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नानी का घर

19 जून 2023

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  बेटा बच्चों की गर्मियों की छुट्टियॉ हो जायेगी तो सब लोग आ जाना, यह सब बातें नंदिता अपने तीनों बेटियों और दोनों बेटों को कहती है।  नंदिता और उनका पति देवेन्द्र अकेले घर में रहते हैं, उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता कि उनके नाती पोते द्योते सब गर्मियों की छुट्टियों में यहॉ आये कुछ दिन घर में बच्चो का कौतुहल रहे, जिससे उनका मन कुछ दिन तक बहल सके।  देवेन्द्र पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे, बस महीने में मिलने वाली तनख्वा जीवन निर्वाह का एक मात्र साधन था। नंदिता थोड़ी बहुत सिलाई बुनाई का काम जानती थी, घर के कार्यां से जब भी समय मिलता वह आस पडौस के लोगों की ड्रेस आदि सील लेती और सर्दियों में दो चार स्वेटर बुन लेती, जिससे घर की साग भाजी और दूध का खर्च निकल जाता। बच्चों को मिडिल क्लास स्कूलों में पढाकर उन्हें अपने पैरों में खड़ा कर दिया और बेटियों की शादी भी अपने हैसियत के अनुसार अच्छे घरों में कर दी।
   देवेन्द्र के सेवानिवृत्ति के बाद नंदिता ने भी सिलाई बुनाई का काम छोड़ दिया, उम्र का पड़ाव ही ऐसा था कि अब मशीन की सुई में  धागा डालने के लिए भी चश्मा साथ नहीं देता है, तब किसी पड़ौसी की सहायता के लिए बुलाओ, या किसी परिचित की खुशामद करो। पेंशन से दोनों का गुजारा हो रहा है, कभी बेटे बहु या बेटियां भी मॉ को जबरदस्ती कुछ रूपये पकड़ाकर चले जाते,जिससे उनकी छोटी मोटी आवश्यकतायें पूरी हो जाती। देवेन्द्र बाबू ठहरे परम संतोषी, नौकरी के दौरान उन्होंने कभी ऊपर की कमाई की नहीं सोची, बस ध्यान दिया तो इतना कि जिससे घर चल सके।
   हर गर्मियों की छुट्टियों में नाती पोते आ जाते तो उनकी देखभाल और उनके साथ समय कब व्यतीत हो जाता पता ही नहीं चलता, नाती पोतों के से ज्यादा इंतजार देवेन्द्र और नंदनी को रहता, क्योंकि अब दोनों ही साथ रहते, देवेन्द्र टीवी में समाचार देखने में व्यस्त रहता तो भी नंदिता अपनी पंसद की सीरियल देख लेती लेकिन टीवी भी देखें तो कितना।  अब पहले जैसा काम भी नहीं रह गया है, घर में काम करने के लिए मेड लगा रखी है घर का झाडू पोछा वह कर लेती बर्तन वह धो लेती, कपड़े मशीन में धुल जाते है, बस नंदनी का काम दोनें के लिए नाश्ता और दिन एवं रात का खाना बनाना ।  जवानी में तो काम से फुर्सत नहीं मिलती थी, अब दिन में सो जाय तो रात को नींद नहीं आती है, पहले दिन में तो सोने की कल्पना करने का तक वक्त नहीं मिलता था,  उस समय रात को भी नींद पूरी हो जाये वही काफी होता था।
   नंदिनी ने अपनी पति देवेन्द्र से कहा कि अब बच्चे आने वाले हैं, उनके लिए बाजार से सामान ले आओ, आज के बच्चे हरी सब्जी तोरी पंसद कम करते हैं, उनके लिए तो मैगी पाश्ता और नूडल्स चाहिए होते हैं, थोड़ा बिस्किट, और अन्य बैकरी का सामान भी नहीं है, वह भी ले आते हैं। देवेन्द्र ने सहमति जताते हुए कहा कि शाम को चलते हैं, सामने ही तो बिग बाजार खुला है, वहॉ से लेकर आ जायेगे, तब तक तुम सामान की सूची बनाकर रखो। नंदिनी ने सामान  लिखना शुरू किया तो लिखते लिखते दो पेज भर गये, अपना तो आधे पेज में काम चल जाता है, लेकिन नाती पोतों के लिए कोई कमी न हो यह देखते हुए कभी जो अजूल फजूल लगने वाले सामान भी आज उसे बच्चों की मोहब्बत के आगे सब जरूरी लगने लगे।  दोनोशाम को बाजार जाकर सब सामान लिया और आज पहली बार देवेन्द्र ने नंदिता से कहा कि आज तक हम बच्चों के बारे में ही सोचते रहे, अपने लिए तो तुमने कभी सोचा ही नहीं, आज तुम भी अपनी पंसद का कुछ ले लो या फिर बाहर जाकर कुछ खा लो, ंनदिता ने उलाहना देते हुए कहा कि आज सूरज ने अपनी दिशा बदल दी है पूरब की जगह पश्चिम से उदय हो रहा है, आज तक तुमने कितनी बार बाहर जाने के लिए कहा, आज तब आये हो जब मैने बच्चों के लिए कुछ लेकर आने को कहा, तब आप आये, चलो खैर आज तुमने कहा तो सही, इसी बहाने बैठकर कुल्फी का आनंद ले लेते हैं। दोनों ने बरसों बाद इस तरह बाहर बाजार में एक साथ बैठकर कुल्फी खायी।
   अगले दिन बेटा-बहु, बेटी-दामाद नाती-पोते के साथ आ गये, घर में खूब रौनक है, नंदिनी ने सबके लिए सबकी पंसद का नाश्ता बनाकर रखा हुआ था, देवेन्द्र नाती पोतों के साथ बैठकर उनसे बातें करने में व्यस्त हो गया। सभी बेटे दामाद, बेटी, बहु, आकर अपने-अपने फोन पर लग गये, नंदिनी ने कहा पहले सभी फ्रैश हो जाओ, फिर नाश्ता करो और तब देखते रहना फोन, सबने सिर हिलाया, और एक दूसरे को देखते हुए इशारा करने लगे कि पहले तुम नहा लो, यह देखकर नंदिनी को आश्चर्य हुआ, बचपन में यह बच्चे पहले मैं नहाउंगा के लिए लड़ते थे आज फोन ने इनको इतना वश में कर लिया है कि आज यह एक दूसरे की और इशारा कर रहे हैं कि पहले तुम नहा लो। नंदिनी ने सबसे पहले बच्चों को नहलाकर उन्हें नाश्ता करवाया। ईघर देवेन्द्र सोच रहा था कि बच्चों के साथ बैठकर ही नाश्ता करूंगा, लेकिन सभी रील्स देखने में व्यस्त थे। देवेन्द्र ने फिर एक बार कहा कि चलो नाश्ता कर लो, फिर  देखता रहना फोन।
      लगभग डेढ घंटे बाद सब फ्रेश होकर नाश्ता के लिए डाईनिंग टेबिल पर पहॅुचे, सबकी पंसद का खाना बना हुआ था, सब खुश थे, और आपस में कहने लगे कि मॉ को आज तक हमारी पंसद का खाना याद है, मॉ ने कहा बेटा हमारे लिए तुम आज भी बच्चे हो भले ही तुम्हारे बच्चे हो गये हों, लेकिन मॉ के लिए हमेशा वह बच्चे ही रहते हैं। इतने में नंदिता की पोती सुहानी ने कहा नानी आपको यह सब कैसे याद रहता है, जबकि हम तो कभी कभी आते हैं, फिर भी आपको याद है। नानी ने पोती के गाल सहलाते हुए कहा बेटा हम तुमको बहुत प्यार करते हैं तो आपकी हर पंसद और ना पंसद सब जानते हैं।
   सुहानी नानी के साथ ज्यादा घुलने मिलने लगी। नानी ने कहा आप लोग आते हो तो हमें अच्छा लगता है, लेकिन अब पहले जैसे ननिहाल नहीं रहा, अब तो बस आने जाने का सिलसिला बना रहता है, ताकि दिखावे के लिए रिश्ते बचे रहें। यह सुनकर सुहानी ने कहा नानी आप ऐसा क्यों कह रहे हो, हम भी ते आप से बहुत प्यार करते हैं, इस पर नानी ने कहा बेटा तुम अभी छोटे हो, इसलिए तुम अभी हमें प्यार करते हो,जिस दिन तुम्हारे हाथ पर मोबाईल आ जायेगा उस दिन तुम भी सब रिश्तों को भूल जाओगे।
   नानी सुहानी को लेकर ड्राइंग रूम में लेकर गयी और वहॉ पर दृश्य को दिखाते हुए बोली कि देख रहे हो ये सब हमारे अपने बच्चे हैं, जब तक मोबाईल नही था तब तक यह सब आपस में बातें हॅसी मजाक, ठिठोली, करते हुए हॅसते और मुस्कराते रहते थे, हम भी अपनी पीड़ा और खुशी इनके साथ जाहिर कर लेते थे, आज कहने को तो सब एक साथ इकठ्ठे हुए हैं, कमरे में सबके शरीर तो मौजूद हैं, किंतु ध्यान और दिमाग तो सबका मोबाईल में वीडियो, या सोशल मीडिया मे  लगा हुआ है।
    बेटा आज मोबाईल ने  दूर के रिश्तों को करीब तो ला दिया है, किंतु खून के रिश्तों को अपनों से बहुत दूर कर दिया है। आप देख लो आपके मामा मामी, मम्मी पापा, नाना, बड़े भाई बहिन सब जबसे आये हैं,तब से फोन पर लगे हैं, बाहर की दुनिया तो अब रही नहीं सब आभासी दुनिया में जी रहे हैं। हमारे समये में नानी का घर जाना किसी उत्सव से कम नहीं होता था। गाँव  की कोई पगडण्डी ऐसी नहीं होती थी  जिनमे बच्चे घूमने  नहीं गये हो, पेड़ो पर झूला  झूलना, कच्चे  आम तोडना, दिन भर  मस्ती करना, इन सबसे बच्चों  को फुर्सत ही कँहा मिलती थी, उस समय की शिक्षा  नैतिक  शिक्षा  दी जाती थी, आज की शिक्षा  व्यवसायिक हो गई  है, अब बच्चे  कमाऊ  पूत कैसे  बने,  यह आज के माताजी पिताजी का मुख्य धेय  है, उस समय  गरीब अमीर छोटे  बड़े मझले  सबके बच्चे  एक साथ खेलते थे, गाँव  में लगता था की गर्मियों की छुट्टिया  हो गई है। आज के बच्चे घरों  से बाहर ही नहीं निकलते, नानी  एक स्वर में यह कहीं जा रही थी और सुहानी एक  टक बिना सवाल किये सुने जा रही थी।

     नानी ने कहा बेटा आज के रिश्तो को इस मोबाईल ने लीला लिया है, देख  लो सब खूटे पर बंधे  हुए है, तुम्हारे नाना जी और मैं  सोच रहे थे की सब आ जाएंगे तो एक साथ  मिलकर  दुःख सुख  बाटेंगे, अकेलापन दूर करेंगे  सब रील बनाने देखने में मस्त है, आज की दुनिया में दिखावा  की जो ये अंधाधुंध  प्रतियोगिता चल   रही  है  यह आने वाली पीढी  को ना जाने कौन से गड्ढे में धकेल रही है।
      नानी की बातों का असर सुहानी पर हुआ और वह अपनी माँ से कहती  है, मम्मी कल घर चलते है, उसकी बात सुनकर माँ ने कहा बेटा हम तो कुछ दिन यँहा रहेंगे नाना नानी के पास। सुहानी ने कहा माँ क्या फायदा नाना नानी से तो इतनी बात आप वीडिओ कॉलिंग से भी कर सकते हो जितना अभी कर रहे हो, यँहा आकर भी सब मोबाइल में ही लगे है  नाना नानी के पास कँहा है हम, हम तो रील्स और वीडिओ अनजान लोंगो से चैट  कर गैरों से बात कर रहे है  और नाना नानी हमारे होते हुए  भी अकेले ही है।  हम उनकी मन की जान ही नहीं पाए।
   सुहानी की बातों को सुनकर कुछ पल के लिए  पूरे  कमरे में मानो  सन्नाटा व्हा गया, और सबकी निगाहेँ झुकी हुई थी  और  आत्मा खुद को अपराध  बोध  समझ  रही थी।

हरीश कंडवाल मनखी की कलम से.

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पैतृक भूमि का सौदा

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कुछ दिन तो बिताओ मेरे ससुराल में

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मंगलू-का-संघर्ष-(-भाग--1)------

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मंगलू का संघर्ष ( भाग- 2)

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मंगलू का संघर्ष (भाग 3)

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स्कूल का पहला दिन

11 अक्टूबर 2021
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<div> <span style="color: rgb(0, 0, 0); font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;"> राजन

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मेहंदी

18 अक्टूबर 2021
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मेहंदी

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दीवाली का गिफ्ट

1 नवम्बर 2021
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दादी की सीख

1 दिसम्बर 2021
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<br style="color: rgb(0, 0, 0); font-family: Calibri, &quot;sans-serif&quot;; font-size: 14.6667px;"

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<div> सीडीएस श्री बिपिन रावत को सपत्नीक सभी सैन्य कर्मियों को भाव भीनी श्रद्धांजलि।</div><div><

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फूफा जी

25 दिसम्बर 2021
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<div> जब तक फूफा जी ससुराल के अकेले जवाई और जीजा जी थे तब तक तो उनकी खातिरदारी और रूठना चलता रह

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एक नई शुरूवात

5 जनवरी 2022
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नवीन के पापा शहर के मंत्री नये नये निर्वाचत हुये, नवीन कॉलेज जाता था, वहॉ वह भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहता। पापा के मंत्रीबनते ही उसके रंग और ढंग बदल गये, अब वह कॉलेज का जाना माना चेहर

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अदरक वाली चाय

7 जनवरी 2022
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रौनक शिवम और अनु तीनों एक कोचिंग सेण्टर में कोचिंग ले रहे हैं, तीनों के पिताजी अच्छी पोस्ट पर हैं। रौनक अच्छे परिवार से है, े पिताजी सरकारी विभाग में उच्च पद पर हैं, वहीं शिवम के पिताजी एक बिजने

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सपनों की वो सड़क

9 जनवरी 2022
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सपनों की वो सड़कअरे बेटा उठ जा जल्दी तुझे जाना भी है, अपने काम पर म कहते हुए राजन की मॉ ने राजन को उठाया। बेटा जल्दी कर पहली गाड़ी आठ बजे निकल जाती है। देर हो जायेगी तुझे, यह आवाज रंजन की कानों मे

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता) की मनोदशा।

18 जनवरी 2022
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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता)

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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जी

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता)

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<div><u> </u><span style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: -apple-system, &quot;.SFNSText-Regular&quot;, &quot;San Francisco&quot;, Roboto, &quot;Segoe UI&quot;, &quot;Helvetica Neue&quot;, &

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फजीतू

18 जनवरी 2022
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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से

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फजीतू

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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से

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पुदिनहरा (लघु कहानी) 

1 मार्च 2022
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सुनैना और सुयश की शादी को लगभग 6 साल हो गए, उनके दो बच्चे हैं। अब बच्चे बात करने के माध्यम बन गए है। बड़ी बेटी रूही जो लगभग 5 साल कि है, और छोटा बेटा लगभग 8 महीने का। घर मे जब से बच्च

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आदर ( अंतरार्ष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक)

8 मार्च 2022
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रीता ने अमन के सिर से रजाई उठाते हुए कहा कि अजी सुनते हो 07 बज गये हैं, फिर मत कहना कि जल्दी जल्दी नाश्ता तैयार करो, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है। यह कहते हुए रीता बाथरूम में जाकर ं कपड़े

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काश एक बार गया होता

27 मई 2022
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काश कि एक बार गया होता। मेघा ने रोहन के बैग में टिपिन रखते हुए कहा कि बच्चो की समर वेकेशन हो गयी है, बहुत दिन से आउटिंग भी नही हुई है, पड़ोसी रीना दीदी पूरे परिवार के साथ साउथ इंडिया घूमने ज

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कलयुगी दैत्य विवाह

4 जून 2022
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कलयुगी विवाहराजू भाई जरा टेंट इस वाले खेत में लगा दो और हाॅ काॅकटेल के लिए 8 मेज ईधर लगा देना। ईधर खाना बनाने वाले के लिए बोल दिया कि शाम के लिए मटर पनीर, मिक्स वेज, दाल मखनी सब बना देना, और&nbs

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अपनापन

20 जून 2022
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सौरभ स्कूल से लौट रहा था रास्ते में एक कुत्ता का बच्चा अपनी मॉ से बिछुड़ गया था और कूं कूं की आवाज कर खोजने की कोशिश में लगा हुआ था। सौरभ ने कुत्ते के बच्चे को गोद में उठाया और उस पर

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अनकही मोहब्बत

29 जून 2022
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सुबह के 7:00 बज रहे थे स्कूल में प्रार्थना सभा हो रही थी अजय अपनी लाइन के आगे वाली लाइन मैं किसी को ढूंढ रहा था लेकिन उसे नजर नहीं आ रहा था मन कुछ उद्वेलित था, सामने गुरुजी खड़े थे तो नजरें इधर

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अनकही मोहब्बत भाग 2

8 जुलाई 2022
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अनकही मोहब्बत भाग 2 इधर अजय ने नया साल का ग्रीटिंग कार्ड पोस्ट कर दिया है। डाकिया 4 दिन बाद मानसी के गाँव के किसी व्यक्ति के पास दे देता है। गाँव का व्यक्ति मानसी का&nbsp

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सावन की खीर

18 जुलाई 2022
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सावन की खीर सावन की झमाझम बारिश लगी हुई है, मंडुये के खेत मे भगतू ने हल लगा दिया है, भगतू की पत्नी रज्जू ने घने मंडुये की पौध को एक तरफ निकाल दी है। शाम को दूसरे खेत मे मंडुये की पौध

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छाँव

21 दिसम्बर 2022
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*छांव* ​ वर्क फ्रॉम होम होने के कारण अंकुर अपना व्यस्त शेडयूल में से कुछ समय परिवार के लिए निकाल लेता है। अंकुर ने सोचा कि चलो इस बार गॉव से माताजी और बाबू जी को साथ ले आता हॅू, कुछ दिन उनके छॉव

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दिखावा

14 मार्च 2023
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मदनलाल : अजी सुनती हो तुमने मेहमानों की लिस्ट बना दी है, मेरे ही अकेले 1000 से अधिक क्लाइंट और परिचित वकील है। उसी हिसाब से हम वेडिंग पवाइंट बुक करेंगे और मेन्यु का हिसाब करेंगे। शहर में स

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साझा घर

28 मार्च 2023
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विमल पूरे देश विदेश घूमने के बाद वह जब पहली बार अपने गाँव आया तो उसे लगा की उसने गाँव आने में देरी कर दी, उसका गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, सभी सुविधाएं जो गाँव मे होंनी चाहिए वह है, दो दिन

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बबलू और सोनू पड़ोसी हैँ, घर की एक फ़ीट चारदीवारी क़ो लेकर हुए विवाद ने उनकी मित्रता क़ो कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया। समाज में कहावत हैँ की जमीन जेवर और सम्पत

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पैंछु ( उधार)  ( आँचलिक कहानी )

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हे जी ( उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में बहु द्वारा ससुराल में अपने से बड़ो को बोले जाने वाला सम्मानित सम्बोधन) द्वी माण ( एक किलो) गहथ उधार दे दो। हमने बीज के लिए सुरक्षित स

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9 अप्रैल 2023
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अरे वो राजू देख पत्थर के नीचे अधजली बीड़ी का टुकड़ा और माचिस होगी, एक दो तीलिया कागज पर लपेट कर रखी हैं, जरा इधर तो पकड़ा, यह कहकर उसके दोस्त प्रदीप ने स्कूल का बस्ता एक किनारे रखा, और एक बड़े पत्थर

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वक्त की लाठी

26 अप्रैल 2023
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कल शाम को देर से लौटा तो श्रीमती जी ने कहा कि आपको फोन किया था कि सुबह नाश्ते और ऑफिस के लिए सब्जी ले आना, लाये हो तो इधर धोने के लिए रख दो। हमने कहा कि आज हम दूसरे रास्ते से आये है, इसलिए सब्जी नही ल

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अब क्या करू।

26 अप्रैल 2023
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घड़ी का एलॉर्म बजते ही अंकुर ने दो बार बंद किया और फिर सो गया, उधर सुनीता ने अपनी यथावत दिनचर्या के अनुसार घर का झाडू पोछा, और नाश्ता की तैयारी कर ली है । लॉकडाउन ने सुनीता को ज्यादा व्यस्त कर दिया है,

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और दोनों हॅस दिये (लघु कहानी)

25 मई 2023
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रोहित अपनी भाभी के साथ उनकी किसी रिश्तेदारी में शादी में गया था। वहॉ उसकी मुलाकात उसकी भाभी ने अपनी मौसेरी बहिन मेघा से करवायी। मेघा और रोहित एक दूसरे से मिले ही नहीं बल्की रात का डिनर भी साथ ही किय

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और दोनों हॅस दिये (लघु कहानी)

26 मई 2023
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रोहित अपनी भाभी के साथ उनकी किसी रिश्तेदारी में शादी में गया था। वहॉ उसकी मुलाकात उसकी भाभी ने अपनी मौसेरी बहिन मेघा से करवायी। मेघा और रोहित एक दूसरे से मिले ही नहीं बल्की रात का डिनर भी साथ ही किया

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बातूनी बिल्ली

26 मई 2023
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नोट: यह लेखक की कल्पना मात्र है। अक्सर एक बिल्ली हमारे घर के आस पास घूमती रहती है, कभी वह खिड़की से दीवार को फांदती है, कभी बाउंड्री में बैठकर मूछे मटकाती नजर आती है, बस सुबह शाम म्या

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नानी का घर

19 जून 2023
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बेटा बच्चों की गर्मियों की छुट्टियॉ हो जायेगी तो सब लोग आ जाना, यह सब बातें नंदिता अपने तीनों बेटियों और दोनों बेटों को कहती है। नंदिता और उनका पति देवेन्द्र अकेले घर में रहते हैं, उन्हें

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पैत्रिक भूमि का सौदा 

22 जुलाई 2023
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रमन के पिताजी बचपन में ही अपने चाचा जी के साथ मुंबई आ गये थे, उसके बाद वह मुबई के होकर रह गये। रमन ने जब भी गॉव जाने की बात कही तो उसके पिताजी हमेशा यह कहकर टाल देते कि वहॉ तो

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कमबख्त कम्बल

11 अगस्त 2023
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कमबख्त कम्बल ने रात भर सोने नही दिया,मैंने पूछा कि भाई परेशान क्यो हो, मुझे भी सोने दो। कम्बल ने कहा कि बस गर्मी क्या आ गयी तुम मुझे भूल ही गए हो। मैंने कहा नही दोस्त तुमको कैसे भूल

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अनमोल तोहफा

18 अगस्त 2023
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अविनाश ने जैसे ही फेसबुक खोला तो उसको नमिता की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी हुई थी, पहले तो गौर नही किया, सरसरी निगाह से अपडेट देखी और बन्द करके अपने ऑफिस के काम मे व्यस्त हो गया। शाम को जैसे ही फुर्सत

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बेल /लता

20 अगस्त 2023
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मैं एक बेल हूँ जो अक्सर पेड़ो पर लहराती हूँमैने बेल से पूछा कि तुम्हे कौन लपेटता है तुम्हारे हाथ तो है नही।तुम्हे रास्ता कौन बताता है तुम्हारे आंख तो है ही नही । तुम्हे कैसे पता कि तुमने जिसका सह

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मूल निवास

23 अगस्त 2023
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गज्जू 12वीं पास करने के बाद पंजाब अपने मामा के साथ नौकरी की तलाश में चला गया था, कुछ दिन तक घर में ही रहा उसके बाद वहीं उसको एक ढाबे में नौकरी मिल गयी। शुरू में ढाबे

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ओढ़

28 अक्टूबर 2023
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हल लगाते हुए भगतू के बैल ओढ को पार करते हुए दूसरे भाई जगतू के खेत में घुस गये, इतने में जगतू की पत्नी विमला ने यह सब देख लिया, और उसने बिना जाने ही गाली देनी शुरू कर दी। हल्ला और गाली सुनकर जगतू

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हिट एंड रन क़ानून

3 जनवरी 2024
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हाल ही में लोकसभा में पारित भारतीय दण्ड सिंहंता का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता रखा गया है, जिसमें कुछ कानूनों के प्रावधान बदले गये हैं, जिसमें से एक कानून हिट एण्ड रन है। भारतीय दंड सहिंता के सैक्शन

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अहमियत

9 जनवरी 2024
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दीया ने अजय को फ़ोन कर कहा कि शाम को आते हुये सब्जी लेते आना, सुबह के लिये नाश्ते के लिये कुछ नही है, अजय ने इस सबका उत्तर हम्म करके दिया और फ़ोन काट दिया। अजय की ऑफिस से छुट्टी के बाद घर आत

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मानसिक पलायन

17 फरवरी 2024
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मानसिक पलायन गरीबी और लाचारी ने तो परिवार को पहले से ही दबा रखा था ,इधर भाईयों और 02 बहिनों की पढायी के बोझ को देखते हुए नौकरी करने सतीष 12 वीं के बाद अपने मामा के साथ म

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भिटोली

28 मार्च 2024
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भिटोली रोहित दो दिन की छुट्टी ले लो, रेनू ने टिपिन पैक करते हुए कहा, रोहित यार अभी तो मार्च फाईनल चल रहा है, और फिर महीने की शुरूवात में बॉस नये टारगेट दे देते

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