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सावन की खीर

18 जुलाई 2022

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सावन की खीर

 सावन की झमाझम  बारिश लगी हुई है, मंडुये के खेत मे भगतू ने हल लगा दिया है, भगतू की पत्नी रज्जू ने घने मंडुये की पौध  को एक तरफ निकाल दी है। शाम को दूसरे खेत मे मंडुये की पौध लगाई जानी है।  इसके लिए गाँव के अन्य महिलाओ को भी बुलाया गया है।  गाँव मे खेती करते हुए एक दूसरे की मदद करते हैं, और हर रोज अलग अलग किसान के खेत मे सामूहिक कार्य करते हैं।  ऐसी व्यवस्था उत्तराखंड के गढ़वाल के कुछ क्षेत्र मे धनकुर के नाम से प्रचलित है। 

      शाम को धनकुर आए उन्होंने रज्जो के साथ खेत में मंडुये की पौध लगायी, उसके बाद गहथ के खेत मे जाकर उन्हें नेलने ( घास की कटाई छटाई) लग गए।  रज्जो ने सबके लिए प्याज चौलाई  की सब्जी औऱ रोटी बनवाई थी। रज्जो की बेटी दीपा सबके लिये खेत मे ही चाय, सब्जी रोटी पानी लेकर आ गई।  उसके बाद सबने आम खाये, और थोड़ा आराम करके काम करने लग गए।  उसके बाद सबने बीशा फूफू को याद करते हुए कहा कि उनके नाम से हम सावन की खीर के लिये पहले कि तरह दूध देगे।  इन धनकुरो में एक नई बहू भी थी उन्होंने पूछ लिया कि यह बीशा फूफू कौन थी और उनके नाम से सावन की खीर से क्या सम्बन्ध है।

     धनकुर मे  गांव की सबसे बुजुर्ग महिला थी उन्होंने बताया कि हमारे गांव में बीशा फूफू रहती थी, वह जगत फूफू के नाम से जानी जाती थी,  वह इस गाँव की बेटी थी, रिश्ते में वह सबकी बुवा या दीदी लगती थी, तीन भाइयों की एक बहिन थी। जब उनकी शादी हुई थी तो उनकी उम्र लगभग 12 साल की रही होगी, शादी के एक महीने बाद उनके पति हैजा की बीमारी से चल बसे और उस बालिका को बाल विधवा का कलंक लगा गये। उस जमाने में यदि किसी का पति शादी के कुछ समय या साल बाद मृत्यु हो जाती थी तो उसका दोष उंसकी पत्नी को दतियानूसी समाज दे देता था जबकि अबोध विधवा बालिका को जन्म मृत्यु का ज्ञान तक नहीँ होता था। 

      बाल विधवा अब ससुराल में भी किसके सहारे रहती उस जमाने मे जिनके पति भी साथ होते थे वह भी बुजुर्गों खासकर खड़ूस सास के आगे गुलाम बनकर रहते थे। वह तो बेचारी बेगुनाह अपराधी  बन गई थी।  अब तो दिन रात उसके ऊपर अत्याचार और हर बात पर ताने मारे जाने लगे, उसे अपने पति को खाने वाली, अभागन जैसे शब्दों के बाण से आहत हुए मन को और घायल कर देते। जब ससुराल में अत्याचारों की सीमा बढ़ती गई तो एक दिन शाम को वह भागकर अपने मायके आ गई, उस जमाने मे विवाहित बेटी को मायके में रोकना पाप की श्रेणी में रखा जाता था, माँ बाप का एक ही कठोर जबाब होता कि बेटी की डोली मायके से उठती है और अर्थी ससुराल से। 

    इधर उस बाल विधवा बीशा फूफू के लिये यह शब्द भी जहरीले बाण के  समान लग रहे थे। उसने कहा कि आप चाहो तो बेटी की हत्या का पाप अपने सिर ले लो लेकिन अब मैं ससुराल नही जाऊंगी।  उसके बड़े भाई ने कहा कि यदि वह नही जाना चाहती तो मत भेजो, जैसे नमक रोटी हम खायेंगे वैसे ही यह बेचारी भी खा लेगी। उसको गौशाला में एक कमरा रहने को दे दिया।  जब तक माँ बाप रहे तब तक साथ रही जब भाईयो की शादी हो गई तब उसने अलग से गाय भैंस पाल लिए।  घी दूध बेचकर लोगो के साथ खेती बाड़ी मे हाथ बटोरकर  अपने लिए साल भर का अनाज इकट्ठा कर लेती।।

      गांव में कोई शादी विवाह होता तो विषप्पू को सब बुलाते बेटी की विदाई या बहुत आने पर उसको भी 2 जोड़ी कपड़े 1 जोड़ी कपड़ा जो जिससे बनता था वह दे देता था कल हुआ खाना-पीना तो वह हफ्ते से चलता रहता ऐसे में मायके में रहते हुए बीशा फूफू  के दिन करने लग गए अब तो भाइयों के भी बच्चे हो गए थे अपने भतीजे को खिलाती उनको घुमाते और उन्हें खीर चावल रोटी जो भी हो सकता था वह देती अपने भतीजे को और भतीजी यों को खूब लाड़ करती 20 अंकों का स्वभाव सबके साथ मिलनसार था गांव में कोई प्रिया अप्रिय घटना वहां बीशा फूफू जरूर पहुंच जाती और सर के सुख दुख में खड़ी रहती। 

    गांव में खेती पाती में सबका काम करने सबसे पहले बीशा फूफू पहुंच जाती ।  मेले त्यौहार पर सब लोग बीशा फूफू को मिठाई स्वाले, पकौड़ी जो भी बनता दे देते थे।  सावन के महीने में गाँव मे लोग दूध की दही नहीं जमाते थे ना घी बनाते थे, पूरे महीने में बारी बारी से सबके घरों में दूध देने की अटूट प्रथा थी।  बीशा फूफू रूटल्या त्यौहार के दिन ही हिसाब लगा देती की इस बार किसके घर से दूध देना शुरू करना है। बीशा फूफू अकेला प्राणी थी, कहती  थी कि मेरा जितना दूध है वह ले जा लो, बस चाय के लिये एक गिलास बहुत है, एक कटोरी साग औऱ दो रोटी दे देना साथ मे एक कटोरी खीर।  वैसे भी बीशा फूफू ज्यादा तर दूध में चावल पका कर दूध भात खा लेती थी कभी आटे को भूनकर उसे दूध में पका लेती जिसे वह लस्सी कहकर खा लेती थी।  अकेला प्राणी के  पेट पालने के लिये यही काफी था। 

     समय व्यतीत होता गया शरीर अब इतना काम नहीं कर सकता था,  अब कुछ गाय भी कम कर दी, भैंस भी बेच दिया। भाई और उनकी बहू कहती भी की उनके साथ ही खा ले लेकिन बीशा फूफू को उचित नही लगता था, वह बोझ नही बनना चाहती थी किसी पर। कहती थी कि जब तक हाथ पैर  चल रहे हैं तब तक हाड़ तोड़ लेती हूँ, जब असहाय हो जाऊंगी तब चाहे तुम देना या नही देना तुम्हारी मर्जी,  भले नेक काम किये होंगे तो दो रोटी खा ही लूँगी।   सबका भला सोचने वाली बीशा फूफू पिछले साल ही इस दुनिया से चल बसी। अब गाँव मे उनके जाने से सूना सूना सा लगता है, वह सबके साथ बोल लेती थी, सबको हँसा लेती थी , सबके सुख दुख की साथी थी, शायद ही कभी किसी को उन्होंने कुपथ कहा हो।  सबको प्यार से बोलती, और समझाती थी, छोटा हो बड़ा हो, साहूकार हो, गरीब हो सब बीशा फूफू की जरूर सुनते थे, इसलिये सब उनको जगत फूफू कहते थे। 
    सावन के महीने लगते ही फूफू सबको पहले ही कह देती थी कि इस बार दूध बारी बारी से प्रत्येक परिवार को दूध दिया जाएगा, और किंस दिन किंस परिवार को देना है यह बीशा फूफू ही तय करती थी। तीन पीढ़ियों ने उनकी बात ही मानी औऱ इस नियम को बिना ना नुकुर किये सहर्ष स्वीकार किया। जिसके घर मे दूध  नही होता था उसको भी सावन की खीर खाने को मिल जाती थी, इस तरह से पूरे सावन में पूरे  गाँव में खीर अवश्य बनती थी।  इसलिए उनकी याद में हम लोग इस बार भी ऐसे ही बारी बारी करके सबको दूध देगे। 
     सबने सहमति व्यक्त करते हुए सावन के महीने में दूध को बेचने या दही जमाने के लिए नही रखने का निर्णय लिया, और फिर सभी अपने अपने घर घास  सिर पर रखकर रास्ते लग गए।

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सपनों की वो सड़कअरे बेटा उठ जा जल्दी तुझे जाना भी है, अपने काम पर म कहते हुए राजन की मॉ ने राजन को उठाया। बेटा जल्दी कर पहली गाड़ी आठ बजे निकल जाती है। देर हो जायेगी तुझे, यह आवाज रंजन की कानों मे

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता) की मनोदशा।

18 जनवरी 2022
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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता)

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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जी

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फजीतू ( पार्टी कार्यकर्ता)

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<div><u> </u><span style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: -apple-system, &quot;.SFNSText-Regular&quot;, &quot;San Francisco&quot;, Roboto, &quot;Segoe UI&quot;, &quot;Helvetica Neue&quot;, &

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फजीतू

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फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से

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सुनैना और सुयश की शादी को लगभग 6 साल हो गए, उनके दो बच्चे हैं। अब बच्चे बात करने के माध्यम बन गए है। बड़ी बेटी रूही जो लगभग 5 साल कि है, और छोटा बेटा लगभग 8 महीने का। घर मे जब से बच्च

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रीता ने अमन के सिर से रजाई उठाते हुए कहा कि अजी सुनते हो 07 बज गये हैं, फिर मत कहना कि जल्दी जल्दी नाश्ता तैयार करो, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है। यह कहते हुए रीता बाथरूम में जाकर ं कपड़े

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काश कि एक बार गया होता। मेघा ने रोहन के बैग में टिपिन रखते हुए कहा कि बच्चो की समर वेकेशन हो गयी है, बहुत दिन से आउटिंग भी नही हुई है, पड़ोसी रीना दीदी पूरे परिवार के साथ साउथ इंडिया घूमने ज

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कलयुगी विवाहराजू भाई जरा टेंट इस वाले खेत में लगा दो और हाॅ काॅकटेल के लिए 8 मेज ईधर लगा देना। ईधर खाना बनाने वाले के लिए बोल दिया कि शाम के लिए मटर पनीर, मिक्स वेज, दाल मखनी सब बना देना, और&nbs

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सौरभ स्कूल से लौट रहा था रास्ते में एक कुत्ता का बच्चा अपनी मॉ से बिछुड़ गया था और कूं कूं की आवाज कर खोजने की कोशिश में लगा हुआ था। सौरभ ने कुत्ते के बच्चे को गोद में उठाया और उस पर

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सुबह के 7:00 बज रहे थे स्कूल में प्रार्थना सभा हो रही थी अजय अपनी लाइन के आगे वाली लाइन मैं किसी को ढूंढ रहा था लेकिन उसे नजर नहीं आ रहा था मन कुछ उद्वेलित था, सामने गुरुजी खड़े थे तो नजरें इधर

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अनकही मोहब्बत भाग 2 इधर अजय ने नया साल का ग्रीटिंग कार्ड पोस्ट कर दिया है। डाकिया 4 दिन बाद मानसी के गाँव के किसी व्यक्ति के पास दे देता है। गाँव का व्यक्ति मानसी का&nbsp

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सावन की खीर

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सावन की खीर सावन की झमाझम बारिश लगी हुई है, मंडुये के खेत मे भगतू ने हल लगा दिया है, भगतू की पत्नी रज्जू ने घने मंडुये की पौध को एक तरफ निकाल दी है। शाम को दूसरे खेत मे मंडुये की पौध

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दिखावा

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28 मार्च 2023
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विमल पूरे देश विदेश घूमने के बाद वह जब पहली बार अपने गाँव आया तो उसे लगा की उसने गाँव आने में देरी कर दी, उसका गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, सभी सुविधाएं जो गाँव मे होंनी चाहिए वह है, दो दिन

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और दोनों हॅस दिये (लघु कहानी)

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रोहित अपनी भाभी के साथ उनकी किसी रिश्तेदारी में शादी में गया था। वहॉ उसकी मुलाकात उसकी भाभी ने अपनी मौसेरी बहिन मेघा से करवायी। मेघा और रोहित एक दूसरे से मिले ही नहीं बल्की रात का डिनर भी साथ ही किय

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26 मई 2023
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नोट: यह लेखक की कल्पना मात्र है। अक्सर एक बिल्ली हमारे घर के आस पास घूमती रहती है, कभी वह खिड़की से दीवार को फांदती है, कभी बाउंड्री में बैठकर मूछे मटकाती नजर आती है, बस सुबह शाम म्या

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रमन के पिताजी बचपन में ही अपने चाचा जी के साथ मुंबई आ गये थे, उसके बाद वह मुबई के होकर रह गये। रमन ने जब भी गॉव जाने की बात कही तो उसके पिताजी हमेशा यह कहकर टाल देते कि वहॉ तो

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कमबख्त कम्बल

11 अगस्त 2023
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कमबख्त कम्बल ने रात भर सोने नही दिया,मैंने पूछा कि भाई परेशान क्यो हो, मुझे भी सोने दो। कम्बल ने कहा कि बस गर्मी क्या आ गयी तुम मुझे भूल ही गए हो। मैंने कहा नही दोस्त तुमको कैसे भूल

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अनमोल तोहफा

18 अगस्त 2023
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अविनाश ने जैसे ही फेसबुक खोला तो उसको नमिता की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी हुई थी, पहले तो गौर नही किया, सरसरी निगाह से अपडेट देखी और बन्द करके अपने ऑफिस के काम मे व्यस्त हो गया। शाम को जैसे ही फुर्सत

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बेल /लता

20 अगस्त 2023
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मैं एक बेल हूँ जो अक्सर पेड़ो पर लहराती हूँमैने बेल से पूछा कि तुम्हे कौन लपेटता है तुम्हारे हाथ तो है नही।तुम्हे रास्ता कौन बताता है तुम्हारे आंख तो है ही नही । तुम्हे कैसे पता कि तुमने जिसका सह

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मूल निवास

23 अगस्त 2023
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गज्जू 12वीं पास करने के बाद पंजाब अपने मामा के साथ नौकरी की तलाश में चला गया था, कुछ दिन तक घर में ही रहा उसके बाद वहीं उसको एक ढाबे में नौकरी मिल गयी। शुरू में ढाबे

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ओढ़

28 अक्टूबर 2023
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हल लगाते हुए भगतू के बैल ओढ को पार करते हुए दूसरे भाई जगतू के खेत में घुस गये, इतने में जगतू की पत्नी विमला ने यह सब देख लिया, और उसने बिना जाने ही गाली देनी शुरू कर दी। हल्ला और गाली सुनकर जगतू

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हिट एंड रन क़ानून

3 जनवरी 2024
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हाल ही में लोकसभा में पारित भारतीय दण्ड सिंहंता का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता रखा गया है, जिसमें कुछ कानूनों के प्रावधान बदले गये हैं, जिसमें से एक कानून हिट एण्ड रन है। भारतीय दंड सहिंता के सैक्शन

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अहमियत

9 जनवरी 2024
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दीया ने अजय को फ़ोन कर कहा कि शाम को आते हुये सब्जी लेते आना, सुबह के लिये नाश्ते के लिये कुछ नही है, अजय ने इस सबका उत्तर हम्म करके दिया और फ़ोन काट दिया। अजय की ऑफिस से छुट्टी के बाद घर आत

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मानसिक पलायन

17 फरवरी 2024
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मानसिक पलायन गरीबी और लाचारी ने तो परिवार को पहले से ही दबा रखा था ,इधर भाईयों और 02 बहिनों की पढायी के बोझ को देखते हुए नौकरी करने सतीष 12 वीं के बाद अपने मामा के साथ म

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भिटोली

28 मार्च 2024
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भिटोली रोहित दो दिन की छुट्टी ले लो, रेनू ने टिपिन पैक करते हुए कहा, रोहित यार अभी तो मार्च फाईनल चल रहा है, और फिर महीने की शुरूवात में बॉस नये टारगेट दे देते

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