हाँ, उनका स्थान तो,
नहीं पा सकते कभी तुम,
और ना ही यह कोशिश,
कभी मैं कर सका सच।
सच्चाई तुम भी तो,
जानते थे और,
कुछ भी तो,
नहीं छुपाया था मैंने,
बता दिया था तुमको,
उनसे कितना प्यार है
और कितना वफ़ा हूँ,
हाँ, उनका स्थान तो,
नहीं पा सकते कभी तुम।
और यह जो कुछ कहा है तुमसे,
जो किया है अभी तक तुम्हारे साथ,
शायद मुझ पर मुश्किल से ही,
यह विश्वास हो तुमको ,
कि बहाये हैं इतने आँसू ,
उन्होंने मेरे लिए कल,
इतने ऑंसू तुम तो,
नहीं बहा सकते मेरे लिए,
हाँ, उनका स्थान तो,
नहीं पा सकते कभी तुम।
मेरे प्रति उनका पवित्र प्रेम,
मेरे प्रति उनकी वचनबद्धता,
कि नहीं होने देंगे वो कभी,
मुझको बर्बाद - निराश,
मुझको उदास- नाखुश,
उनका प्यार और चेहरा,
मेरे दिलोदिमाग में है जैसे,
वो गुण नहीं है तुम्हारे में,
हाँ, उनका स्थान तो,
नहीं पा सकते कभी तुम।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)