तुम पिला नहीं सके मुझको पानी,
जब भी आया मैं तुमसे मिलने,
तुम्हारे घर पर तड़पता रहा प्यास से,
या फिर पिलाया मुझको पानी कभी,
तो कर दिया तुमने मुझको पानी-पानी,
और मैं तुमसे प्यार करता रहा जबकि-------।
तुम बताते रहे हमेशा मोहल्लेवालों को,
ऊंची आवाज में चिल्ला-चिल्लाकर,
या कानाफूसी करके लोगों को,
या अपनी आँखों से गिराते हुए ऑंसू,
कि मैं आदमी नहीं हूँ किसी काम का,
मैं परदेशी हूँ और मुझको कोई महत्त्व नहीं दे,
और मैं तुमसे प्यार करता रहा जबकि----------।
उड़ाते रहे तुम मेरा मजाक,
देखकर मेरी मजबूरी को कमजोरी,
हँसते रहे तुम हमेशा मेरी खामोशी पर,
दिखाते रहे तुम हमेशा अपना अहम,
अपनी दौलत और शौहरत का मुझको,
और मैं तुमसे प्यार करता रहा जबकि-------------।
करते रहे तुम हमेशा प्रार्थना ईश्वर से,
कि कभी मैं आबाद नहीं हो पाऊं,
और करते रहे तुम मदद उनकी,
जो थे दुश्मन मेरे और तुम्हारे,
मनाते रहे तुम जश्न मेरी मौत का,
और मैं तुमसे प्यार करता रहा जबकि---------।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847