कुमुद ने बीएससी बायोलॉजी से की थी उसके बाद उसकी शादी हो गई कुमुद का पति सागर बैंक मैनेजर थे वह और कुमुद चाहते थे की कुमुद भी जॉब करें। शादी के डेढ़ साल बाद उनका बेटा हो गया, अब सागर और कुमुद की जिंदगी में उनका नन्हा सा बेटा अंशुल आ गया था। कुमुद का ध्यान अब बेटे की परवरिश पर हो गया, इसी के चलते वह गृहणी बन कर रह गई। जँहा कुमुद विज्ञान की विद्यार्थी थी, वंही उसकी रुचि आधात्म में भी थी। बेटे को संस्कार देती, सब बातें सिखाती। सनातन धर्म का ज्ञान भी पढ़ाई के साथ साथ देती।
समय पर आज तक किसने बेड़िया लगाई, समय तो मुट्ठी की रेत कि भांति होता है, कितना भी मुट्ठी को बंद कर लो रेत मुट्ठी से फिसल ही जाता है। ऐसे ही समय व्यतीत गया, सागर औऱ कुमुद की जिम्मेदारी अब अंशुल को कामयाब बनाना था। अंशुल 12 वी में था उसे भी अपनी माँ की तरह बायोलॉजी विषय पसंद था, वह माँ से अक्सर हर विषय पर चर्चा करता।
अंशुल बड़ा होता जा रहा था, दोस्तो के साथ अब समय ज़्यादा देने लगा साथ ही उसकी सोच भी परिवर्तित होने लगी। अब वह तार्किक होने लगा साथ ही उसे आध्यात्मिक बातों में रुचि धीरे धीरे खत्म और वह विज्ञान पर ज्यादा विश्वास करने लगा, क्योकि उसे स्कूल ट्यूशन में सब जगह ऐसी ही चर्चा देखने को मिलती।
कुमुद का अहोई अष्टमी का व्रत था पूजा पाठ करके अंशुल को प्रसाद देने गईं तो अंशुल ने माँ को कहा कि माँ आपने भी तो चार्ल्स डार्विन का विकास वादी सिंद्धांत पढा होगा, मुझे इसमे बहुत रुचि है, और मुझे डार्विन की तरह वैज्ञानिक बनना है। माँ आप तो पढ़ी लिखी हो आप भी कँहा ये व्रत आदि में विश्वाश करती हो, विज्ञान तो प्रमाण कि बात करता है, आपका आध्यात्म विश्वास की।
माँ उसकी बात पहले सुनती रही, फिर उसने कहा जिस डार्विन के विकासवादी सिद्धान्त कि बात कर रहे हो ना उससे भी पुराना है, हमारा आध्यात्मिक विज्ञान, हमारे सनातन धर्म ने इस विकासवादी सिद्धान्त को आपके प्यारे डार्विन से बहुत पहले सिद्ध कर दिया था।
माँ की बात सुनकर अंशुल ने कहा आप तर्क के आधार पर बात करो, कुमुद ने कहा बेटा ध्यान से सुनना, मैं तर्क सहित इसे साबित करूंगी।
जब तुम छोटे थे तब मैंने तुम्हे भगवान विष्णु के दशावतार के बारे में बताया था, यह दशावतार विकासवादी सिद्धान्त का पहला प्रमाण है। तुम और तुम्हारा डार्विन क्या नही जानते वही बताती हूँ।
विष्णु जी का पहला अवतार था मत्स्य अवतार, जिसमे उन्होंने मछली बनकर प्रलय से पृथ्वी को बचाया था। भगवान विष्णु मछली इसलिये बने की जीवन का आरंभ पानी से हुआ, यही तुम्हारा विज्ञान भी बताता है। बेटा माँ की बात ध्यानपूर्वक सुनने लगा।
उसके बाद आया कूर्म अवतार जिसमे भगवान विष्णु कछुवा बने, इसका मतलब हुआ कि जीव पानी से धरती की ओर जाने लगा, तुम्हारे विज्ञान की अवधारणा में उभयचर कहते है, कूर्मावतार में विष्णु जी ने कछुवा बनकर समुद्र से धरती की ओर जाना विकास को बताया।
अब बेटा तीसरा अवतार था वराह का यानी जंगली सुवर, जिसका अभिप्राय है कि जंगली जानवर में बुद्धि नही होती है, जिसे तुम्हारे विज्ञान में डायनासोर कहते है, यह बात सही है या नही, प्रश्न वाचक दृष्टि से अंशुल को देखा, अंशुल माँ को आश्चर्यचकित होकर देख रहा था।
उसके बाद भगवान विष्णु का चौथा अवतार था नृसिंह का। जिसमे वह आधा शेर औऱ आधा मानव बने, जो यह दिखाता है कि जंगली जानवरों से बुद्धिमान मानव कि ओर जीवो विकास।
अंशुल की रोचकता बढ़ती जा रही थी, अब वह तर्क नही बल्कि आग्रह करने लगा कि माँ आगे बताओ, माँ ने कहा कि अब हम बात करते है पांचवे अवतार वामन अवतार की। यह जीव का विकास कि अगली अवधारणा थी। इस वामन अवतार में उन्होंने बताया कि जो बौना वह लम्बाई कि ओर बढ़ सकता है, तुम्हारे विज्ञान की भाषा मे मानव दो प्रकार के होते थे एक होमो इरेटेक और दूसरा होमो सेपियंस, जिसमें होमो सेपियंस ने लड़ाई जीत ली। अंशुल माँ के मुंह पर निकलने वाले तेज और ओज पूर्ण वाणी से प्रभावित हो रहा था।
कुमुद ने कहा आगे सुन बेटा, भगवान विष्णु का छठा अवतार था परशुराम जी, जिनके पास फ़रशे की ताकत थी, यह वह मानव जो गुफाओ में और वनों में रहकर ताकत के बल पर जीवित रहते थे, जो गुस्सेल प्रवृत्ति के साथ सामाजिक नहीं थे।
अब सातवां अवतार था भगवान राम का , जिसमे भगवान राम का व्यक्तिव विकास हुआ, ।जो सामाजिक हुए और उन्होंने समाज के लिये मर्यादा में रहने के नियम बनाये और रिश्तों को आधार बनाया, यही आपके विकास वादी अवधारणा भी है।
अब भगवान विष्णु का अगला अवतार था श्रीकृष्ण, जिसमे भगवान कृष्ण ने बाल जीवन लीलाये, एक प्रेमी, एक कुशल राजनीतिज्ञ राजनेता, कूटनीतिक एवं समाज के नियमो में रहकर आनंद कैसे लिया जाता है यह सिखाया, साथ ही सामाजिक बंधनो में रहकर कैसे सामाजिक बनकर जीवन का आनंद लिया जा सकता , यह सिखाया।
नवा अवतार था भगवान महात्मा बुद्ध, जो नृसिंह अवतार से होकर बुद्ध अवतार तक विकास यात्रा करने के बाद जिन्होंने मानव के सही स्वभाव को खोजा, और मानव रूप में ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की , जिसे तुम्हारा विज्ञान अभी तक खोज रहा है।
अब अंतिम अवतार जिसे कल्कि अवतार कहा जायेगा, जिस मानव रूपी रोबोट पर तुम काम कर रहे हो, वह कल्कि अवतार उससे भी तेज होगा, एवं मानव के आनुवंशिक रूप में अति श्रेष्ठ मानव होगा।
अंशुल अपनी माँ की अर्थपूर्ण बातों एवं दर्शन को देखकर अवाक था, और उसने माँ के दिए हुए प्रसाद को श्रद्धा पूर्वक शीश नवाकर ग्रहण किया। आज अंशुल को अपने सनातन धर्म पर गर्व था।
कुमुद ने कहा कि बेटा ज्ञान विज्ञान तभी जागृत होता है, जब हम आध्यात्मिक तौर पर एकाग्र होकर मनन और चिंतन करते हैं, इसलिये अपने सनातन धर्म को अंध विश्वास नही बल्कि इसकी सार्थकता को समझकर आगे बढो।
संदर्भ: साभार मुक्ता संग्रह।।
©®@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।