नवीन के पापा शहर के मंत्री नये नये निर्वाचत हुये, नवीन कॉलेज जाता था, वहॉ वह भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहता। पापा के मंत्रीबनते ही उसके रंग और ढंग बदल गये, अब वह कॉलेज का जाना माना चेहरा हो गया। कॉलेज पढने जाने वाली हर लड़की उसे अपना ब्वाय फ्रेंड बनाने या उसके करीब रहने के अनेकों बहाने ढूॅढती, उधर उसके साथ के मित्र भी खाने पीने सिनेमा देखने के लिए नवीन के आस पास मॅडराते रहते। युवा खून और जुनून हमेशा गरम होता है जिस पर नियत्रंण पाना बहुत कठिन होता है।
नवीन बिना हैलमेट पहने सड़कों पर रेस लगाते हुए सड़क पर दौड़ता कभी पीछे की सीट पर एक तो कभी दो लड़कों को लेकर मानों हवा में उड़ता। ट्रैफिक लाईट हो या उसके नियम उसकी धज्जियां उड़ाना तो उसके लिए अब आम बात हो गयी थी। एक दिन वह कॉलेज के लिए निकला और चौराहे पर चैंकिग चल रही थी बिना हैलमेट पहनने वालों का चालान कट रहा था, नवीन ने हीरोगिरी दिखाते हुए गाड़ी पीछे से निकाल दी। वहॉ पर खड़े ट्रैफिक इंसपैक्टर ने आगे चौक पर वायरलैस से सूचना भेज दी कि आगे बिना हैलमेट पहने बाईक पर सवार तीन युवक आ रहे हैं, उन्हें रोका जाय। पुलिस ने वहॉ पर सबको रोक दिया, यहॉ पर नवीन और उसके दोस्त फॅस गये। ट्रैफिक पुलिस ने गाड़ी का चालान, बना दिया जिसमे बिना हैलमेट, तेज रफ्तार आदि का चालान काट दिया, और गाड़ी सीज करने की तैयारी करनी शुरू करदी। नवीन ने पहले तो इंसपैक्टर साहब को अपना परिचय दिया और कहा कि वह इस शहर के मंत्रीके बेटे हैं, और अपने पापा को फोन पर बात करने की सलाह दे दी। इंसपैक्टर भी दंबंग किस्म का इंसान था, उसने फोन पर बात करने से इंकार कर दिया और गाड़ी सीज कर कहा कि अभी कोर्ट में जाकर चालान जमा करने के बाद थाने से गाड़ी लेकर चले जाना।
नवीन ने अपने पापा को फोन करने सारी बात बता दी, नवीन के पापा अपने दल बल के साथ थाना पहॅुचे और इंसपैक्टर के साथ अभद्रता का व्यवहार करते हुए गाड़ी छुडवाने की बात करने लगा। नये नये मंत्रीथे देख लेने की धमकी दी, काफी कुछ कहा, इंसपैक्टर काफी देर तक सुनता रहा और फिर उसके मंत्री जी को अंदर अकेले कमरे में मामला सुलझाने के बहाने बुलाया। मंत्री ताव में अंदर गया। इंसपैक्टर ने अपने पर्स से अपने जवान बेटे की एक तस्वीर निकाली और बताया कि मंत्री जी मेरा बेटा भी 20 साल की उम्र में एक सड़क हादसे में इस दुनिया से चल बसा। ऐसे ही वह भी मेरे पद के रूतवे में सड़क के नियम कानून भूल गया था, ऐसे ही मैने भी उसके सड़क हादसे से पहले एक सिपाही को उसके चालान ना काटने की धमकी दी थी, 500 का चालान यदि उस दिन भर दिया होता और उस और खुद को अपने पद के रूतबे का गलत इस्तेमाल करने से रोक लिया होता तो शायद आज मेरा बेटा जिंदा होता।
मेरी आपके बेटे से कोई निजी दुश्मनी नहीं है, लेकिन मैं नहीं चाहता कि आपके साथ कोई अनहोनी हो, अपने रूतबे से ज्यादा बेटे की जान जरूरी है, हम 500 रूपये के चालान जमा करने या ट्रैफिक के नियम तोड़ने के लिए खुद ही अपने बच्चों को सहारा देते हैं, यदि हम घर में ही सख्त हो जाय तो हमारे साथ कभी कोई अनहोनी नहीं होगी। आप चाह तो मेरा ट्रांसफर कर दो या संस्पेंड करवा दो या फिर आप चाभी लेकर गाड़ी ले जाओ लेकिन मेरी बात पर जरूर अमल करना क्योंकि बेटे की जान चालान से भारी नहीं है।
को अपने बेटे का चेहरा सामने आया और एक अनचाही काल्पनिक काला सपना देखा तो सहम सा गया और फिर चुपचाप चालान की सोची। उसके बाद मंत्रीने विधानसभा सत्र में एक नई शुरूवात करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति या रसूखदार नेता अफसर यदि ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति को बचाने के लिए अनचाहा दबाव पुलिस प्रशासन पर डाले तो उसका डबल चालान कर उसका ड्राईविंग लाइसेंस निरस्त कर दिया जाय। मंत्री ने कहा कि आज से उन्होंने एक नई शुरूवात एक नये मुहिम के साथ की है, और सब लोगों से अपील खुद करना शुरू कर दिया, कोई भी जान पहचान वाला यदि चालान या नियम तोड़ने के लिए पुलिस के लिए फोन करवाता तो वह साफ मना करते हुए चालान भरने की सलाह देता। क्योंकि एक नई शुरूवात ने एक नया फैसला कई जिंदगियों को बचा देता है।
मनखी की कलम से।