सभी है परेशान, इस महंगाई से।
नहीं कोई खुश, इस महंगाई से।।
यह महंगाई होगी कब कैसे कम।
बढ़ी है तकलीफें, इस महंगाई से।।
सभी है परेशान---------------------।।
मैं हूँ व्यापारी, कमाई बहुत है।
लेकिन मेरे घर में, खर्चें बहुत है।।
बहुत कर्ज है, मुझ पर बैंकों का।
कर्ज लेना पड़ा, मुझको महंगाई से।।
सभी है परेशान---------------------।।
मैं शिक्षक हूँ सरकारी, वेतन बहुत है।
जमीन और मकानों की, कीमत बहुत है।।
बनाने को घर ,लोन मैंने लिया है।
किश्तों में ली बाइक , इस महंगाई से।।
सभी है परेशान--------------------------।।
गरीब आदमी हूँ , देखूँ क्या सपनें।
भूखे ही सोये हैं, मेरे साथ अपने।।
रोटी- कपड़ा- मकान, कैसे मैं खरीदूँ।
मर रहा है गरीब तो, इस महंगाई से।।
सभी है परेशान----------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847