मैं तो चाहता हूँ कि,
तुम्हें नहीं हो कभी दुःख,
आये नहीं तुम पर मुसीबत,
मुस्कराती रहे तुम हमेशा,
और यही प्रार्थना मैं करता हूँ ,
तुमको मैं जो प्यार करता हूँ।
मैं तो चाहता हूँ कि,
तुम्हारा नाम हो हर जुबां पर,
तेरी जगह हो हर दिल में,
रोशनी हो तेरी हर महफ़िल में,
रुतबा हो तेरा हर शख्स में,
क्योंकि मैं तुम्हें यार मानता हूँ ,
तुमको मैं जो प्यार करता हूँ।
मैं तो चाहता हूँ कि,
बदनाम नहीं हो तेरा नाम,
लुटे नहीं तेरा दामन कोई,
सोचे हर कोई शख्स,
तुमको छूने से पहले,
मेरा नाम सुनकर,
क्योंकि तुम मेरी शान हो,
तुमको मैं जो प्यार करता हूँ।
मैं तो चाहता हूँ कि,
उठाये नहीं कोई अंगुली,
तेरे रहन- सहन पर,
करें तुमको सभी सलाम,
देखकर तुम्हारे संस्कार,
इसीलिए रहता हूँ तुम्हारे करीब,
तुमको मैं जो प्यार करता हूँ।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)