कमजोरी अपनी यहाँ किसी को, तुम दिखाना नहीं।
ऑंसू किसी के सामने तुम,अपने बहाना नहीं।।
गलत फायदा लोग उठायेंगे, कमजोरी तुम्हारी देखकर।
कमजोर अपने दुःखों से तुम, खुद को बनाना नहीं।।
कमजोरी अपनी यहाँ -------------------------।।
सेवा अपने माता पिता की, जो लोग करते नहीं।
रिश्ता अपने भाई बहिन से,जो लोग रखते नहीं।।
वो क्या करेंगे तुम्हारी मदद,देखकर तुम्हारे दर्द।
अपने जख्मों की कहानी तुम,इनको सुनाना नहीं।।
कमजोरी अपनी यहाँ -------------------------।।
बहुत मतलबी हैं लोग तो, रहते हैं जो महलों में।
होती नहीं कोई दया शर्म, सच में इनके दिलों में।।
चेहरा बदलकर ये जीते हैं, झूठी है इनकी कसमें वफ़ा।
मजबूरी अपनी ऐसे लोगों को, तुम बताना नहीं।।
कमजोरी अपनी यहाँ------------------।।
मजबूर मजदूर गरीब को,समझते हैं लोग अपना गुलाम।
इनको बैठाकर बाजारों में, दौलतवालें कमाते हैं दाम।।
खिलौना समझते हैं लोग तो, इनकी कमजोरी गरीबी को।
तुम ऐसे सौदागरों को कभी,अपनी इज्जत लुटाना नहीं।।
कमजोरी अपनी यहाँ-----------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847