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यँहा कौन रहता है।

1 अक्टूबर 2021

19 बार देखा गया 19
  अनूप अपने गाँव बहुत सालों बाद गया, वँहा जाकर उसने देखा कि सड़क गाँव तक पहुँच चुकी है, गाँव मे कुछ पक्के मकान बन चुके हैं, कुछ लोग सरकारी राशन लेकर घर जा रहे हैं, एक व्यक्ति अपने खेत मे झाड़ी साफ कर रहा था। अनूप ने उस व्यक्ति को दूर से ही पहचान लिया, वह कोई और नहीं जोगी काका था, उसने जोगी काका को खेत के मेंड़ में जाकर काका को आवाज लगाई।

काका पाँय लागो ।

काका:  अरे बेटा बहुत सालों बाद गाँव की याद आ गई तुमको, और घर मे सब राजी खुशी है।

अनूप: हाँ काका घर मे सब ठीक है।

काका: बाल बंच्चे क्या क्या है?.

अनूप:  काका बड़ा बेटा है 8 में पढ़ रहा है, दूसरी बेटी है, अभी 6वी में है।

काका: बहू भी नौकरी करती होगी।

अनूप: काका स्कूल में पढ़ाती है।

काका:  बेटा कभी बाल बच्चो को भी अपने पुरखों का गाँव गली, मकान दिखा देता।

अनूप: काका सोच रहा हूँ, गाँव के घर की मरम्मत करवा दूं, इसी बहाने घर आना जाना लगा रहेगा।

काका: बेटा सोच तो सही रहा है, लेकिन यँहा रहता कौन है।

अनूप: काका तुम रहते हो,हम रहेंगे, आप ऐसा क्यो बोल रहे हो।

काका: बेटा इसलिये बोल रहा हूँ कि गाँव मे अब रहता कौन है, जिनके पास जरा सा रुपये हो गए वह हवेली और कई नाली जमीन छोड़कर, शहरों में 50 गज के तीन कमरों में रहकर खुद को धन्ना सेठ समझ रहे हैं।  हम चार परिवार के 6 बुजुर्ग 02 अधेड़ इस गाँव में रहकर सारे घरों को देखकर अपने पुरखों को कोस रहे हैं कि, इन्ही दिनों के लिए बनाई थी यह विरासत इन्होंने।

अनूप : काका अब तो गाँव में सड़क आ गई है, फिर भी यह हाल।

काका: बेटा गाँव से शहर लेकर जाने वाली सड़क तो आ गई है, लेकिन शहर से गाँव आने वाली सड़क अभी नही बनी।

  दोनों बाते करते हुए गाँव पहुँच गये, अनूप अपने घर की तरफ बढ़ रहा था, काका ने कहा बेटा पहले घर चल पानी चाय पीकर और थोड़ा आराम कर तब खोलना अपना दरवाजा, बरसो से बंद पड़ा है।

    काका बाहर से काकी को आवाज लगाता है, काकी पीतल के  लोटे पर पानी लेकर आती है, अनूप काकी के पैर छूकर प्रणाम करता है, काकी बहुत देर तक माथे पर हाथ रखकर उसके मुँह  पर देखती रहती है, पहचानने की कोशिश करती है, काकी को शक्ल याद आ रही है लेकिन नाम भूल गयी है। 

काकी: बेटा शक्ल तो थोड़ा थोड़ा याद आ रही है, अब विस्मृति हो गयी है, कौन हो तुम।

काका: अरे यह महावीर का लड़का अनूप है, भूल गयी।

काकी महावीर का नाम सुनते ही अनूप को गले लगाती है, फिर ठुड्डी पर दो उंगली लगाकर उन्हें चूमती है, और सिर को मलासते हुए खूब आशीर्वाद देकर प्रेम समर्पित करती है।

काकी: बेटा इतने वर्षों बाद घर आओगे तो कँहा से पहचान पाएंगे हम।

अनूप: काकी अब तो पहचान लिया न अपने बेटे को।

काकी उसके लिये कुर्सी रख देती है, अंदर जाकर एक पीतल के गिलास पर पानी लेकर आती है, गिलास घुंये से हल्का काला हो गया है, अनूप ने गिलास को मुँह पर लगाया औऱ एक सांस में पूरा पानी पी गया।  आज बहुत दिन बाद पीतल के गिलास पर पानी पीने को मिला।

  काकी अंदर जाकर चाय बनाने लगी, काका हाथ पैर धोकर बैठ गया, हुक्का पर पानी भरकर और चिलम में तम्बाकू रखकर, उसमें चूल्हे से आग लाया और हुक्का गुड़गुड़ाने लगा। 

अनूप: काका आज भी आप हुक्का पी रहे हो, आज आपको हुक्का पीते देख दादा जी की याद आ गयी, हम भी उनके लिये हुक्का भरते हुए दो सोड़ मार लेते थे।

काका: बेटा हुक्का गुड़गुडाकर थोड़ा मन को संतुष्टि मिल जाती है, बीड़ी तो बस धुंआ फुकना है, मजा तो इस हुक्के में ही है,ले दो सोड़ तुम भी मार लो।  अनूप ने भी दो सोड़ मारकर अपने बचपन के दिन ताजे कर लिये।

    इतने में तीन कप में चाय लेकर काकी आ गई, काका ने पहले हुक्का पिया फिर चाय पीनी शुरू की, काकी अनूप को उसके परिवार की राजी खुशी पूछती रही। चाय पीकर अनूप ने कहा कि काका मैं जरा द्वार मोर खोल देता हूँ, फिर शाम को बैठता हूँ।

काकी : बेटा मैंने  पिंडालू मूला की  थिचवाणी बना रखी है, यदि तुझे थिचवाणी पसंद नही तो दाल बना लेती हूँ।

अनूप : काकी आज तो गाँव मे आकर थिचवाणी खाने को मिल रही है, दाल तो रोज ही खाते हैं, आज थिचवाणी खाकर धीत भरूंगा।

अनूप  अपने घर की तरफ बढ़ता है, आँगन में घास जमी है, मकान की दीवार आगे की ओर झुकी है, छज्जे भी टूट चुके हैं, दरवाजे पर मधुमक्खीयों ने छत्ता बना रखा था, डरते डरते दरवाजा खोला, अंदर पूरी सीलन आ गयी थी, छत की एक बल्ली नीचे झुकी हुई थी, देवता के आले पर जाला लगा था, त्रिशूल पर जंक लग गया था, अनूप ने हाथ जोड़कर कुल देवता से माफ़ी माँगी, सामने दीवार पर उसके स्व पिताजी की तस्वीर टँकी थी, उसे निकालकर साफ किया, अंदर चूहे दौड़ रहे थे, एक संदूक था, उसमें बिस्तर और बर्तन थे, बिस्तर चूहों ने काट रखा था बर्तनो पर दीमक लग चुका था।  जितना बचा सामान था बाहर धूप में रखा, फिर नीचे के कमरे में आया, जँहा सकी माँ की रसोई थी। 

    रसोई में चूल्हे के पत्थर खड़े मिले, और एक लकड़ी के बर्तन जिस पर उसकी माँ मट्ठा मथति थी, उसमें गारे वाला नमक पड़ा था। वँहा भी सीलन की बदबू आ रही थी।  अनूप ने वँहा फोन की लाइट जलाकर थोड़ी सफाई की और फिर बाहर आकर छज्जे में बैठ गया।

      कुछ देर बाद काका ने आवाज लगाई की बेटा दिन का भोजन कर ले, अनूप खाने के लिये चला गया।  खाना खाकर काका के घर मे आराम किया, खिड़की से आने वाली हवा की सरसराहट ने अनूप को कब नींद की आगोश में ले लिया, पता ही नही चला, दो घण्टे तक सोने के बाद वह उठा, फिर काकी ने चाय पिलाई, उसके बाद वह शाम को गाँव मे घूमने चला गया।

    हर दूसरे घर पर ताला लगा हुआ था, दो तीन परिवार में बस दोनों बुजुर्ग दम्पति ही थे, आगे एक परिवार में रमेश और उसकी पत्नी एवं एक बेटी थी, उसके बाद वह आगे बढ़ा तो एक घर के कमरे में हल्की मद्धम रोशनी दिख रही थी, हल्की सी बरतनों की खनखनाहट सुनी, तो अनूप अंदर कमरे में गया, वँहा दादी अकेली थी, उसने भी अनूप को नही पहचाना, दादी को अपना परिचय दिया तब जाकर दादी ने उसे पहचाना, कुछ देर बात की और वह आगे की ओर बढ़ गया।

     आगे एक और बुजुर्ग दम्पत्ति थे, दोनों खाँस रहे थे, अनूप उनको ताउजी ताई जी कहता था, ताउजी बिस्तर पर लेटे थे, ताई जी चूल्हे में राई की सब्जी बना रही थी। अनूप ने बाहर से आवाज लगाई की यँहा कोई  है, तो अंदर से आवाज आई कौन है, अंदर आ जाओ,अनूप अंदर गया, उनको प्रणाम कर अपना परिचय दिया।  दोनों बुजुर्ग बहुत खुश हुए। घर परिवार के हाल समाचार पूछे, फिर अनूप ने ताउजी ताईजी के बच्चों के बारे में पूछा।

    ताई जी ने बताया कि सब नौकरी पर है, दो चार दिन में फोन आ जाते हैं, पिछले कोरोना में दो महीने घर में रहे फिर चले गए। अब तो बस बेटा मौत का इंतजार कर रहे हैं, बुला बुला कर थक गए पर वह भी नही आती है। बेटा अब गाँव मे कौन रहता है, हम तो बस दिन गुजार रहे हैं।

   उसके बाद अनूप काका के घर आया रात का भोजन करके वह सोचने लग गया कि आज गाँव के बुजुर्गों की स्थिति कैसी हो गयी है , जिस दिन यह सब भी अपनी जीवन लीला पूरी कर लेंगे उसके बाद तो गाँव पूरी तरह खाली हो जायेगे, फिर वास्तव में सब कहेंगे कि कौन रहता है वँहा, क्या करना है वँहा जाकर, इन सब बातों को सोचते सोचते वह सो गया।

    एक दिन गाँव मे रहा फिर उसने शहर आकर सबसे बात की और हर गर्मियों में घर जाने की योजना बनाई, अब हर साल गाँव मे सम्मेलन होता है, घर के दरवाजे साल भर में खुल जाते है।

हरीश कंडवाल  मनखी की कलम से।


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रोहित अपनी भाभी के साथ उनकी किसी रिश्तेदारी में शादी में गया था। वहॉ उसकी मुलाकात उसकी भाभी ने अपनी मौसेरी बहिन मेघा से करवायी। मेघा और रोहित एक दूसरे से मिले ही नहीं बल्की रात का डिनर भी साथ ही किय

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और दोनों हॅस दिये (लघु कहानी)

26 मई 2023
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रोहित अपनी भाभी के साथ उनकी किसी रिश्तेदारी में शादी में गया था। वहॉ उसकी मुलाकात उसकी भाभी ने अपनी मौसेरी बहिन मेघा से करवायी। मेघा और रोहित एक दूसरे से मिले ही नहीं बल्की रात का डिनर भी साथ ही किया

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बातूनी बिल्ली

26 मई 2023
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नोट: यह लेखक की कल्पना मात्र है। अक्सर एक बिल्ली हमारे घर के आस पास घूमती रहती है, कभी वह खिड़की से दीवार को फांदती है, कभी बाउंड्री में बैठकर मूछे मटकाती नजर आती है, बस सुबह शाम म्या

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नानी का घर

19 जून 2023
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बेटा बच्चों की गर्मियों की छुट्टियॉ हो जायेगी तो सब लोग आ जाना, यह सब बातें नंदिता अपने तीनों बेटियों और दोनों बेटों को कहती है। नंदिता और उनका पति देवेन्द्र अकेले घर में रहते हैं, उन्हें

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पैत्रिक भूमि का सौदा 

22 जुलाई 2023
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रमन के पिताजी बचपन में ही अपने चाचा जी के साथ मुंबई आ गये थे, उसके बाद वह मुबई के होकर रह गये। रमन ने जब भी गॉव जाने की बात कही तो उसके पिताजी हमेशा यह कहकर टाल देते कि वहॉ तो

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कमबख्त कम्बल

11 अगस्त 2023
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कमबख्त कम्बल ने रात भर सोने नही दिया,मैंने पूछा कि भाई परेशान क्यो हो, मुझे भी सोने दो। कम्बल ने कहा कि बस गर्मी क्या आ गयी तुम मुझे भूल ही गए हो। मैंने कहा नही दोस्त तुमको कैसे भूल

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अनमोल तोहफा

18 अगस्त 2023
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अविनाश ने जैसे ही फेसबुक खोला तो उसको नमिता की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी हुई थी, पहले तो गौर नही किया, सरसरी निगाह से अपडेट देखी और बन्द करके अपने ऑफिस के काम मे व्यस्त हो गया। शाम को जैसे ही फुर्सत

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बेल /लता

20 अगस्त 2023
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मैं एक बेल हूँ जो अक्सर पेड़ो पर लहराती हूँमैने बेल से पूछा कि तुम्हे कौन लपेटता है तुम्हारे हाथ तो है नही।तुम्हे रास्ता कौन बताता है तुम्हारे आंख तो है ही नही । तुम्हे कैसे पता कि तुमने जिसका सह

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मूल निवास

23 अगस्त 2023
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गज्जू 12वीं पास करने के बाद पंजाब अपने मामा के साथ नौकरी की तलाश में चला गया था, कुछ दिन तक घर में ही रहा उसके बाद वहीं उसको एक ढाबे में नौकरी मिल गयी। शुरू में ढाबे

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ओढ़

28 अक्टूबर 2023
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हल लगाते हुए भगतू के बैल ओढ को पार करते हुए दूसरे भाई जगतू के खेत में घुस गये, इतने में जगतू की पत्नी विमला ने यह सब देख लिया, और उसने बिना जाने ही गाली देनी शुरू कर दी। हल्ला और गाली सुनकर जगतू

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हिट एंड रन क़ानून

3 जनवरी 2024
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हाल ही में लोकसभा में पारित भारतीय दण्ड सिंहंता का नाम बदलकर भारतीय न्याय संहिता रखा गया है, जिसमें कुछ कानूनों के प्रावधान बदले गये हैं, जिसमें से एक कानून हिट एण्ड रन है। भारतीय दंड सहिंता के सैक्शन

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अहमियत

9 जनवरी 2024
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दीया ने अजय को फ़ोन कर कहा कि शाम को आते हुये सब्जी लेते आना, सुबह के लिये नाश्ते के लिये कुछ नही है, अजय ने इस सबका उत्तर हम्म करके दिया और फ़ोन काट दिया। अजय की ऑफिस से छुट्टी के बाद घर आत

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मानसिक पलायन

17 फरवरी 2024
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मानसिक पलायन गरीबी और लाचारी ने तो परिवार को पहले से ही दबा रखा था ,इधर भाईयों और 02 बहिनों की पढायी के बोझ को देखते हुए नौकरी करने सतीष 12 वीं के बाद अपने मामा के साथ म

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भिटोली

28 मार्च 2024
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भिटोली रोहित दो दिन की छुट्टी ले लो, रेनू ने टिपिन पैक करते हुए कहा, रोहित यार अभी तो मार्च फाईनल चल रहा है, और फिर महीने की शुरूवात में बॉस नये टारगेट दे देते

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बुढ़ापे कि पीड़ा

7 मई 2024
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ताजवर ने रात को सुबह 4 बजे का अलार्म लगाकर अपनी पत्नी रेणूका को कहा कि तुम भी अलार्म लगा दो कहीं मैं उसे यह कहकर बंद ना कर दूं कि 10 मिनट बाद उठ जाउॅगा। रेणूका ने भी अलार्म लगा दिया। ताजवर

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भंडारे का प्रसाद

11 जुलाई 2024
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शहर के व्यापार संगठन के अध्यक्ष किशन चंद जी के बेटे का चयन आईपीएस ऑफिसर के पद पर हो गया था। किशन चंद की पत्नी निर्मला देवी ने मंन्नत मॉगी थी कि यदि उनके बेटे का चयन हो जाता है तो वह मंदिर में ब

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भूतो का घर

14 अक्टूबर 2024
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रोशन अपने ऑफिस में लैपटॉप पर कम्पनी को मेल कर रहा था तब तक मोबाईल पर रिंग टोन बजी उसने स्पीकर खोला तो सामने गाँव के चाचा जी का फोन था। चाचाजी ने बताया कि उसके पिताजी का स्वास्थ्य ज्यादा खराब है,

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एक बार कह तो देते

17 अक्टूबर 2024
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सोनू का हाइस्कूल का आखिरी पेपर है, बहुत खुश है कि अब तो गर्मियों की छुट्टियों में मनाली मामा जी के यँहा घूमने जाना है, सारे दोस्तों में जाने का पूरा बखान कर आ गया, सोनू ने घर आकर अपनी माँ से मामा&nbsp

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राजधानी देहरादून की हृदयांगिनी रिस्पना नदी से साक्षात्कार

22 अक्टूबर 2024
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राजधानी देहरादून की हृदयांगिनी रिस्पना नदी से साक्षात्कार शाम का समय था, मैं रिस्पना पुल से अपने घर से जा रहा था, रिस्पना पुल के हरिद्वार जाते समय बायीं तरफ दे

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