कि सोचा ही नहीं हो,
तेरे बारे में कभी ,
और जब बहे हो तेरे आँसू ,
देखा ही नहीं हो तेरी तरफ,
बहे ही नहीं हो मेरे ऑंसू ,
देखकर तुम्हारे दर्द को,
हाँ, मैं ऐसा तो नहीं था।
कि अब सोचने लगे हो तुम,
कि हो गया है शक मुझको,
तुम्हारी पवित्रता और नियत पर,
और मोड़ लिया है रास्ता मैंने,
तुमसे दूर होने के लिए ,
पकड़ लिया है हाथ दूसरे का,
बताने लगा हूँ तेरा राज सबको,
और मानता नहीं हूँ तेरी बात,
हाँ, मैं ऐसा तो नहीं था।
लेकिन तुमने भी देखे थे तब,
बहते हुए मेरी आँखों से आँसू ,
तुमसे पाने के लिए तब मैंने,
प्यार और हमदर्दी तेरी,
सम्मान और अपनापन तुमसे,
साथ और हाथ सफर के लिए,
बहाया था तब मैंने पसीना,
तुमको आबाद रखने के लिए,
और यह बताने के लिए कि,
तुम ही मेरी जिंदगी हो,
तुम ही मेरी खुशी- ख्वाब हो,
मगर अब नहीं मिलना चाहता हूँ ,
मैं तुमसे कभी भी कहीं भी,
हाँ, मैं ऐसा तो नहीं था।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)