कि अपनी जो दुनिया होगी जमीं पर,
होगी सबसे निराली जहान में वह,
सच में अटूट प्रेम और विश्वास की,
जिसमें होगी खुशियां ही खुशियां,
शांति और सुकून अपनी दुनिया में,
ख्वाब तो यही देखा है मैंने।
गर कभी हो जाये हम नाराज,
मना लेंगे एक दूसरे को हम,
चाहे कितनी भी हो लड़ाई,
हम दोनों के बीच में लेकिन,
नहीं होगा कोई तीसरा तब,
ख्वाब तो यही देखा है मैंने।
अगर कोई होगा तीसरा भी,
तो वह होगा हमारा चिराग,
सिर्फ वही फूल होगा हमारे बीच,
जिसके देखते हैं हम सपनें,
जिसको सींच रहे हैं हम,
अपने प्यार और अरमान से,
ख्वाब तो यही देखा है मैंने।
वह होगा अपनी प्रसिद्धि का कारण,
नहीं होगा वह संस्कारहीन- असभ्य,
या तो होगा वह यशोदा के कान्हा सा,
या फिर होगा वह दशरथ के राम सा,
आज्ञाकारी श्रवण पुत्र की तरह वह,
ख्वाब तो यही देखा है मैंने।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847