रहूँगा अब तुमसे दूर ही,
नहीं देखूंगा अब तेरी ओर,
कभी अपनी नजरें उठाकर,
चाहे करें कोई तुमसे अब,
बदतमीजी और शरारत,
मुझको क्या मतलब तुमसे।
कौनसी खुशी मिलती है तुमसे,
कब देती है तू मुझको इज्ज़त,
हमेशा ही करती है मेरी बुराई,
हमेशा ही लेती है तू फैसलें,
तू मेरे और मन के खिलाफ,
मुझको क्या मतलब तुमसे।
नहीं करुंगा अब तारीफ तेरी,
नहीं करुंगा अब मैं दुहायें,
तेरी खुशी और जिंदगी के लिए,
नहीं बहाऊंगा अब मैं कभी,
मेरे आँसू तुम्हें रोते देखकर,
मुझको क्या मतलब तुमसे।
नहीं जानूंगा अब कभी मैं,
तेरे हाल और दर्द भूलकर भी,
अब कुछ भी हो तेरी गति,
नहीं करुंगा कोशिश अब मैं,
तुमको गलत राह पर रोकने की,
मुझको क्या मतलब तुमसे।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)