जैसे कि मैं सोचता हूँ तुम्हारे लिए,
क्योंकि तुमसे प्यार जो करता हूँ,
और वचन देता हूँ इस प्रकार,
कि गिरने नहीं दूँगा तुम्हारे आँसू ,
और मिटने नहीं दूँगा तुम्हारी हस्ती।
मुझको तुमसे मोहब्बत है,
इसीलिए खाता हूँ कसम,
कि लगने नहीं दूँगा दाग,
तेरे नाम और तेरे दामन पर,
लूटने नहीं दूँगा कभी मैं,
तुम्हारी इज्जत और शान।
मैंने जो बनाया है तुमको,
अपने सफर का हमसफर,
अपने सपनों और कर्मों की,
तुमको हमराह और मंजिल,
इसीलिए करता हूँ वादा मैं,
तुमको बदनाम नहीं होने दूँगा।
और मैं सींच रहा हूँ अपने पसीने से,
यह चमन जो बनाया है मैंने,
बहुत बड़ी उम्मीद और मेहनत से,
तुमको महकाये रखने के लिए,
तुम्हारी हर खुशी के लिए,
तुम्हारे सपनों के लिए।
लिखता हूँ हर रचना में तेरा नाम,
ताकि तुमको पढ़ा जा सके भविष्य में,
जन-गण मन द्वारा गर्व के साथ,
और कर सके हमको सलाम लोग,
इसीलिए करता हूँ गुणगान तेरा मैं,
तुमसे सच्चा प्रेम जो करता हूँ,
दिल है कि मानता ही नहीं।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847