सोचता हूँ उनसे मिलने से पहले,
देखता हूँ उनको याद करने से पहले,
यह वह तो नहीं जो कहता था कल,
मुझको नाहक और दुश्मन अपना,
होता था उनको मुझसे नुकसान,
इसलिए रहता हूँ उनसे दूर अब मैं।
नहीं चाहता उनसे बनाना नया रिश्ता,
माँगता नहीं हूँ उनके लिए दुहाएँ,
करता नहीं हूँ उन पर मैं रहम,
हो गया हूँ उनके प्रति लापरवाह,
हंसता हूँ उनके दर्द पर अब मैं।
करूँ क्यों नमस्कार उनको पहले,
करूँ क्यों गुलामी अब उनकी,
जीना चाहता हूँ सिर्फ अपने लिए,
करता हूँ मोहब्बत सिर्फ दौलत से,
देता हूँ ईंट का जवाब पत्थर से अब मैं।
सहना नहीं चाहता कोई सितम मैं,
देखना नहीं चाहता गरीबी को मैं,
रहना नहीं चाहता अब खामोश मैं,
होना चाहता हूँ आत्मनिर्भर अब मैं,
बनना चाहता हूँ जी आज़ाद अब मैं।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847