भारत माँ के वीर जवानों का,
वो शौर्य निराला होता है।
थर-थर-थर काँपता दुश्मन है,
जयघोष अनोखा होता है।।
ऐ दुश्मन तुम अब सुधर जाओ,
कश्मीर की अब न रटन लगाओ।
कश्मीर तो तुम ना पाओगे,
तुम सिंध भी अपना गँवाओगे।।
कारगिल किया जो तुमने था,
उसका परिणाम तो देख लिया।
तुम्हारे दसियों के ऊपर ही,
हमारा एक जवान ही भारी था।।
युद्धघोष जब होता है,
सीने में जोश वो भरता है।
घुसकर दुश्मन के खेमें में,
विकराल काल वो बनता है।।
घायल जवान जब होता है,
तब और पराक्रमी होता है।
कर फुंकार घायल नाग की भांति,
वो फिर प्रतिशोध भयंकर लेता है।।
भारत माँ की शान की खातिर,
वो प्राण न्योछावर करता है।
नील गगन में तारा बनकर,
सदा के लिए अमर वो होता है।।
जय हिंद!
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर