चाहे मत छूने दो हमको,तुम यह दामन तुम्हारा।
तुम मगर रखना पवित्र, सदा यह दामन तुम्हारा।।
चाहे मत छूने दो हमको-------------------।।
यही करते हैं दुहा हम, रोज तेरे लिए रब से।
मत किसी को देना तुम हक,छूने को दामन तुम्हारा।।
चाहे मत छूने दो हमको-----------------।।
हमको अफसोस नहीं यह,नहीं पा सके तेरी मोहब्बत।
कहना हमारा तो यही है, आबाद हो प्यार तुम्हारा।।
चाहे मत छूने दो हमको------------------।।
दोस्त देते हैं सलाह हमको, हम बन जाये रावण।
राम की सीता की तरहां, बेदाग हो दामन तुम्हारा।।
चाहे मत छूने दो हमको-----------------।।
यकीन करना नहीं तुम, किसी अजनबी पर कभी भी।
क्या खबर वह हो लुटेरा,ना बुझे चिराग तुम्हारा।।
चाहे मत छूने दो हमको------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार -
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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