फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से ही पार्टी से जुड गये थे और पार्टी के प्रति उनका अथाह प्रेम था। वह कभी दूसरी पार्टी के बारे में जाने की सोच ही नहीं सकता था। फजीतू ने छात्र जीवन से ही पोस्टर बैनर, से लेकर झंण्डे डडें बोकना शुरू कर दिया था। टेण्ट लगाना, पार्टी के नेताओं के लिए कुर्सी से लेकर चाय पानी की व्यवस्था करना प्रमुख था। फजीतू के पास अथाह धन सम्पत्ति नहीं थी इसलिए चुनाव नहीं लड़ पाया। फजीतू अपने क्षेत्र के विधायक कलीराम का सबसे खास आदमी था। कलीराम मौकापरस्त था, जब पार्टी ने उसे टिकट देने के लिए मना कर दिया तो वह दूसरे दल में शामिल हो गया। फजीतू को भी अपने साथ चलने को कहा, क्योंकि फजीतू जैसे समर्पित कार्यकर्ता मिल पाना वहॉ सम्भव नहीं था। कई लुभावने दिये लेकिन फजीतू ने पार्टी से दगबाजी करना बेईमानी समझी।
कलीराम तो दूसरे दल में शामिल हो गया और फजीतू का साथ छूट गया। अब फजीतू नये उम्मीदवार के लिए दिन रात मेहनत करने लग गया। उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। ईधर कलीराम चुनाव जीतकर मंत्री बन गया, और उसने फिर फजीतू को फोन करके कहा कि वह मेरे लिए काम करे मैं तुझे ठेके दिलवा दूंगा। फजीतू ने कलीराम को स्पष्ट मना कर दिया। ईधर फजीतू के यहॉ से जो प्रत्याशी खड़ा था वह चुनाव हार गया, लेकिन फजीतू का अपने विचारधारा के प्रति बिल्कुल भी ईमान नहीं डोला और पार्टी को पुनः ऊपर उठाने के लिए प्रयास करता रहा।
फजीतू अपने विपक्ष पार्टी जो चुनाव जीत चुका प्रत्याशी खड़क सिंह के कामों की आलोचना करता, सोशल मीडिया पर उसकी बुराई करना मजबूरी थी। ईधर खड़क सिंह की पार्टी में फिर अनबन शुरू हो गयी और उसने पार्टी छोड़ फजीतू की पार्टी में सदस्यता ग्रहण कर ली। पार्टी ने भी उसे टिकट दे दिया, क्योंकि वह पिछली बार का जीताउ उम्मीदवार था। खड़क सिंह को जैसे ही टिकट मिला वह फजीतू से मिलने अपने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ उसके घर गया और फूल मालाओं से उसको लद दिया। फजीतू इससे पहले कुछ कहता खड़क सिंह ने उसे अपना भाई और चुनाव का मुख्य परामर्श टीम का सदस्य बना दिया। फजीतू आज तक जिसे गाली देता आ रहा था, वहीं खड़क सिंह को फजीतू फूटी ऑख नहीं सुहाता था आज वह नैनों का तारा बन गया था। राजनीति में दुश्मन दोस्त बन गया और कलीराम जो सबसे खास दोस्त था वह दुश्मन बन गया। फजीतू को हाईकमान ने भी कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ता के तौर खड़क सिंह के लिए काम करे, फजीतू के जैसे सभी कार्यकर्ता मन ही मन कुढे हुए थे आज उन्हें विरोधी कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी का झण्डा डंडा और पोस्टर लगाने पड़ रहे हैं, फजीतू जैसे कर्मठ कार्यकर्ता पूरी तरह से टूट चुका था, उसने मजबूरी वश बैनर पोस्टरों का थैला उठाया और गाड़ी के पीछे मन मसोरकर जबरन बैठ गया।