दुश्मनी ही तो तुमसे मैं , नहीं कर पाया अब तक।
करता तुमसे दुश्मनी तो,शेष क्या बचता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं -----------------------।।
चाहे तुम मानो कुछ भी,मेरा है प्यार पवित्र।
होता मैं सौदागर तो, मोल नहीं रहता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं ---------------------।।
गुस्सा भी आया कभी तो, दिखाई मैंने शराफत।
होती तुमसे नफरत तो, नाम मिट जाता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं ----------------------।।
कभी नहीं प्यासा रहा मैं, तेरी दौलत-ओ-जमीं का।
शर्म नहीं होती मुझमें तो,दामन लूट जाता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं -----------------------।।
खुदा से मैं तो हमेशा, मांगता हूँ तेरी खुशियाँ।
बेखबर होता तुमसे तो,बुझ जाता दीपक अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं-----------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847