पंछी बनूं उड़ती फिरूं मस्त गगन में,
आज मैं आज़ाद हूं दुनिया के चमन में
जब मैं आज से दस पन्द्रह साल पहले की औरतों पर नज़र डालती हूं तो आज मुझे यह गाना गाने में बेहद ख़ुशी का अनुभव होता है। आज औरतों की स्थिति पहले के मुक़ाबले बहुत अधिक बेहतर है। यूं तो हर रोज़ ही परिस्थि तियां बदल रही हैं हर क्षेत्र में ही बहुत बदलाव है लेकिन 15 से 20 सालों के बीच औरतों की स्थिति में ज़बरदस्त बदलाव हुआ है ।यह उनका हौंसला और प्रसिद्धि की महत्वाकांक्षा को उजागर करता है ।
साथ ही औरतों को लेकर समाज का नज़रिया भी काफी हद तक बदला है। हालांकि मैं यह नहीं कहती कि सारी की सारी महिलाएं आज सशक्त हो गई है। और हर क्षेत्र में स्वतंत्रत है फिर भी काफी हद तक औरतों की स्थिति में सुधार आया है । आज की महिलाएं शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक दिखाई देती है। शिक्षा का स्तर बढ़ने से सोचने समझने की क्षमता का विकास हुआ है इस विकास ने हीं उन्हें दुनिया की जानकारी व खुद के लिए सोचने समझने की क्षमता को विकसित किया है।
औरतों की इसी समझ को समाज ने उनकी आजा़दी का नाम दिया है। आज हर क्षेत्र में औरतों ने अपना एक मुका़म बनाया है यह उनके खुले विचारों और उनकी मानसिकता का परिचायक है। ऐसा नहीं है कि पहले की महिलाएं शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं थीं, वह जागरूक थीं लेकिन उनको अवसर प्राप्त नहीं थे , आज मां बाप की सोच बदली है और वह भी चाहते हैं कि उनकी बेटियां खूब पढ़ें लिखें और समाज में कोई मुका़म हासिल करें ।
आज मैं अपने उन भाइयों को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगी जिन्होंने हमारी बहनों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की स्वतंत्रता दी है और क़दम - क़दम पर उनका साथ देकर उनके हौंसलों को बढ़ाया है। महिलाओं की भागीदारी तभी संभव है जब उनका हमसफर उनका साथ दें।
यही वजह है कि आज सभी नहीं तो कम से कम कुछ महिलाएं तो यह गाना गा ही सकती हैं ।
पंछी बनूं उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूं दुनिया के चमन में
लेकिन मेरी ख़्वाहिश है कि कुछ औरतें नहीं बल्कि संसार की हर औरत यह गाना गुनगुनाने के काबिल हो। और कविता कि वह पंक्तियां जो मैंने लिखी है पढ़ सके:-
तुम्हारी आंखों से मैं देखूं दुनिया यह ज़रूरी तो नहीं
तुम से आगे निकल जाऊं यह तमन्ना भी नहीं तुम्हारे शाना बशाना चलूं यह हसरत है मेरी, परिंदा नहीं हूं
मैं जो खुलते ही उड़ जाऊं,
मुझको हासिल है क़ुवते परवाज़ तुम्हारी ही तरहां
पर अपने कटा दूंगी यह ज़रूरी तो नहीं।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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