जिंदगी की डगर में मुझको, ऐसे ऐसे भी चेहरे मिले।
खुशियां मिली किसी से तो, किसी से जख्म ऑंसू मिले।।
जिंदगी की डगर में मुझको---------------।।
किसी ने कहकर मुझको शरीफ, मुझको लूट लिया।
किसी ने मुझको नकली बताकर, बदनाम कर दिया।।
राह में मुझको कहीं कांटें तो, कहीं फूल महके मिले।
खुशियां मिली किसी से तो, किसी से जख्म ऑंसू मिले।।
जिंदगी की डगर में मुझको--------------।।
खेली मुझसे बहुत राजनीति, हमदर्द मेरा बनकर किसी ने।
मेरे सम्मान मेरी कामयाबी से, मन में जलकर किसी ने।।
किसी ने निभाया मुझसे वादा, किसी से बहुत धोखे मिले।
खुशियां मिली किसी से तो,किसी से जख्म ऑंसू मिले।।
जिंदगी की डगर में मुझको--------------।।
कल जो नहीं थे मेरे करीब,अब साथी मुझको कहते हैं।
अपने स्वार्थ मतलब के लिए , साथ मुझको रखते हैं।।
किसी घर मेरा स्वागत हुआ, किसी द्वार पर धक्के मिले।
खुशियां मिली किसी से तो, किसी से जख्म ऑंसू मिले।।
जिंदगी की डगर में मुझको---------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847