मि को मिलने आ गया, ईधर रौनक के पिताजी ने कहा कि यह लड़का कौन है, एक दिन यह और एक लड़की मेरे ऑफिस में अपना सर्टिफिकेट रिन्यूवल करवाने आये थे और तेरा नाम लेकर कह रहे थे कि वह दोनों तेरे साथ कोचिंग करते हैं। रौनक ने कहा कि यह सुशील है और उसकी दोस्त रश्मि आपके पास आयी होगी, इसके पापा की अस्पताल के बाहर चाय की दुकान है, सबको वह थरमस पर लाकर चाय पिलाते हैं, इसलिए हम सुशील को चाय वाला कहकर बुलाते हैं। रौनक के पापा ने कहा कि बेटा कभी किसी के व्यवसाय का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए देखो आप उसका मजाक उड़ाते हो फिर भी वह तुम्हे यहॉ पर शालीनता से मिला और उसके पापा ईमानदारी से कमाते हैं, जबकि हम इतना वेतन लेने के बाद भी दो नम्बर का धन तुम्हारे शान शौकत और भविष्य सुरक्षित रखने के लिए कमाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं, उस दिन भी मैनें इनका काम नहीं किया जिसका अफसोस मुझे हो रहा है।
उधर सुशील ने रश्मि को रौनक के पापा के बारे में बताया कि वह यहॉ भर्ती हैं, इतने में सुशील के पिताजी ने कहा कि मैं यहॉ पर कॉर्डियालाजिस्ट को जानता हॅू और उनसे इनके इलाज के बारे में बात करता हॅू। सुशील के पिता ने अदरक वाली तेज चायपत्ती की कम मीठे वाली चाय बनायी और डॉ अग्रवाल के पास लेकर गये और कहा कि सर यह चाय आपके लिए है। डॉ अग्रवाल को रौनक के पापा के बारे में बताया कि वह प्राईवेट कक्ष 04 में भर्ती हैं, और वह मेरे बेटे के दोस्त के पिताजी हैं, जरा उनका ध्यान रखना। डॉ अग्रवाल सुशील के पिताजी के व्यवहार से बहुत खुश रहते थे, साथ ही उनकी ईमानदारी के बारे में पूरे अस्पताल में चर्चा होती थी, इस कारण डॉ अग्रवाल ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया।
ईधर सुशील और रश्मि भी रौनक के पिताजी को मिलने के लिए उनके कक्ष में गये और उनका हाल चाल जाना, इतने में डॉ अग्रवाल वहॉ चैकअप के लिए आये और रौनक के पिताजी को कहा कि आप निश्चिंत रहिए आप गुप्ता जी यानी सुशील के पिताजी के जानकार हो तो हमारे भी जानकार हो। आप जानते हो कि गुप्ता जी के ईमानदारी और मेहनत के किस्से हर किसी के जुवान पर रहते हैं, आज इनका बेटा मेडिकल की कोचिंग ले रहा है, जिसके लिए हम सभी उनका मनोबल बढाते हैं, और इनका बेटा यहॉ पर कभी कभी चाय देने भी आता है, यह बात रौनक भी सुन रहा था, आज रौनक को लगा कि वास्तव में ईमानदारी और मेहनत करने वालों की हर जगह बात और मॉग होती है, उसे बहुत पछतावा हो रहा था साथ ही उसके पापा को भी पछतावा हुआ कि काम छोटे हों या बड़े लेकिन काम में ईमानदारी हो और व्यवहार नम्र हो तो सब आपके साथ खड़े होते हैं। उस दिन के बाद रौनक ने कभी सुशील का मजाक नहीं उड़ाया बल्कि हर छोटे बड़े काम करने वालों को इज्जत से बात करना सीख गया।