अविनाश ने जैसे ही फेसबुक खोला तो उसको नमिता की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी हुई थी, पहले तो गौर नही किया, सरसरी निगाह से अपडेट देखी और बन्द करके अपने ऑफिस के काम मे व्यस्त हो गया। शाम को जैसे ही फुर्सत मिली अविनाश ने फिर अपना फेसबुक खोला तो इस बार उसको नमिता की तरफ से मेसेज था कि 18 साल पहले की यादों को जरा कुरेद कर तो देखो शायद कुछ याद आ जाये।
अविनाश ने मेसेंजर से मेसेज पढा और उसकी उत्सुकता बढ़ गयी उसने नमिता की पूरी प्रोफ़ाइल देखी एक एक फोटो से गौर से देखा तो उसको याद आ गया कि नमिता है जो उसकी 12 कक्षा में सहपाठी थी, और मित्र थी। फिर उसे सब याद आ गया।
इधर से अविनाश ने भी मेसेज भेजा कि वक्त ने यादों की परत खुरच दिया है और अब पहचान लिया आपको।
उन दोनों में आपस मे बातें होनी लगी। नमिता की शादी को लगभग 10 साल हो गए हैं, वही अविनाश की शादी को भी 5 साल हो गए हैं। अविनाश की एक बेटी है, जबकि नमिता की कोई संतान नही है,नमिता के पति आकाश प्राइवेट कम्पनी में कार्यरत है। अविनाश की पत्नी सुरभी खुले विचारो की गृहिणी है।
जब अविनाश 12 वी में पढ़ता था तो वह स्वभाव से बहुत शर्मिला था, लड़कियों से बात करने की तो कभी हिम्मत ही नही की। कभी कोई लड़की कुछ पूछ लें तो वह उतना ही जबाब देता और अपने एक दो साथियों के साथ ही रहता। किशोरावस्था में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता ही है, अविनाश भी नमिता को मन ही मन पसंद करता था लेकिन कभी अपनी बात को बता नही पाया।
इसी तरह नमिता भी अविनाश को अच्छा मानती थी और उसके साधारण व्यवहार के साथ ही पढ़ने लिखने में अच्छा होने के कारण उसे पसंद करती थी लेकिन उसने भी दिल की बात कभी नही बतायी, वह भी बदनाम होने की डर मन मे पाल बैठी थी।
अब जब से उन दोनों की फेसबुक पर बात होने लगी, अविनाश शहर में आकर बहुत खुल गया था, अब पहले से काफी परिवर्तन आ गया था। एक दिन अविनाश ने नमिता से पूछा कि जब हम साथ पढ़ते थे तब आप अपनी क्लास में किसे पसंद करते थे। क्योकि उस वक्त हमारे सभी दोस्तों की कोई ना कोई प्रेमी या प्रेमीका जरुर थी।
अविनाश ने जब नमिता से पूछा तो उसने कहा की मैं तुम्हे ही पसंद करती थी लेकिन कभी इजहार नही कर पाई। तुमको बहुत दिन से सोशल मीडिया से ढूढ रही थी अब मिले, लेकिन आज तुमने जब पूछ लिया तो 18 सालो की बात जवान पर आ गयी। इधर अविनाश ने भी आश्चर्यचकित वाला सिग्नल भेजा और कहा कि मैं भी तो तुमको ही पसंद करता था, आज 18 साल बाद दिल के राज खुल गए हैं। खैर फिर दोनों में काफी बात होने लगीं। नमिता ने इन 18 सालो के बारे में बताया और इधर अविनाश ने भी।
अविनाश ने जब अपनी पत्नी सुरभी को यह बात बतायी तो उसने कहा कि कभी मिलवाओ अपने उस 18 साल पहले की दोस्त से। एक दिन सभी की मुलाकात नमिता के घर मे हो जाती है। नमिता सुरभी को अपनी सब बात बता देती हैं दोनों में भी दोस्ती हो गई। इधर अविनाश अपने कामो में व्यस्त रहने लगा लेकिन नमिता और सुरभी में काफी नजदीक होते चले गए ।
समय बीतता चला गया एक दिन सुरभी को दूसरी बार प्रेग्नेंनेट हो जाती है, लेकिन यह बात उसने नमिता को नही बतायी की कंही वह दुःखी औऱ तनाव में ना आ जाये। समय अपनी गति से चलता रहा और 7 वे महीने में जब सुरभी ने अल्ट्रासाउंड करवाया तो उसे पता लगा कि उसके गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं, पहले तो यह सुनकर हैरान हो गयी और अविनाश को बोली कि इस महंगाई के जमाने मे दो बच्चों को पालना मुश्किल है यँहा तो तीन हो रहे हैं, अभी यह भी मालूम नही की वह दोनों क्या है, क्योकि यह तो उनके इस दुनिया मे आने के बाद ही पता चल पाएगा।
इधर नमिता और उसके पति हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं शहर के जाने माने चिकित्सको से इलाज करवा लिया है लेकिन अभी उनको सन्तान सुख नही मिल पाया है। इधर सुरभी भी डॉक्टर द्वारा डिलीवरी की डेट के हिसाब से अस्पताल में एडमिट हो गयी है। अविनाश भी अस्पताल में है और सुरभी उसे कहती है कि अविनाश मैं तुमको और नमिता को 18 साल पहले का प्यार को तोहफे के रूप में देना चाहती हूँ। प्लीज यार मना मत करना, ये साहस बड़ी मुश्किल से जुटा पायी हूँ। मैने कल नमिता को अस्पताल मे बुलाया है। अविनाश की समझ मे कुछ नही आया वह कहता है कि पहले बात तो बताओ। सुरभी अविनाश के जिद के आगे सारी बात बता देती है।
इधर नमिता को चिंता हो गयी है कि सुरभी को अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे अस्पताल में बुलाया गया है। सुरभी ने अविनाश को कहा कि जब डिलीवरी हो जाये तो नमिता के आने के बाद ही बच्चों की खुश खबरी की न्यूज़ बाद में ही शेयर करना। अविनाश ने उसकी बात मान ली। रात के 11 बजे करीब सुरभी की सामान्य प्रसव हो गया और उसने जुड़वा एक बेटी और बेटा को जन्म दिया। अविनाश की खुशी का ठिकाना नही रहा । आज भगवान ने उसे दुगनी खुशी एक साथ जो दे देदी थी।
सुबह नमिता अपने पति के साथ अस्पताल आ गई, अविनाश को देखते ही कहा कि नमिता ठीक तो है ना क्या बात हुई जो तुम लोग यँहा हो। अविनाश ने बताया कि सुरभी के जुड़वा बेबी हो रखी हैं, यह सुनकर नमिता की खुशियों को तो पंख लग गये। वह सीधे नमिता को मिलने गयी और पहले तो बधाई दी फिर गुस्सा होकर बोली कि ये अविनाश तो पहले से ही ऐसा है कभी अपनी मन की बात नही बताता है, लेकिन तुम तो बताती। सुरभी ने मुस्कराते हुए कहा कि नाराज बाद में होते रहना पहले तुम इधर तो बैठ जाओ।
इधर अविनाश के साथ एक वकील औऱ डॉक्टर भी वँहा आ गए। डॉक्टर ने कहा दोनों बच्चे स्वस्थ हैं, आप कल इन्हें घर ले जा सकते हैं। सुरभी ने अविनाश को इशारा किया और अविनाश इशारा को समझ गया। सुरभी ने कहा कि नमिता हम आपको अविनाश की तरफ से एक अनमोल तोहफा दे रही हूँ, आगे आवो औऱ इन कागजो पर हस्ताक्षर करो, मैंने तो कर लिये है। सब कागज तैयार हैं बस थोड़ी बहुत प्रक्रिया भी पूर्ण हो जाएगी, यह सुनते ही नमिता और उसके पति आकाश घबरा गए और कहा कि यह सब क्या कर रहे हो हमे भी तो बतावो। सुरभी ने मुस्कराते हुए कहा भाई साहब आप चिंता मत करो।
सुरभी ने अपनी नवजात बेटी को गोदी में लिया और नमिता को कहा कि जरा इसे अपनी गोदी में तो पकड़ो, नमिता ने उस बेबी को गोद मे ले लिया । सुरभी ने कहा कि नमिता आज से तुम ही इसकी माँ हो, तुमने ही इसे संभालना है, गोद लेने की प्रक्रिया के लिए ही वकील जी आये हैं। ये अविनाश औऱ तुम्हारे 18 साल के प्यार का एक अनमोल तोहफा है, यह अमानत अब तुम्हारी है। यह सुनते ही अविनाश औऱ नमिता एक दूसरे की आंखों में खोए हुए प्यार को तलाश रहे थे। वार्ड में इस पल के जितने भी गवाह थे सबकी आंखों में खुशी के आँसू निश्छल होकर बह रहे थे।
©®@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से✒